'अब मैं एग्जाम कैसे दूंगी?', छात्रों के लिए भी मुसीबत बनी दिल्ली की बाढ़, पानी में बह गईं यूनिफॉर्म-किताब

2 days ago 1

दिल्ली में यमुना का जलस्तर लगातार खतरे के निशान से ऊपर बना हुआ है. गुरुवार दोपहर 2 बजे तक यमुना का स्तर 207.445 मीटर दर्ज किया गया. निचले इलाकों में पानी भरने से आम लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. कहीं किताबें और यूनिफॉर्म सूखाने के लिए घरों की चारपाई और रस्सियों पर टंगी नजर आईं, तो कहीं बाढ़ राहत शिविरों तक में पानी घुस गया और लोगों को दोबारा विस्थापित होना पड़ा.

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक यमुना खादर और मयूर विहार फेज-1 जैसे प्रभावित इलाकों में बच्चों के सामने सबसे बड़ी चुनौती अब पढ़ाई की है. बाढ़ में कई बच्चों की किताबें, कॉपियां और यूनिफॉर्म बह गईं या भीगकर खराब हो गईं. कक्षा 11 की छात्रा अनुराधा कहती हैं, “मेरी कई किताबें और कॉपियां बह गईं. अब मैं सहपाठियों से किताबें मांगकर देर रात तक नोट्स कॉपी करती हूं, लेकिन बहुत मुश्किल हो रहा है. बीच साल में नई किताबें और यूनिफॉर्म कौन देगा?”

कक्षा 10 की छात्रा मानवी का दर्द भी कुछ ऐसा ही है. उनकी परीक्षा नज़दीक है लेकिन नोट्स और किताबें सब पानी में बह गए. “यहां तक कि स्कूल की यूनिफॉर्म भी खो गई है. बिना किताब और कपड़ों के मैं परीक्षा कैसे दूंगी?” वह कहती हैं.

'बच्चों की पढ़ाई रुकने नहीं दूंगी'

बाढ़ से प्रभावित एक और मां गीता मदान ने अपने बेटे की शर्ट को गैस चूल्हे पर स्टील की थाली रखकर सुखाने की कोशिश की. उनका कहना है, “जो भी हो, मैं बच्चों की पढ़ाई नहीं रुकने दूंगी. भले ही रोज एक ही यूनिफॉर्म धोकर सुखानी पड़े, लेकिन उन्हें स्कूल भेजूंगी.”

आठ साल का अंकुश तीन दिन से स्कूल नहीं गया. वह बाढ़ प्रभावित शिविर के बाहर गली में साइकिल चला रहा था. उसने कहा, “मेरे कपड़े गंदे हो गए हैं, मम्मी ने कहा है जब तक सूखेंगे तब तक यही शर्ट पहननी है.”

स्थानीय मजदूर रमेश कुमार, जिनकी बेटी नौवीं कक्षा में पढ़ती है, चिंतित हैं कि पढ़ाई में उसकी सालभर की मेहनत नष्ट हो जाएगी. वे कहते हैं, “खाने के लिए मैं पैसे का इंतजाम कर लूंगा, लेकिन किताबें और यूनिफॉर्म दोबारा कैसे खरीदूं, समझ नहीं आता.”

राहत शिविरों तक पहुंचा बाढ़ का पानी

यमुना का जलस्तर बढ़ने से यमुना बाजार और मयूर विहार फेज-1 के कई राहत शिविर भी पानी में डूब गए. ऐसे में लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट करना पड़ा. कई परिवार नाव और ट्रैक्टर-ट्रॉली के सहारे सरकारी स्कूलों में बनाए गए नए आश्रयों तक पहुंचे.

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) के 16वीं बटालियन के कमांडेंट अबुजाम बिजॉय कुमार सिंह ने बताया, “हमने यमुना बाजार और अन्य संवेदनशील इलाकों से अब तक करीब 1,150 लोगों को सुरक्षित निकाला है. चार यूनिट लगातार काम कर रही हैं. पानी का स्तर अब स्थिर हो गया है और रात तक घटने की संभावना है.”

उन्होंने कहा कि इस बार 2023 की तुलना में स्थिति थोड़ी आसान रही क्योंकि लोग अधिक सहयोगी बने. “पिछली बार की तरह ज़िद करने के बजाय इस बार लोग खतरे को समझ गए और स्वेच्छा से निकासी में सहयोग दिया.”

कारोबारियों और दुकानदारों का नुकसान

बाढ़ का असर केवल घरों तक सीमित नहीं रहा. बेला रोड और सिविल लाइंस के कई बाजारों में पानी भर गया. दुकानदार पुरषोत्तम कुमार का कहना है, “हमारी दुकानें पानी में डूब गईं. 10 लाख रुपये से ज्यादा का माल खराब हो चुका है.”

2023 की बाढ़ से तुलना

दिल्ली ने 2023 में भी भीषण बाढ़ देखी थी, जब यमुना का जलस्तर 208.66 मीटर तक पहुंच गया था और 25,000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकालना पड़ा था. 1978 में भी नदी का स्तर 207.49 मीटर तक गया था. इस बार यमुना ने फिर से 207 मीटर का आंकड़ा पार कर राजधानी में हाहाकार मचा दिया है.

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