सावन के पवित्र माह में जहां देशभर में कांवड़ यात्रा को लेकर भक्तिभाव का माहौल है, वहीं लखीमपुर खीरी जिले के आधारपुर गांव के पास दानवीरों ने कांवड़ियों के लिए सेवा का अद्भुत उदाहरण पेश किया है. लखीमपुर शहर से करीब 5 किलोमीटर दूर एनएच-730 पर करीब 50,000 वर्ग फुट क्षेत्र में एक भव्य सेवा शिविर लगाया गया है, जो किसी फाइव स्टार होटल से कम नहीं है.
नहाने-खाने से लेकर हर तरह की सुविधा
इस सेवा पंडाल में कांवड़ियों के लिए लेटने, बैठने, नहाने, खाने-पीने, कपड़े सिलवाने, जूते-चप्पल मरम्मत तक की बेहतरीन व्यवस्था की गई है. यहां तक कि फटे कपड़ों की सिलाई और जूतों की पॉलिश भी की जा रही है. कैंप में एक ओर इडली, डोसा, चाऊमीन, मैक्रोनी, छोला-भटूरा, समोसा, चावल, टिक्की जैसे करीब 15 व्यंजन बनाए जा रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर जरूरतमंद कांवरियों को दवाई, जूते-चप्पल और कपड़े भी दिए जा रहे हैं.
राहगीर भी सेवा में जुटे
कैंप में सेवा दे रहे लोगों में कई ऐसे भी हैं जो रास्ते से गुजरते समय खुद को रोक नहीं सके और शिवभक्ति से प्रेरित होकर सेवा में लग गए. एक कारीगर ने कहा, 'यह बारात शिवजी की है और हम सब बारातियों की सेवा में हैं.' यह सेवा शिविर न केवल कांवड़ियों को राहत पहुंचा रहा है बल्कि मानवता और श्रद्धा का अनुपम उदाहरण भी प्रस्तुत कर रहा है.
बोर्ड और विजुअल्स से सजी व्यवस्था
कैंप में विभिन्न व्यंजनों के नाम के बोर्ड लगाए गए हैं, जैसे "डोसा सेक्शन", "इडली स्टॉल", "मैक्रोनी कॉर्नर", "चाय-पानी", "जूते-चप्पल मरम्मत", "फ्री सिलाई सेवा", आदि. हर सेक्शन में काम करते लोग, चूल्हों पर व्यंजन बनाते शेफ, सिलाई मशीन चलाते कारीगर, और व्यवस्था को संभालते स्वयंसेवक यह दृश्य किसी धार्मिक मेले या शादी समारोह जैसे लगते हैं. इस सेवा शिविर को देखकर हर कोई कह रहा है, "यह कोई साधारण कैंप नहीं, बल्कि शिव की बारात की सेवा है."
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