बॉलीवुड डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री अपनी फिल्म 'द बंगाल फाइल्स' को लेकर आ गए हैं. 5 सितंबर को ये पिक्चर देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है. इस बीच आजतक डिजिटल ने फिल्म की एक्ट्रेस पल्लवी जोशी से खास बातचीत की. इंटरव्यू के दौरान पल्लवी ने बताया कि उन्होंने इस फिल्म को क्यों किया, पिक्चर के ट्रेलर लॉन्च इवेंट पर क्या हुआ था. साथ ही उन्होंने बताया कि वो दर्शकों को अपनी फिल्म से क्या सीख देना चाहती हैं. पल्लवी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से उनकी फिल्म देखने की प्रार्थना भी की.
आपने द बंगाल फाइल्स करने का फैसला क्यों किया?
हमने 2012 में सोचा था कि हम लोग ट्रिलजी बनाएंगे. ट्रिलजी बहुत कम फिल्ममेकर्स ने बनाई है पूरी दुनिया में. हमें पता नहीं था कि ट्रिलजी खत्म कर पाएंगे या नहीं क्योंकि तब फंड्स की बहुत दिक्कत थी. कोई हमें फंड करने के लिए तैयार नहीं था. किसी तरह ताशकंद फाइल्स बनी. वो स्लीपर हिट रही. 100 दिन से भी ऊपर वो फिल्म चलती रही. उसके बीच में स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2 आई, कलंक आई, एवेंजर्स एंड गेम आई, लेकिन फिर भी ताशकंद ऊपर उठती रही. तो उससे थोड़ा सा कॉन्फिडेंस मिला हमारे इन्वेस्टर्स को.
फिर हमने कश्मीर फाइल्स बनाई और फिर हमने ये (बंगाल फाइल्स) बनाई. पहले से फैसला किया हुआ था कि हम अपने लोकतंत्र पर फिल्में बनाएंगे. हमारे जो तीन मूलभूत अधिकार हैं, उनके ऊपर बनाएंगे. सत्य का अधिकार, न्याय का अधिकार और जीने का अधिकार, ये मूलभूत अधिकार हैं. हमने पंजाब से पूरी हमारी रिसर्च शुरू की, जिसमें डायरेक्ट एक्शन डे और नोआखली जेनोसाइड, ये दो बहुत बड़े मुद्दे निकलकर आए. हमने सोचा था कि हम ये फिल्म दो पार्ट्स में बनाएंगे. हमने इसका नाम रखा था दिल्ली फाइल्स: बंगाल चैप्टर और फिर दूसरी फिल्म होती दिल्ली फाइल्स और उसके साथ कोई और चैप्टर. लेकिन जबतक हमने इसकी फिल्म रखी और सबकुछ हुआ तब तक हमें पता चल गया था कि सिर्फ एक फिल्म काफी है. फिर हमने इसका नाम द बंगाल फाइल्स रखा.
फिल्म के ट्रेलर लॉन्च इवेंट पर क्या हुआ था?
जब रिसर्च हमने शुरू की तभी एक बंगाल से बयान आ गया था कि कुछ लोग बंगाल फाइल्स बनाना चाह रहे हैं और हम उनको अपने राज्य में आने नहीं देंगे. उनकी फिल्म यहां रिलीज नहीं होने देंगे. ये खुद मुख्यमंत्री जी (ममता बनर्जी) के ही शब्द थे. उनका एक वीडियो भी है, जिसमें उन्होंने ये कहा. उसके बाद हमने ये फिल्म किसी तरह पूरी की. बहुत बड़ी बात ये है कि ताशकंद फाइल्स की शूटिंग हमने ताशकंद में की, कश्मीर फाइल्स की शूटिंग कश्मीर में की. लेकिन बंगाल फाइल्स की शूटिंग हमने बंगाल में बिल्कुल नहीं की. हर ही नहीं सके, इसलिए हमने मुंबई में सेट लगाया था. मेरे ख्याल से जैसे खबर फैलने लगी तो बहुत सारी FIR दर्ज होने लगी. तरह-तरह के आरोप लगने लगे उसमें.
16 अगस्त को मोहम्मद अली जिन्ना ने एक डायरेक्ट एक्शन डे का ऐलान किया था. इस तरह से उन्होंने हिंदुओं का नरसंहार वहां पर शुरू किया था. लेकिन कुछ हीरो थे हमारे. जैसे गोपाल मुखर्जी थे. उन्होंने इस मूवमेंट के खिलाफ खड़े होकर लोगों को जोड़ा. 16 अगस्त को डायरेक्ट एक्शन डे की एनिवर्सरी होती है, तो हमने सोचा ये एक अच्छा दिन है. एक ऐसा दिन है जो इतिहास में दर्ज है और जो फिल्म बंगाल पर बनी है, डायरेक्ट एक्शन डे पर बनी है, उसी की एनिवर्सरी पर उनका ट्रेलर बंगाल में लॉन्च होना चाहिए. ये हमारा ख्याल उसके साथ जुड़ा था. तो हम गए और फिर आपने देखा ही होगा सोशल मीडिया पर जो भी हुआ वहां पर. हमें ट्रेलर दिखाने नहीं दिया.
