भारत के पहले स्वदेशी हल्के टैंक जोरावर प्राइमरी ट्रायल पूरा हो चुका है. सितंबर-अक्टूबर में लद्दाख में भारतीय सेना इसका यूजर ट्रायल शुरू कर देगी. इस टैंक ने अपनी शुरुआती जांच में 105 मिमी तोप की फायरिंग, गतिशीलता और पानी में तैरने की क्षमता को दिखाया. डीआरडीओ प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत ने इसकी पुष्टि की है.
जोरावर लाइट टैंक: क्यों है खास?
जोरावर लाइट टैंक को खास तौर पर लद्दाख और सिक्किम जैसे ऊंचाई वाले इलाकों के लिए बनाया गया है, जहां भारी टैंक जैसे टी-72 और टी-90 काम करने में मुश्किल पाते हैं. इसका वजन सिर्फ 25 टन है, जो इसे हल्का और तेज बनाता है. यह टैंक 2020 में भारत-चीन के गलवान घाटी विवाद के बाद शुरू किए गए प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जब चीन ने अपने टाइप-15 लाइट टैंक को LAC पर तैनात किया था. जोरावर को इसका जवाब देने के लिए डिजाइन किया गया है.
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इस टैंक की कुछ खास विशेषताएं हैं...
- 105 मिमी तोप: बेल्जियम की कंपनी जॉन कॉकेरिल की 105 मिमी बैरल, जो एंटी-टैंक मिसाइल भी दाग सकती है. यह पहाड़ी युद्ध के लिए 42 डिग्री तक ऊपर उठ सकती है.
- पावर: अमेरिकी कंपनी कमिंस का 750-1000 हॉर्सपावर का इंजन, जो 30 हॉर्सपावर प्रति टन का अनुपात देता है. यह टैंक को तेज और फुर्तीला बनाता है.
- पानी में तैरने की क्षमता: यह टैंक नदियों और दलदली इलाकों में भी काम कर सकता है.
- आधुनिक तकनीक: ड्रोन, लॉइटरिंग म्यूनिशन और एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम (APS) से लैस है.
- हवाई परिवहन: भारतीय वायुसेना का C-17 ग्लोबमास्टर III इसे आसानी से लद्दाख जैसे दूर के इलाकों में ले जा सकता है.
ट्रायल में अब तक क्या हुआ?
जोरावर टैंक ने कई महत्वपूर्ण जांच पास कर ली हैं...
- जनवरी 2024: गुजरात के हजीरा में L&T की फैक्ट्री में ट्रैक ट्रायल शुरू हुए.
- सितंबर 2024: राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में पहले चरण के ट्रायल (डेजर्ट ट्रायल) हुए, जहां टैंक ने अपनी 105 मिमी तोप से सटीक निशाना लगाया. इसे फर्स्ट राउंड हिट प्रोबेबिलिटी (FRHP) कहा जाता है, जो आधुनिक युद्ध में बहुत जरूरी है.
- दिसंबर 2024: लद्दाख के न्योमा में 4200 मीटर से ज्यादा ऊंचाई पर हाई-एल्टीट्यूड ट्रायल हुए. टैंक ने ठंडे मौसम, पथरीले रास्तों और खड़ी चढ़ाई में शानदार प्रदर्शन किया.
- जनवरी 2025: डीआरडीओ ने सभी डेवलपमेंटल ट्रायल पूरे कर लिए. अब टैंक सेना के लिए तैयार है.
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डीआरडीओ प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत ने बताया कि सितंबर या अक्टूबर 2025 से लद्दाख में यूजर ट्रायल शुरू होंगे. ये ट्रायल 12-18 महीने तक चलेंगे, जिसमें सेना टैंक को गर्मी, सर्दी और ऊंचाई वाले इलाकों में परखेगी. 2027 तक टैंक सेना में शामिल होने की उम्मीद है.
स्वदेशी और वैश्विक सहयोग
जोरावर टैंक भारत की आत्मनिर्भर भारत पहल का शानदार उदाहरण है. इसे डीआरडीओ के कॉम्बैट व्हीकल्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (CVRDE) और L&T ने सिर्फ दो साल में बनाया. कई छोटी-बड़ी भारतीय कंपनियां (MSME) भी इसके सब-सिस्टम बनाने में शामिल हैं. हालांकि, कुछ हिस्से विदेशी हैं...
- इंजन: शुरू में जर्मनी की MTU कंपनी का 800 हॉर्सपावर इंजन चुना गया, लेकिन जर्मन निर्यात नियमों के कारण देरी हुई. इसके बाद कमिंस का 750-1000 हॉर्सपावर इंजन लिया गया. कमिंस अब भारत में इंजन बनाने की योजना बना रहा है. डीआरडीओ भी स्वदेशी इंजन पर काम कर रहा है.
- तोप: बेल्जियम की जॉन कॉकेरिल की 105 मिमी बैरल का इस्तेमाल हुआ, लेकिन L&T इसके भारत में लाइसेंस उत्पादन की बात कर रहा है.
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सेना की जरूरत और भविष्य
भारतीय सेना ने 354 जोरावर टैंक खरीदने की योजना बनाई है, जिसमें 59 टैंकों का पहला ऑर्डर L&T को मिला है. बाकी 295 टैंकों के लिए प्रतियोगिता होगी, जिसमें भारत फोर्ज भी हिस्सा ले रहा है. इस प्रोजेक्ट की लागत करीब 17,500 करोड़ रुपये है.
यह टैंक चीन के टाइप-15 लाइट टैंक का मुकाबला करेगा, जो LAC पर तैनात है. जोरावर का नाम 19वीं सदी के डोगरा जनरल जोरावर सिंह के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने लद्दाख और तिबेट में कई जीत हासिल की थीं.यूजर ट्रायल में टैंक की हर तरह की जांच होगी, जैसे...
- रेगिस्तान, बर्फ और नदियों में गतिशीलता.
- कवच की मजबूती और एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम.
- इंजन और ट्रांसमिशन की स्थिरता.
भारत की सैन्य ताकत में इजाफा
जोरावर लाइट टैंक भारत की सैन्य ताकत को नई ऊंचाई देगा. यह न सिर्फ लद्दाख जैसे कठिन इलाकों में सेना को मजबूत करेगा, बल्कि स्वदेशी रक्षा निर्माण को भी बढ़ावा देगा. डीआरडीओ और L&T की साझेदारी ने दो साल में यह कमाल कर दिखाया. अगर यूजर ट्रायल सफल रहे, तो 2027 तक जोरावर सेना का हिस्सा बन जाएगा.
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