महाराष्ट्र में 'हैदराबाद गजट' क्या है जिसके जरिए जरांगे ने मराठा आरक्षण की मांग करा ली पूरी?

1 day ago 1

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का रास्ता सरकार ने तलाश लिया है, जिसके बाद मनोज जरांगे की मराठा आरक्षण की मांग को मान लिया गया है. फडणवीस सरकार ने जरांगे की आठ में से पांच मांगें मान ली हैं. इसके बाद मनोज जरांगे का पांच दिनों से मुंबई में चला आ रहा अनशन मंगलवार को समाप्त हो गया है.

मनोज जरांगे की मांग थी कि सरकार 'हैदराबाद गजट' को प्रमाण मानकर मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र के मराठा समाज को कुनबी होने का प्रमाणपत्र दे. फडणवीस सरकार ने जरांगे की मांग को मानते हुए 'हैदराबाद गजट' जारी कर मराठा समाज को 'कुनबी' जाति का दर्जा दे दिया है. इससे अब मराठा लोगों को ओबीसी आरक्षण का लाभ मिल सकेगा.

फडणवीस सरकार के कदम उठाने के बाद मराठा समाज को शिक्षा और नौकरी में आरक्षण का लाभ मिल सकेगा. मराठा समाज को कुनबी जाति में शामिल करने की मांग सबसे प्रमुख थी. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि अब सबूत के तौर पर 'हैदराबाद गजेटियर' काम आएगा. मुझे लगता है कि मराठा समाज को इससे बहुत लाभ मिलेगा. ऐसे में सवाल उठता है कि 'हैदराबाद गजट' क्या है?

मनोज जरांगे की मांग सरकार ने मानी

महाराष्ट्र सरकार ने मनोज जरांगे की आठ में से छह मांग को मान लिया है. सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए 'हैदराबाद गजट' जारी करेगी और साथ ही सातारा व औंध गजट भी लागू होगा. मराठा आंदोलनकारियों पर दर्ज केस वापस होंगे और मारे गए परिवारों को 15 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता व सरकारी नौकरी सरकार देगी. कुनबी जाति से जुड़ी 58 लाख एंट्रीज का रिकॉर्ड पंचायतों में उपलब्ध कराया जाएगा. इससे मराठा समाज को कुनबी जाति का प्रमाणपत्र लेने की प्रक्रिया सरल हो जाएगी. मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र के मराठों को ही फिलहाल कुनबी जाति के जरिए आरक्षण का लाभ मिलेगा.

वहीं, हर मराठा को कुनबी घोषित करने की प्रमुख मांग पर सरकार का कहना है कि यह कानूनी और तकनीकी तौर पर जटिल है. कम से कम दो महीने का समय लगेगा. जरांगे पाटिल ने कहा कि किसी के रिश्तेदार को कुनबी प्रमाणपत्र मिला है तो बाकी परिवार को भी मिलना चाहिए. इस पर अब तक 8 लाख आपत्तियां आई हैं, जिन्हें निपटाने में वक्त लगेगा. इस तरह महाराष्ट्र के सभी मराठा समाज को कुनबी जाति का प्रमाणपत्र नहीं दिया जाएगा.

महाराष्ट्र में क्या है 'हैदराबाद गजट'?

मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए सरकार पुराने 'हैदराबाद गजट' को लागू करेगी. सातारा और औंध गजट पर यह आश्वासन दिया गया कि कानूनी जांच के बाद एक निर्णय लिया जाएगा. 'हैदराबाद गजट' निजाम हैदराबाद की रियासत की अधिसूचना है. इसमें कुनबी (किसान जाति) को सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग बताया गया था. मनोज जरांगे का कहना है कि मराठा और कुनबी बराबर हैं, इसलिए मराठा समाज को कुनबी जाति का प्रमाणपत्र देकर आरक्षण दिया जाए.

सरकार ने 'हैदराबाद गजट' को कुनबी-मराठा पहचान के प्रमाण के तौर पर मान्यता देने के लिए रजामंदी दे दी है. आजादी से पहले मराठवाड़ा क्षेत्र, जिसमें फिलहाल महाराष्ट्र के आठ जिले शामिल हैं, हैदराबाद की रियासत का हिस्सा हुआ करता था. 'हैदराबाद गजट', हैदराबाद के तत्कालीन निज़ाम द्वारा 1918 में जारी एक आदेश है. मराठवाड़ा क्षेत्र की जनसंख्या, जातियों और समुदायों, व्यवसायों, कृषि आदि से जुड़े सभी अभिलेख 'हैदराबाद गजट' का हिस्सा थे.

मराठा को कुनबी जाति से जोड़ने का संबंध

'हैदराबाद गजट' के अनुसार मराठवाड़ा क्षेत्र के कुनबी जाति को ओबीसी में रखा गया था. सरकार के 'हैदराबाद गजट' स्वीकार करने के बाद मराठवाड़ा में मराठा समुदाय अब कुनबी के तहत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण का लाभ उठा सकता है. कुनबी, एक किसान जाति, महाराष्ट्र में ओबीसी सूची में शामिल है.

