यूक्रेन में सालों से स्कूल नहीं गए बच्चे... अब जमीन के कई फीट नीचे बनाए जा रहे हैं ऐसे स्पेशल स्कूल!

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रूस-यूक्रेन युद्ध ने वहां के बच्चों की पढ़ाई पर गहरा असर किया है, फरवरी 2022 में जब लड़ाई शुरू हुई थी तो यूक्रेन का एक स्कूल बंद करना पड़ गया था, जिस वजह से बच्चों की क्लासें केवल ऑनलाइन तक ही सीमित हो गई. अब तीन साल बाद मायकोलाइव शहर का यह स्कूल फिर से खोला गया है लेकिन अब ये स्कूल जमीन से लगभग 7 फीट नीचे शेल्टर के रूप में बनाया गया है, ताकि बच्चे सुरक्षित माहौल में पढ़ाई कर सकें.

सालों से नहीं देखे बच्चों ने स्कूल

Mirror की एक रिपोर्ट के अनुसार यूक्रेन के मायकोलाइव शहर में 2022 के बाद से बच्चों ने ऑफलाइन स्कूल के दर्शन तक नहीं किए थे. यह स्कूल 2022 के बाद ही बंद हो गया था, जो कि इस हफ्ते शेल्टर के साथ शुरू कर दिया गया है. रूस के हमले के बाद पहली बार यूक्रेन के इस शहर में 53 छात्र वापस पढ़ने के लिए स्कूल लौटे. यहां UNICEF की फंडिंग की मदद से शेल्टर स्कूल बनाया गया है, यह स्कूल बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जमीन के 7 फीट नीचे बनाया गया है.

बच्चों ने बताया अपना दुख

16 साल की डारिया नाम की लड़की बताती है कि उसे अब ठीक से याद तक नहीं है कि युद्ध से पहले उसका स्कूल कैसा दिखता था. डारिया जो की 11वीं क्लास में पढ़ती है वो बताती है कि मुझे युद्ध से पहले की स्कूल लाइफ के बारे में कुछ भी याद नहीं है, मेरी लाइफ युद्ध से पहले और बाद के बीच बंट गई है, युद्ध के कारण उसके पास कोई भी खास यादें शेष नहीं रह गई है.

पहले कोरोना, फिर युद्ध ने रोकी पढ़ाई

यह स्कूल पहले 2020 में कोरोना महामारी के दौरान बंद हुआ था, जिसके बाद 2021 में हाइब्रिड मॉडल से पढ़ाई शुरू की गई, लेकिन 2022 में रूस-यूक्रेन जंग ने के चलते स्कूल फिर से बंद करना पड़ गया. अब सुरक्षा इंतजामों के साथ यह स्कूल एक नए रूप में बच्चों के लिए खोला गया है. कई बच्चे बताते हैं कि वो ऑनलाइन क्लास से थक चुके हैं और अब स्कूल जाकर नए दोस्त बनाना चाहते हैं.

बच्चों को शिफ्ट के हिसाब से पढ़ाया जा रहा

यूक्रेन के Lyceum No.53, में लगभग 1,000 स्टूडेंट हैं, लेकिन इनमें से भी 300 स्टूडेंट अभी तक रिमोट लर्निंग कर रहे हैं. इनमें छोटे बच्चों को सुबह की शिफ्ट में और बड़े बच्चों को दिन की शिफ्ट में पढ़ाया जाता है.

UNICEF ने की मदद

UNICEF ने मायकोलाइव क्षेत्र में स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर शेल्टर स्कूल बनाने में फंडिंग देकर मदद की है, जिसके बाद से बच्चे अब स्कूल में जाकर पढ़ पा रहे हैं. यह बच्चों का मानसिक स्थिति को सुधारने में काफी मदद कर सकता है. काफी समय बाद वापस स्कूलों में लौटकर आना बच्चों के मेंटल हेल्थ को लाभ पहुंचाने में मदद कर सकता है.

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