गोपाल मुखर्जी के पोते ने एक इंटरव्यू में कहा है कि फिल्म में उनका चित्रण गलत तरह से किया गया है. आपका क्या कहना है?
हमारी फिल्म में गोपाल मुखर्जी हीरो हैं. एक हीरो की तरह उनकी एंट्री होती है. जब वो आते हैं स्क्रीन पर उनके लिए तालियां बजती हैं और लोग उन्हें सलाम करते हैं. जो उनके पोते हैं, तो मैं समझती हूं... क्या होता है न जब कोई चीज चलने लगती है तो बहुत सारे लोग उस गाड़ी पर सवार होना चाहते हैं. तो मैं उनसे ये कहना चाहूंगी कि पहले वो ये फिल्म देखें और फिर इस तरह की टिपण्णियां करें. महज ट्रेलर देखकर कोई बता नहीं सकता कि फिल्म के अंदर क्या है.
डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को फिल्म दिखाना चाहते हैं, आपका क्या ख्याल है?
मैं भी उन्हें ये फिल्म दिखाना चाहती हूं. मैं ये समझती हूं कि वो एक महिला हैं, भारतीय हैं और मुख्यमंत्री हैं हमारे एक प्रदेश कीं. इस लिहाज से मेरी प्रार्थना है उनसे. मैं चाहती हूं कि वो हमसे मिलें, हमसे बातचीत करें, हो सके तो ये फिल्म देखें. उनके भी परिवार में मुझे लगता है ऐसे लोग होंगे, जिन्होंने डायरेक्ट एक्शन डे को अपने सामने देखा होगा. नोआखली जेनोसाइड को अपने सामने देखा होगा. उनका भी इतिहास कहीं न कहीं इससे जुड़ा हुआ है, क्योंकि वो खुद बंगाली हैं. तो उनको भी सेंसिटिव होना चाहिए इस विषय को लेकर. तो बिल्कुल मेरी उनसे प्रार्थना है हाथ जोड़कर, एक महिला की दूसरी महिला से कि वो देखें हमारे फिल्म और उसको रिलीज होने दें बंगाल में.
फिल्म के ट्रेलर को हिंसक बताया जा रहा है. क्या बंगाल में सांप्रदायिक सद्भाव पर फिल्म का असर पड़ सकता है?
अगर हमने इस उद्देश्य से फिल्म बनाई होती तो क्या सीबीएफसी जो एक संवैधानिक निकाय है, क्या वो हमारी फिल्म को बिना किसी कट के पास करती. कोई भी जिम्मेदार फिल्मकार जो होता है उसको अपनी नागरिक की ड्यूटी बहुत अच्छे से पता होती है. हमारी पिछली फिल्में या मेरे करियर का सारा काम अगर आप देखें, तो आप समझ जाएंगे कि हम किस तरह की फिल्में करते हैं. तो ये जितने लोगों को कुछ आधा सत्य देखकर टिपण्णी करने की आदत है, वो सोशल मीडिया पर बहुत बोलते हैं, बहुत लिखते हैं. उससे प्रभावित होकर अगर समाज व्यवहार करने लगा तब तो भारत का कुछ भविष्य ही नहीं रहेगा.
आपको इस फिल्म से क्या उम्मीद है कि ये कैसा प्रभाव दर्शकों पर डालेगी?
मुझे बोला गया कि आपकी फिल्म से हमें कुछ सीखने को मिलता है. इतिहास के ऐसे पन्ने हमको देखने को मिलते हैं और देखने को मिलते हैं, जिसके बारे में हमें पता नहीं है, जो हमने छुपाया गया है. हम समझते हैं कि जो युवा हैं उनको ये जानना जरूरी है. आप लोगों को पता ही नहीं है कि आपके साथ क्या हुआ. अगर आपको पता ही नहीं है तो हो सकता है कि आगे चलकर आप कुछ ऐसी गलतियां करें, जिससे कि यही पूरी चीज दोबारा दोहराई जाए. तो अगर आपको आगे एक जागरूक नागरिक बनकर जीना है. अगर अपना भविष्य अच्छे से तय करना है. आप चाहते हैं कि आपका जीवन सम्पन्न हो, सुख-शांति से बना रहे, तो आपको अपना अतीत जानना बहुत जरूरी है. अगर आपको किसी ने बताया ही नहीं कि आपके साथ क्या घट चुका है और आपको किसी ने बताया ही नहीं कि कितना हिंसक मां भारती का अतीत रहा है. अगर आपको ये बताया ही न जाए कभी तो आपका क्या अतीत हो सकता है. आप क्या लेकर आगे बढ़ेंगे जीवन में. आपको अगर अपने घाव पता है तो आप दूसरों के घाव पर भी मरहम लगा सकते हैं.
अंत में पल्लवी जोशी ने उम्मीद जताई कि 5 सितंबर को रिलीज हो रही फिल्म अच्छी जाए और दर्शक इसे पसंद करें. इस पिक्चर के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री हैं. फिल्म में अनुपम खेर, दर्शन कुमार, मिथुन चक्रवर्ती, सिमरत कौर रंधावा, शाश्वत चटर्जी संग पल्लवी जोशी ने काम किया है.
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