हैदराबाद अभिलेखों से पता चलता है कि मराठा, जो कृषि का काम करते हैं, मराठवाड़ा में एक बड़ा समुदाय थे, लेकिन आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े माने जाते थे. 'हैदराबाद गजट' से यह भी पता चलता है कि मराठा समुदाय भी कुनबी समुदाय की तरह है. हैदराबाद निजाम ने अपने शासनकाल के दौरान मराठा समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने का आदेश जारी किया था. आधिकारिक राजपत्र में औपचारिक रूप से जिक्र मिलता है, जिसमें मराठा और कुनबी को एक समान माना गया.

हालांकि, 1884 के एक पुराने दस्तावेज में 'मराठा' का जिक्र नहीं है, बल्कि 'कुनबी' का जिक्र मिलता है. इससे पता चलता है कि उस समय मराठों को कुनबी के रूप में वर्गीकृत किया जाता था. देश की आजादी के बाद, मराठवाड़ा महाराष्ट्र राज्य का हिस्सा बन गया और इस समुदाय को मराठा कहा जाने लगा. मनोज जरांगे शुरू से ही तर्क देते रहे हैं कि मराठों की प्रामाणिक वंशावली का पता लगाने के लिए 1884 के दस्तावेज़ पर विचार किया जाना चाहिए.

जरांगे की बात को फडणवीस ने माना

'हैदराबाद गजट' को प्रामाणिक रिकॉर्ड मानते हुए महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार अब मराठवाड़ा में मराठा समाज को कुनबी का दर्जा देने का निर्णय लिया है. इसके चलते ही मराठवाड़ा के मराठा समाज को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र मिलेगा और ओबीसी के तहत आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे. फडणवीस सरकार ने सिर्फ 'हैदराबाद गजट' के संबंध में प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त की है, जिसका अर्थ है कि कुनबी दर्जे के लिए केवल पिछले निजाम के रिकॉर्ड पर आधारित दस्तावेजी प्रमाण ही पर्याप्त होगा.

मराठवाड़ा के मराठा अब ओबीसी होंगे

'हैदराबाद गजट' की तरह, इसमें अन्य क्षेत्रों के ऐतिहासिक अभिलेख भी हैं. सातारा गजट में पश्चिमी महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में मराठों से संबंधित अभिलेख हैं. इसके अलावा, औंध और बॉम्बे गजट भी हैं. विदर्भ, उत्तरी महाराष्ट्र और कोंकण में मराठा समाज ओबीसी कोटा प्राप्त करने के लिए खुद को कुनबी जाति के तहत मानते हैं, हालांकि, पश्चिमी महाराष्ट्र और मराठवाड़ा में कई मराठों ने योद्धा वर्ग और अगड़ी जाति के रूप में अपनी पहचान बनाए रखने का विकल्प चुना था.

हैदराबाद रियासत के गजट में खेती करनेवाले मराठा समुदाय के लोगों को कुनबी का दर्जा दिया गया था. विदर्भ सहित महाराष्ट्र के कुछ और भागों में कुनबी समुदाय के लोगों को ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण प्राप्त है, इसलिए मनोज जरांगे पाटिल की मांग थी कि पूरे मराठवाड़ा एवं पश्चिम महाराष्ट्र के मराठों को भी 'हैदराबाद गजट' के अनुसार कुनबी मानकर उन्हें ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण प्रदान किया जाए. पिछले वर्ष सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश संदीप शिंदे की अध्यक्षता में गठित समिति ने बड़ी संख्या में लोगों को कुनबी प्रमाण पत्र वितरित भी किए हैं.

फडणवीस ने जारी किया सरकारी आदेश

सरकार ने मनोज जरांगे की मांग को मानते हुए सरकारी आदेश (जीआर) जारी कर दिया कि 'हैदराबाद गजट' के अभिलेखों को मराठा समाज के सदस्यों को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र देने के लिए वैध साक्ष्य माना जाएगा. सरकारी आदेश में कहा गया है कि आजादी के पहले की हैदराबाद रियासत की सन 1900, 1902, 1918, 1923, 1926, 1928 और 1948 में जारी अधिसूचनाएं एवं अभिलेखों को मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र जारी करने के लिए साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जाएगा.

इससे मराठा समाज को कुनबी मानकर उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटे के अंतर्गत शिक्षा एवं नौकरियों में आरक्षण दिया जा सकेगा. इसके लिए व्यक्तिगत स्तर पर लोगों को आवेदन करना होगा और तब उनके मामलों की पूरी पड़ताल करके ही उन्हें कुनबी प्रमाणपत्र दिया जाएगा.

---- समाप्त ----

Read Entire Article