नेपाल में अब भी हिंसक विरोध प्रदर्शन जारी है और सेना की कार्रवाई में अब तक कुल 22 प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है. ये विरोध प्रदर्शन सरकार के खिलाफ शुरू हुए थे लेकिन अब इनकी आड़ में नेपाल के बड़े-बड़े बैंक, शोरूम, दुकानों और होटल्स को लूटा जा रहा है. इनमें भी राष्ट्रीय वाणिज्य बैंक और हिमालयन बैंक की अलग-अलग शाखाओं को निशाना बनाकर वहां लूटपाट हुई है. प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनाल के घर में तोड़फोड़ और आगजनी की, जिससे घर में मौजूद उनकी पत्नी राज्यलक्ष्मी की मौत हो गई.
के.पी. शर्मा ओली भी अपने इस्तीफे के बाद अंडरग्राउंड हो गए हैं और सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि उन्होंने नेपाल छोड़ दिया है लेकिन इन दावों की अब तक कोई पुष्टि नहीं हुई है. काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें सुरक्षा कारणों से स्थगित कर दी गई हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि अब भी प्रदर्शनकारी ये योजना बना रहे हैं कि वो इन उड़ानों के दौरान आतिशबाजी और लेजर लाइट का इस्तेमाल कर सकते हैं.
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बैन वापस लेने पर भी नहीं रुका प्रदर्शन
इस वक्त नेपाल का संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, सुप्रीम कोर्ट और मंत्रियों के दफ्तर प्रदर्शनकारियों के कब्जे में हैं और सभी को आग के हवाले किया जा चुका है. ये हिंसा भी तब हुई है, जब इस्तीफे से पहले के.पी. शर्मा ओली ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लगाए गए बैन को वापस ले लिया था. उन्होंने कहा था कि प्रदर्शन में मारे गए लोगों को उचित मुआवजा दिया जाएगा और एक कमेटी की मदद से इस हिंसा की जांच कराई जाएगी.
प्रदर्शनकारी सरकार के इन फैसलों से संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने सिर्फ दो घंटों में पूरी सरकार को गिरा दिया और अब स्थिति ये है कि सरकार भी गिर चुकी है लेकिन ये हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही. खबर है कि काठमांडू में प्रदर्शनकारियों ने तीन पुलिसकर्मियों की भी हत्या कर दी है और सेना के भी हथियार लूट लिए हैं.
सिंह दरबार को किया आग के हवाले
काठमांडू का 'सिंह दरबार', जिसे शेर का महल भी कहते हैं. मौजूदा वक्त में नेपाल के प्रधानमंत्री और बाकी मंत्रियों के दफ्तर इसी सिंह दरबार में थे. लेकिन आज प्रदर्शनकारियों ने इसमें तोड़फोड़ और आगजनी की और सिंह दरबार इस वक्त भी जल रहा है. इस सिंह दरबार का निर्माण 117 साल पहले 1908 में हुआ था. उस वक्त ये नेपाल के राजा का शाही महल हुआ करता था, जिसे लेकर शुरू से ही विवाद रहा.
आरोप लगता था कि 50 हेक्टेयर में फैला यह महल मंदिरों की जमीन पर बनाया गया था और इसके निर्माण के लिए उस वक्त के राजा ने अंग्रेजों को जंगल बेचे थे और उनसे मदद लेकर यह महल खड़ा किया था, जो बाद में एक सरकारी सचिवालय बना. साल 1973 में भी यहां एक दुर्घटना के बाद आग लगने की घटना हुई थी, जिसके बाद इसका पुनर्निमाण हुआ और अब फिर से यह महल जल रहा है. इस वक्त भी नेपाल के कई इलाकों में तनाव बना हुआ है और लोगों से लगातार शांति बनाए रखने की अपील की जा रही है.
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संसद भवन को लगाई आग
नेपाल में हिंसा का एक लंबा इतिहास रहा है लेकिन इस वक्त नेपाल में जो कुछ भी हो रहा है, वो उसके लोकतंत्र को गहरे जख्म देकर जाएगा. शायद आज से नेपाल की राजनीति हमेशा के लिए बदल जाएगी. नेपाल की आम जनता सरकार के खिलाफ विद्रोहियों की तरह सड़कों पर उतरी और उसने सबकुछ तहस-नहस कर दिया. सबसे पहले तो प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू में नेपाल के संसद भवन को आग के हवाले कर दिया. 2 हजार से ज्यादा प्रदर्शनकारी नेपाल के न्यू बानेश्वर इलाके में पहुंचे, जहां उन्होंने पहले संसद भवन में तोड़फोड़ की और इसके बाद उसे आग के हवाले कर दिया.
ये वही नया संसद भवन था, जिसका निर्माण भी अभी पूरा नहीं हुआ था. नेपाल में टैक्सपेयर्स के पैसे से इस संसद भवन पर लगभग साढ़े 300 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे थे. लेकिन सरकार के विरोध में हिंसक भीड़ इतनी बेकाबू हुई कि उसने यहां ना सिर्फ तोड़फोड़ और आगजनी की बल्कि कुछ लोग संसद भवन में रखे सामान को लूटकर भी ले गए. संसद भवन की तरह हिंसक भीड़ ने काठमांडू के शीतल भवन पर भी हमला किया, जो वहां का राष्ट्रपति भवन है.
