उत्तर प्रदेश के दो लोगों से रूस में नौकरियों का वादा करके कथित तौर पर 4.5 लाख रुपये ठगे जाने का मामला सामने आया है. पुलिस ने मंगलवार को बताया कि बाद में पीड़ितों को बिना भोजन या आश्रय के रूस में फंसा दिया गया.
1 जुलाई को, दोनों पीड़ितों को पहले कज़ाकिस्तान भेजा गया और बाद में रूस के ओम्स्क ले जाया गया. यहां उन्हें यूं ही छोड़ दिया गया. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'वहां न तो कोई नौकरी थी, न ही रहने की जगह और उन्हें कई दिनों तक बिना उचित भोजन और आश्रय के गुज़ारा करना पड़ा.'
अधिकारी ने आगे कहा, 'आखिरकार, वे अपने परिवारों से संपर्क करने में कामयाब रहे, जिन्होंने उन्हें टिकट के लिए पैसे भेजे. दोनों 17 जुलाई को भारत लौट आए.' पुलिस ने बताया कि असली वर्क परमिट के बजाय, उन्हें कथित तौर पर रूस यात्रा के लिए पर्यटक वीजा दिया गया था.
दिल्ली के बदरपुर निवासी निजामुद्दीन और उसके सहयोगी प्रेमचंद ने कथित तौर पर पीड़ितों को रूस स्थित एक कंपनी के फर्जी जॉब ऑफर का लालच दिया.
उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के 45 साल के शिकायतकर्ता प्रमोद चौहान, राजमिस्त्री का काम करते हैं और उन्होंने सऊदी अरब में लगभग 18 साल इसी पेशे में बिताए हैं. पुलिस ने बताया कि इसी दौरान, वह निजामुद्दीन के संपर्क में आए और इस साल की शुरुआत में विदेश में अवसर तलाशने के लिए उनसे दोबारा संपर्क किया.
अधिकारी ने कहा, 'उन पर भरोसा करके, चौहान रूस में नौकरी के लिए पैसे देने को तैयार हो गए. उन्हें 30 जून को एक एग्रीमेंट और अप्वाइंटमेंट लेटर भी दिया गया. चौहान द्वारा प्रस्ताव के बारे में बताए जाने के बाद उनके पड़ोसी गौतम साहनी भी नौकरी में शामिल होने के लिए तैयार हो गए.' जांच में पता चला कि आरोपियों ने दोनों व्यक्तियों से 50,000 रुपये नकद और ऑनलाइन ट्रांसफर के माध्यम से 4.05 लाख रुपये लिए. एक पीड़ित की शिकायत के बाद दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने मामला दर्ज किया है.
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