बिहार चुनाव से पहले गाली पर संग्राम छिड़ा हुआ है. वोटर अधिकार यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गाली दिए जाने के मामले में NDA ने बिहार बंद की कॉल दी थी, और अमलीजामा पहनाने के लिए कार्यकर्ता सड़क पर उतर आए. दुकानें बंद कराई, चौराहों पर जाम लगाया और खूब उत्पात किया है.
वोटर अधिकार यात्रा के दौरान ही जगह जगह एक नया नारा भी लगाया गया है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'वोट-चोर' कह कर संबोधित किया गया है. बिहार चुनाव से पहले इंडिया ब्लॉक के लेटेस्ट स्लोगन ने 2019 के आम चुनाव के दौरान लगे कांग्रेस के नारे की याद दिला दी है - ध्यान रहे, राहुल गांधी का वो नारा बीजेपी के लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ था.
जैसे राहुल गांधी ने मोदी पर निजी हमले किए हैं, तेजस्वी यादव भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भ्रष्टाचारी बता रहे हैं. मोदी को गाली और वोट-चोर की नारेबाजी, बिहार चुनाव में विपक्षी महागठबंधन को भारी पड़ सकती है - और विपक्ष का ये कॉम्बो पैकेज विधानसभा चुनाव में बैकफायर कर भी सकता है.
मोदी-नीतीश पर निजी हमलों से क्या मिलेगा?
निजी हमले चुनावों में हमेशा ही नुकसानदेह साबित होते हैं. ये बार बार देखा गया है. बाहर की कौन कहे, 2015 के बिहार चुनाव में ही डीएनए पर बवाल हो चुका है. नतीजा भी सब देख चुके हैं - फिर भी राहुल गांधी और तेजस्वी यादव बेपरवाह होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर ताबड़तोड़ निजी हमले कर रहे हैं.
दरभंगा में राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के लिए बनाए गए मंच से 27 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गाली दी गई थी. गाली देने के आरोपी मोहम्मद रिजवी को अगली ही रात पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया था. केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने मोदी को गाली दी जाने के लिए राहुल गांधी से माफी की मांग की थी, और प्रधानमंत्री मोदी ने भी बिहार के लोगों से संवाद के दौरान अपने मन की बात कही. विपक्ष की तरफ से बचाव में कहा गया कि गाली जरूर दी गई, लेकिन मंच पर न तो तेजस्वी यादव मौजूद थे, न ही राहुल गांधी.
जीविका दीदियों के कार्यक्रम को ऑनलाइन संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, मेरी मां का राजनीति से कोई लेना-नहीं है... वो इस दुनिया में भी नहीं हैं... फिर भी उन्हें कांग्रेस-आरजेडी के मंच से गाली दी गई... जितनी पीड़ा मेरे दिल में है, उतनी ही तकलीफ मेरे बिहार के लोगों के दिल में भी है... मैं आपसे अपना दुख साझा कर रहा हूं, ताकि मैं इस पीड़ा को झेल पाऊं.
तेजस्वी यादव ने भी रिएक्ट किया है. उनकी बहन रोहिणी आचार्य तो पहले ही सवाल उठा चुकी हैं. अब तो बहस गाली के बदले गाली देने तक पहुंच चुकी है. गाली दिए जाने के बचाव में जो दलील दी जा रही है, उसमें 'जर्सी गाय' और '50 करोड़ की गर्लफ्रेंड' जैसे बयानों की याद दिलाई जा रही है.
सोशल साइट एक्स पर तेजस्वी यादव ने एक लंबी पोस्ट शेयर की है. तेजस्वी यादव ने अपनी तरफ से ऐसे 10 उदाहरण दिए हैं, और बताया है कि कैसे मां का अपमान होता रहा है, और प्रधानमंत्री मोदी को फर्क नहीं पड़ता. लिखा है, मां तो मां होती है.