सुप्रीम कोर्ट पर भी हमला
कहा जा रहा है कि इस आगजनी से पहले राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल को भी हेलिकॉप्टर से सेना ने एक सुरक्षित जगह पर पहुंचा दिया था. आज काठमांडू के लगभग हर उस इलाके में आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं, जहां सरकारी दफ्तर या सरकारी इमारतें मौजूद हैं. इनमें हिंसक भीड़ का एक गुट नेपाल के सिंह दरबार में घुस गया, जहां सारे मंत्रियों के दफ्तर मौजूद हैं. प्रदर्शनकारियों ने इस सिंह दरबार पर भी कब्जा कर लिया. एक वक्त के बाद स्थिति ये हो गई कि इस सिंह दरबार को भी आग के हवाले कर दिया गया और वहां भी प्रदर्शनकारी सरकारी दफ्तर का सामान अपने साथ लूट कर ले गए.
नेपाल के जिस सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को रजिस्ट्रेशन कराने के आदेश दिए थे और जिस आदेश पर सरकार ने इन प्लेटफॉर्म्स को बंद कर दिया था, उस सुप्रीम कोर्ट को भी प्रदर्शनकारियों ने अपने गुस्से का निशाना बनाया. सुप्रीम कोर्ट की बिल्डिंग के साथ अटॉर्नी जनरल के दफ्तर में भी सैकड़ों लोगों ने तोड़फोड़, आगजनी और लूटपाट की और कहा जा रहा है कि सेना की जिन टुकड़ियों को सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था, वो टुकड़ियां वहां से हट गई थीं और प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट पर भी अपना कब्जा कर लिया था.
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नेताओं और मंत्रियों पर भी हुए जानलेवा हमले
इस हिंसा के दौरान अलग-अलग जिलों और शहरों में कई बड़े नेताओं और मंत्रियों पर भी जानलेवा हमले हुए. प्रदर्शनकारियों ने सबसे पहले नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और उनकी पत्नी आरजू राणा देउबा पर हमला किया. आरजू राणा देउबा नेपाल की विदेश मंत्री हैं और सुबह तक कहा जा रहा था कि उन्हें नेपाल की सेना किसी सुरक्षित जगह पर ले जाने वाली है. लेकिन इससे पहले ही भीड़ ने उन पर और पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के साथ मारपीट की.
पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा पर हिंसक भीड़ ने इसलिए भी हमला किया क्योंकि नेपाल की आम जनता उनके बेटे जय बीर देउबा को एक 'नेपो किड' मानती है और उन पर ये आरोप लगता है कि वह अब तक टैक्सपेयर्स का पैसा अपने बेटे पर खर्च कर रहे थे. और यही कहानी नेपाल के वित्त मंत्री और उप प्रधानमंत्री विष्णु प्रसाद पौडेल की है, जिन्हें आज गुस्साई भीड़ ने दौड़ा-दौड़ा कर पीटा. अब भी इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं मिली है कि गुस्साई भीड़ ने उप प्रधानमंत्री विष्णु प्रसाद पौडेल के साथ क्या किया.
हमले में पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी की मौत
हिंसक प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के निजी आवास में भी तोड़फोड़ और आगजनी की. इस्तीफा दे चुके गृहमंत्री रमेश लेखक के घर को भी आग लगा दी. इसके अलावा प्रदर्शनकारियों ने ऊर्जा मंत्री दीपक खड़का के घर पर भी हमला किया और उनके घर में रखे कैश को जनता के बीच उड़ा कर जश्न मनाया. इससे पहले काठमांडू में नेपाली कांग्रेस के राष्ट्रीय मुख्यालय पर भी एक बड़ा हमला हुआ. नेपाल के सबसे बड़े मीडिया हाउस Kantipur की शुरुआत साल 1993 में हुई थी. आरोप है कि Kantipur ने इस विरोध प्रदर्शन की आलोचना की थी, जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने इसकी इमारत को आग के हवाले कर दिया.
इसी तरह का हमला दमक के ओली टावर पर हुआ और यहां भी आगजनी के बाद सेना की सभी टुकड़ियों पीछे हट गईं और प्रदर्शनकारियों ने ऐलान किया कि वो मौजूदा सरकार के किसी भी निशान को सुरक्षित नहीं छोड़ेंगे. सबसे बड़ी घटना काठमांडू में पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनाल के घर पर हुई, जहां प्रदर्शनकारियों ने उनकी पत्नी राज्यलक्ष्मी को बुरी तरह पीटा और इसके बाद उनके घर में आग लगा दी. नेपाल का मीडिया बता रहा है कि इस घटना में पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी घायल होने के बाद बुरी तरह जल भी गई थीं और जब उन्हें अस्पताल ले जाया गया तो वहां उनकी इलाज से पहले ही मौत हो गई.
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