सूखे पहाड़ों के बीच बसी नीली लेक की कहानी, जो दो देशों को जोड़ती है

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भारत के उत्तरी हिस्से में मोजूद लद्दाख जिसका पूरा इलाका ऊंची-नीची बंजर पहाड़ियों से मिलकर बना है. बंजर इसलिए क्योंकि यहां बारिश नाम मात्र की होती है. अगर आप लद्दाख में हरियाली की तलाश करने निकलेंगे, तो शायद ही आपको कहीं मिलेगी. यहां दूर- दूर तक पेड़ नहीं दिखते हैं और न ही पौधे यहां सिर्फ रेतीली जमीन नजर आती है. जो अक्सर बर्फ से ढकी रहती है, गर्मी के मौसम में जब बर्फ बिघलती है, तो उससे नदियां निकलती हैं. 60 हजार वर्ग किलोमीटर के इस पूरे इलाके की आबादी महज 3 लाख की है.  सूखे पहाड़ों के बीच लद्दाख में जहां नाम मात्र की हरियाली दिखती है, उस शहर में ऐसी एक लेक हैं, जो दुनिया भर के टूरिस्टों के आकर्षण का केंद्र है. 


पैंगॉन्ग लेक की खासियत

13 हजार फीट की ऊंचाई पर पहाड़ों पर बसी पैंगॉन्ग लेक की लंबाई करीब 160 किलोमीटर लंबी है, जो इसे खास लेक बनाती है.  ये लेक इतनी बड़ी है कि इससे दो देश जुड़े हैं. भारत में इसका नाम पैंगॉन्ग लेक है, तो वहीं तिब्बत में त्सो न्याक नाम से जानी जाती है. इस झील का करीब 50 फीसदी हिस्सा चीन के तिब्बत वाले हिस्से में है. 40 फीसदी लद्दाख में हैं. 10 फीसदी हिस्से को लेकर अक्सर भारतीय और चीनी सेना के बीच विवाद होता रहता है. इस झील का सबसे चौड़ा इलाका 5 किलोमीटर का है. 

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तीन पहाड़ी रेंज से घिरा हुआ, हर रेंज की अपनी खासियत

नमकीन पानी होने के बावजूद इस झील में सर्दियों में बर्फ जम जाती है. यह झील अपने भौगोलिक स्थिति की वजह से भी काफी ज्यादा अद्भुत है. इसके तीन तरफ अलग-अलग माउंटेन रेंज हैं. पहला चांगचेनमो रेंज, दूसरा पैंगॉन्ग रेंज. ये दोनों ही काराकोरम रेंज के सब-रेंज हैं. इस लेक से जुड़े गावोंं की खूबसूरती इस झील ने बढ़ा दी है. लेक से सटा गांव Merak प्राकृतिक सुंदरता का अदभूत संगम है. 

कैसे जाएं पैंगॉन्ग लेक

कैसे जाएं पैंगॉन्ग लेक

लेह से करीब 5 घंटे की ड्राइव कर पैंगॉन्ग लेक पहुंचा जा सकता है. लेह के लिए देश के कई शहरों से डायरेक्ट फ्लाइट है. लेह से आप टैक्सी लेकर इस खूबसूरत लेक का टूर सकते हैं. मोटर बाइक, कार और जीप भी यहां किराए पर उपलब्ध रहती है.  लेह से चांगला दर्रा होते हुए तांगस्टे जाना होता है. रास्ते में आपको बर्फ से ढके पहाड़ नजर आएंगे. एहतियात के लिए आप अपने साथ सिलेंडर जरूर रखें, क्योंकि ऊंचाई पर जाने से आपको सांस लेने में दिक्कत हो सकती है. जैसे-जैसे आप ऊंचाई पर जाएंगे. वैसे वैसे आपको दिक्कत महसूस हो सकती है. लोगों की सुविधा के लिए जगह-जगह पर आर्मी के कैंप हैं. जो इमरजेंसी में लोगों को मेडिकल सुविधा देने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं.   

बॉलीवुड की भी पसंद है ये लोकेशन

इस लेक की खूबसूरती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये बॉलीवुड के फिल्म मेकर्स की भी पसंद हैं. कई फिल्मों की शूटिंग इस लेक के किनारे हुई है. आमिर खान की सुपरहिट फिल्म 3 इडियट का आखिरी सीन, जिसमें करीना कपूर और आमिर मिलते हैं इसी लेक के किनारे फिल्माया गया था. 


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