आज दुनिया के हर घर में इस्तेमाल 'कोका-कोला' का इस्तेमाल होता है. यह कोल्ड ड्रिंक दवा बनाने के प्रयोग में हुई एक गलती की वजह से अस्तित्व में आई. इससे पहले कोक या कोल्ड ड्रिंक जैसा पेय भी बनाया जा सकता है, इस बारे में लोग नहीं जानते थे.
कोका कोला का इतिहास बेहद अनोखा है. हिस्ट्री.कॉम के अनुसार, 1866 में जॉन पेम्बर्टन नाम के एक अमेरिकी फार्मासिस्ट एक दर्द निवारक दवा बनाने की कोशिश कर रहे थे. पेम्बर्टन गृहयुद्ध में गंभीर रूप से घायल हो गए थे और उन्हें मॉर्फिन की लत लग गई थी. इसे वह एक प्रभावी, अफीम-मुक्त विकल्प का आविष्कार करके कम करना चाहते थे.
बिना अल्कोहल वाली दर्द निवारक दवा बनाई जा रही थी
इस तरह पेम्बर्टन ने एक कोका नाम की फ्रेंच वाइन वाइन बनाई. इसमें अल्कोहल में कोकीन युक्त पौधे की पत्तियां और कोला नट्स मिलाया गया था.पेम्बर्टन की यह फ्रेंच वाइन काफी लोकप्रिय हो गई. इसका असर एक दर्द निवारक दवा की तरह होता था. इसके बाद उनके गृह राज्य जॉर्जिया में संयम आंदोलन जोर पकड़ने लाग. ऐसे में उन्हें अल्कोहल फ्री दर्द निवारक ड्रिंक बनाने की जरूरत महसूस हुई.
गलती से मिला दिया कार्बोनेटेड पानी
पेम्बर्टन ने इसमें वाइन की जगह चीनी की चाशनी का इस्तेमाल किया. इस मिश्रण को बनाते समय उन्होंने गलती से उसमें कार्बोनेटेड पानी मिला दिया. इसे चखने के बाद, उन्होंने इसे दवा के बजाय एक फाउंटेन ड्रिंक के रूप में बेचने का फैसला किया और इसके मूल इंग्रेडिएंस के नाम पर इसका नाम 'कोका-कोला' रखा.
इस नए उत्पाद के ईजाद के बाद दुर्भाग्य से, पेम्बर्टन का स्वास्थ्य बिगड़ता गया. साथ ही मॉर्फिन पर उनकी निर्भरता भी बढ़ती गई. इस तरह अपने आविष्कार के दो साल बाद ही गरीबी में उनकी मृत्यु हो गई.
अब हर कोई चख चुका है इस दर्द निवारक दवा का स्वाद
तब तक, उन्होंने अपने शेयर अपने व्यापारिक साझेदार आसा ग्रिग्स कैंडलर को बेच दिए थे. जिन्होंने कोका-कोला को देश की सबसे सफल कंपनियों में से एक बना दिया. आज कोका काल दुनिया भर में फेमस हो चुका है और इसका इस्तेमाल करीब-करीब हर घर में होता है. शायद ही कोई ऐसा शख्स हो जिसने इसका स्वाद नहीं चखा होगा.
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