तेजस्वी यादव ने प्रज्वल रेवन्ना का नाम लेकर याद दिलाया है कि कैसे प्रधानमंत्री उसके लिए चुनाव में वोट मांग चुके हैं. पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के पौत्र प्रज्वल रेवन्ना को बलात्कार के लिए उम्रकैद की सजा हुई है. अपनी पोस्ट के आखिर में लिखा है, ये दोहरे चरित्र के लोग हैं... ये लोग वोट चोरी से ध्यान हटाने के लिए प्रपंच रच रहे है... मां तो मां होती है.
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को 'नैतिक भ्रष्टाचार का भीष्म पितामह' बताया है. और ये बोलने के अगले ही सवाल भी पूछ लिया, क्या मुख्यमंत्री हर सुबह और शाम एक मंत्री के घर जाते हैं, जो ग्लोबल टेंडरिंग से अमीर हो गया है... ताकि हिसाब-किताब कर सकें?
नीतीश कुमार पर कभी भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे हैं. परिवारवाद की राजनीति का साया मंडराता हुआ लग रहा था, लेकिन अब तो जेडीयू की तरफ से ये भी साफ कर दिया गया है कि निशांत कुमार राजनीति में नहीं आ रहे हैं - दूसरी तरफ, तेजस्वी यादव के पिता लालू यादव को भ्रष्टाचार के ही आरोप में चारा घोटाले में सजा हुई है.
हो तो यही रहा है कि जंगलराज के लिए माफी मांग लेने के बावजूद तेजस्वी को उसके भूत से पीछा नहीं छूट रहा है - तो क्या उसी को काउंटर करने के लिए तेजस्वी यादव अब नीतीश कुमार को भ्रष्टाचार का भीष्म पितामह बताकर काउंटर करने की कोशिश कर रहे हैं?
ये तो पुराने कैंपेन की नई पैकेजिंग ही है
'वोट चोर गद्दी छोड़' - राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के दौरान ये नया नारा लगाया गया है. अगर 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस के कैंपेन को याद करें, तो राहुल गांधी रैलियों में जो नारा लगवाते थे, नये नारे में भी उसी नारे की ध्वनि सुनाई दे रही है. वो नारा था - 'चौकीदार चोर है'.
राफेल डील को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर राहुल गांधी ने वो नारा दिया था, लेकिन दांव उल्टा पड़ गया. मोदी ने काउंटर करने के लिए अपने नाम के आगे चौकीदार जोड़ दिया, और देखते ही देखते बीजेपी नेता और कार्यकर्ता भी मोदी को फॉलो करने लगे. चुनाव में बीजेपी को जबरदस्त फायदा हुआ - और हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा भी दे दिया.
अब बिहार चुनाव से पहले राहुल गांधी ने नया नारा दिया है, 'वोट चोर गद्दी छोड़'. बिहार में गद्दी तो नीतीश कुमार संभाल रहे हैं, लेकिन राहुल गांधी के निशाने पर तो प्रधानमंत्री मोदी ही हैं. चूंकि ये नारा राहुल गांधी और तेजस्वी यादव मिलकर लगा रहे हैं, इसलिए निशाने पर नीतीश कुमार भी आ जाते हैं.
निजी हमले का नतीजा घातक होता है. सबको मालूम है. कांग्रेस नेता पहले भी कई बार समझा चुके हैं, लेकिन राहुल गांधी हैं कि मानते ही नहीं. राहुल गांधी को कई बार कांग्रेस के भीतर से ही सलाह मिल चुकी है कि वो किसी भी सूरत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निजी हमले न करें. ऐसे नेताओं की सलाह होती है कि मोदी की नीतियों की चाहे जितनी चाहें आलोचना करें. मुद्दों पर जितना चाहे घेरें, लेकिन निजी हमलों से हर हाल में परहेज करें - बावजूद तमाम ऐसी सलाहियत के राहुल गांधी नुकसान भले उठा लें, लेकिन कदम कभी पीछे नहीं खींचते.
मुश्किल ये है कि इस बार नुकसान के मुहाने पर राहुल गांधी नहीं बल्कि तेजस्वी यादव खड़े हैं. ये संयुक्त उद्यम है तो राहुल गांधी और तेजस्वी यादव दोनों का - लेकिन, अभी तो कीमत तेजस्वी यादव को अकेले चुकानी पड़ेगी.
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