रूसी ड्रोन हमला या गलती? पोलैंड में घुसपैठ से नाटो-यूरोप में बढ़ी बेचैनी, अब रूस ने बदली रणनीति

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मंगलवार रात पोलैंड की सीमा में 19 तक कामिकाजे ड्रोन दाखिल हो गए जिससे पोलिश और नाटो (NATO) सेनाओं को अलर्ट होकर जवाब देना पड़ा. इस घटना के बाद कई यूरोपीय देशों ने नाराजगी जताई है. रूस ने कहा कि उसका पोलैंड को निशाना बनाने का कोई इरादा नहीं था, संभव है कि ड्रोन गलती से पोलैंड में दाखिल हो गए हों. लेकिन चाहे इरादा रहा हो या नहीं, यह घटना बताती है कि यूक्रेन युद्ध में रूस की रणनीति बदल रही है.

ड्रोन पर बढ़ती निर्भरता

साल 2022 में युद्ध शुरू होने के बाद से रूस ने मिसाइलों की जगह यूक्रेनी शहरों पर एकतरफ़ा ड्रोन हमलों पर ज्यादा भरोसा करना शुरू कर दिया है. इस साल रूस ने अब तक 17,650 से ज़्यादा ड्रोन लॉन्च किए, जबकि 2022 में यह आंकड़ा सिर्फ 3,200 था. Armed Conflict Location & Event Data (ACLED) के मुताबिक, 2023 में 6,200 ड्रोन लॉन्च हुए, 2024 में 16,060 और अब 2025 में यह आंकड़ा उससे भी ज्यादा हो गया है.

पोलिश रक्षा मंत्रालय से बातचीत के लिए रूस तैयार

रूस का कहना है कि मंगलवार रात यूक्रेन पर सैकड़ों ड्रोन लॉन्च किए गए थे, लेकिन पोलैंड को निशाना बनाने का इरादा नहीं था. रूसी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि हमारे UAVs (ड्रोन) की अधिकतम रेंज 700 किमी से ज्यादा नहीं है. इसके बावजूद हम इस मामले पर पोलिश रक्षा मंत्रालय से बातचीत करने के लिए तैयार हैं.

ये पहली बार नहीं है जब रूसी ड्रोन पोलैंड की सीमा में दाखिल हुए हों. अगस्त के मध्य में भी पोलैंड के रक्षा मंत्रालय ने बताया था कि रूस से आया एक Shahed-type ड्रोन ल्यूबिन शहर के पास मक्का के खेतों में गिरा था.

इस साल यूक्रेन-पोलैंड सीमा के पास रूसी ड्रोन हमले 2024 की तुलना में और ज्यादा बढ़े हैं.

लेकिन पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने कहा कि कुछ ड्रोन बेलारूस से भी आए थे, यानी यह सिर्फ गलती नहीं बल्कि जानबूझकर किया गया हो सकता है. यूरोपीय संघ की विदेश मामलों की प्रमुख काया कैलस ने तो और भी सख्त बयान दिया. उन्होंने कहा कि संकेत बताते हैं कि यह गलती नहीं, बल्कि जानबूझकर की गई कार्रवाई थी. उन्होंने इसे 'यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से रूस की सबसे गंभीर यूरोपीय हवाई सीमा उल्लंघन' बताया. नाटो सचिव मार्क रुटे और यूरोपीय संघ की कमिश्नर उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने इसे लापरवाह घटना करार दिया.

ड्रोन इंटरसेप्शन

पोलैंड ने कहा कि उसके एयरस्पेस में 19 रूसी ड्रोन दाखिल हुए, जिनमें से सिर्फ 4 को पोलिश और नाटो सेनाओं ने मार गिराया. पोलैंड के गृह मंत्रालय ने बताया कि 7 ड्रोन और एक अज्ञात ऑब्जेक्ट के अवशेष भी देशभर में मिले हैं.

ड्रोन घुसपैठ के बाद नाटो और पोलैंड ने तुरंत फाइटर जेट और निगरानी विमान भेजे. हालांकि यह घटना पोलैंड की रक्षा प्रणाली की सीमाओं को भी दिखाती है. पोलैंड का ड्रोन गिराने का आंकड़ा (19 में से 4) यूक्रेन से काफ़ी कम है. यूक्रेनी सेनाएं लगातार रूस के ज़्यादातर ड्रोन को रोकने में सफल रही हैं. मंगलवार रात भी यूक्रेन ने 90% से ज़्यादा रूसी ड्रोन मार गिराए.

बढ़ती आशंका

पोलैंड के प्रधानमंत्री ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पोलैंड पहली बार इतने बड़े जोखिम के सामने खड़ा है, जब मंगलवार रात उसके आसमान में कम से कम चार रूसी ड्रोन मार गिराए गए.

याद रहे, पोलैंड नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) का सदस्य है, जो दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली सैन्य गठबंधन है. नाटो की “कलेक्टिव डिफेंस” पॉलिसी कहती है कि किसी एक सदस्य पर हमला पूरे नाटो पर हमला माना जाएगा. यह नीति नाटो की आर्टिकल 5 में दर्ज है, और अब तक सिर्फ एक बार 2001 में अमेरिका पर 9/11 हमले के बाद लागू हुई है.

इसका मतलब है कि अगर नाटो सदस्य देश मान लें कि पोलैंड पर हुआ यह हमला जानबूझकर किया गया था, तो यह पूरी दुनिया के लिए बुरे सपने जैसा होगा क्योंकि फिर रूस का सीधा टकराव अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, कनाडा और तुर्की जैसे देशों से होगा.

हालांकि अभी ऐसा होने की संभावना कम है, लेकिन पश्चिमी देशों की राजधानी में माहौल गर्म होता जा रहा है. पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने संसद में बताया कि उनकी सरकार ने नाटो का आर्टिकल 4 लागू करने की औपचारिक मांग कर दी है ताकि सहयोगियों के साथ इस पर चर्चा की जा सके.

बता दें क‍ि आर्टिकल 4 तब लागू होता है जब नाटो का कोई सदस्य देश खुद को किसी दूसरे देश या आतंकवादी संगठन से खतरे में महसूस करता है. तब सभी 30 सदस्य देशों के बीच औपचारिक बातचीत होती है कि ख़तरा कितना बड़ा है और उससे निपटने के लिए क्या किया जाए. निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाते हैं.

हालांकि आर्टिकल 4 का मतलब यह नहीं होता कि तुरंत कार्रवाई ज़रूरी है. नाटो के इतिहास में इसे कई बार लागू किया गया है. हाल ही में तुर्की ने पिछले साल इसे लागू किया था, जब सीरिया से हमले में उसके सैनिक मारे गए थे.

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(स्रोत: जर्मनी का DW अखबार)

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