लखनऊ के काकोरी कस्बे के शीतला माता मंदिर में बीमार दलित बुजुर्ग के साथ अमानवीय व्यवहार की घटना सामने आई. पीड़ित बुजुर्ग की पहचान हाता हजरत साहब निवासी रामपाल के रूप में हुई, जो सांस की बीमारी से पीड़ित हैं. बीते सोमवार को रामपाल मंदिर प्रांगण में बैठे थे, इसी दौरान बीमारी के कारण उनसे गलती से मंदिर परिसर में पेशाब हो गई.
इस पर नाराज होकर स्वामीकांत उर्फ पम्मू, जो काकोरी का ही रहने वाला बताया जा रहा है, ने बुजुर्ग को गालियां दीं और "मंदिर अपवित्र" करने का आरोप लगाया. आरोप है कि रामपाल से "मंदिर की शुद्धि" के नाम पर पेशाब चटवाई और फिर मंदिर परिसर को पानी से धुलवाया. इस दौरान रामपाल द्वारा जातिसूचक गालियां देने और मारपीट करने का भी आरोप लगा है.
पीड़ित रामपाल ने घटना के बाद काकोरी थाने पहुंचकर लिखित शिकायत दी और न्याय की मांग की. पुलिस ने मामले की जानकारी मिलते ही आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है. मामले में एसीपी काकोरी शकील अहमद ने बताया कि पीड़ित की तहरीर के आधार पर संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.
वहीं, स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने घटना की कड़ी निंदा की और आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं. सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इस मामले में तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने 'एक्स' पर लिखा- 'किसी की भूल का अर्थ ये नहीं कि उसे अपमानजनक अमानवीय सजा दी जाए. परिवर्तन ही परिवर्तन लाएगा.'
मंदिर में दलित से अमानवीय व्यवहार का आरोप, सियासत शुरू
आपको बता दें कि दिवाली के दिन लखनऊ के मंदिर के पास एक बुजुर्ग दलित आदमी को कथित तौर पर जमीन चाटने के लिए मजबूर किया गया, क्योंकि उस पर वहां पेशाब करने का आरोप था. उधर, 60 साल के दलित आदमी के पोते ने दावा किया है कि उसके दादा को सांस लेने में दिक्कत है, और खांसते समय गलती से पेशाब हो गया था.
पुलिस के मुताबिक, यह कथित घटना सोमवार शाम करीब 7 बजे हुई, और आरोपी ने दावा किया है कि दलित आदमी को सिर्फ जमीन चाटने के लिए मजबूर किया गया था. अब इस घटना से राजनीतिक बहस शुरू हो गई और विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर निशाना साधा.
शिकायत में, रामपाल रावत ने कहा, "कल शाम, मैं लखनऊ के काकोरी इलाके में शीतला माता मंदिर में पानी पी रहा था, तभी स्वामीकांत ने मुझ पर पेशाब करने का आरोप लगाया. मैंने कहा कि मैंने पेशाब नहीं किया है, और वहां पानी गिर गया है." शिकायत करने वाले ने पुलिस को बताया, "लेकिन, वह (पम्मू) नहीं माना और मुझे जातिवादी गालियां दीं. उसने मुझे धमकाया और मुझसे पेशाब चाटने को कहा."
रामपाल रावत के पोते मुकेश कुमार ने बताया, "मेरे दादाजी को सांस लेने में दिक्कत है. अगर वह बताई गई दवाएं नहीं लेते हैं, तो शायद वह बच नहीं पाएंगे. कल शाम उन्हें खांसी आने लगी और गलती से पेशाब हो गया. इसके बाद पम्मू वहां आया और मेरे दादाजी को जातिवादी गालियां देने लगा."
मुकेश कुमार ने कहा कि उनके दादाजी डर गए और जब उनसे चाटने को कहा गया, तो उन्होंने पेशाब चाटा. उन्होंने दावा किया कि इसके बाद आरोपियों ने रामपाल से वह जगह धुलवाई. दादाजी ने रात में किसी को इस घटना के बारे में नहीं बताया. उन्होंने आज यानी कि मंगलवार को घटना के बारे में बताया. पोते ने कहा, "इसके बाद, हमने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई."
मुकेश कुमार ने यह भी कहा कि मुख्य मंदिर उस जगह से कम से कम 40 मीटर दूर था, जहां उनके दादा ने गलती से पेशाब कर दिया था. फिलहाल, आरोपी स्वामीकांत के खिलाफ BNS सेक्शन 115(2), 351(3) और 352 व अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है.
कांग्रेस के आरोप, पुलिस का जवाब
X पोस्ट में कांग्रेस ने कहा, "लखनऊ में, एक RSS वर्कर ने एक बुजुर्ग दलित आदमी को अपना पेशाब चाटने के लिए मजबूर किया. बुजुर्ग आदमी एक मंदिर के आंगन में बैठा था, जब बीमारी की वजह से उसने गलती से पेशाब कर दिया." पार्टी ने दावा किया, "गुस्से में एक RSS वर्कर मौके पर पहुंचा और उसे जातिसूचक गालियां देते हुए, उसे पेशाब चाटने के लिए मजबूर किया." हालांकि, पुलिस ने कहा कि आरोपी का RSS से कोई लेना-देना नहीं है.
कांग्रेस ने आगे कहा, "BJP शासित उत्तर प्रदेश में हुई यह घटना इंसानियत पर धब्बा है. कांग्रेस ने कहा, "यह घटना RSS-BJP की दलित विरोधी सोच की निशानी है. दलितों के लिए नफरत उनके खून में है. इसीलिए वे संविधान खत्म करके देश में 'मनुवाद' लागू करना चाहते हैं, ताकि वे जाति के आधार पर लोगों का शोषण कर सकें."
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