'बच्चन परिवार में नहीं होते झगड़े, आराध्या करती हैं सम्मान', बोलीं नव्या नवेली नंदा

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प्रोफेशनली तो बच्चन परिवार अक्सर सुर्खियों में रहता ही है. लेकिन कभी-कभी परिवार के अंदर की कलह की अफवाहें भी चर्चा में आ जाती हैं. कई बार ऐश्वर्या राय और अभिषेक बच्चन के बीच की अनबन या जया बच्चन-श्वेता नंदा से ऐश्वर्या की खटपट पर बातें की जाती हैं. लेकिन ये सभी चर्चाएं हवा में ही रह जाती हैं. अब आखिरकार नव्या नवेली नंदा ने इन बातों पर चुप्पी तोड़ी है. 

नव्या ने बताया कि उनके घर का माहौल बिल्कुल वैसा ही है जैसा कि उनके पॉडकास्ट व्हॉट द हेल नव्या में दिखाई देता है. उनके बीच गपशप होती है, खुलकर बातचीत होती है, कभी-कभी असहमति भी होती है, लेकिन लड़ाई कभी नहीं होती. सब एक दूसरे की रिस्पेक्ट करते हैं. उन्होंने ये भी बताया कि दादा-दादी (अमिताभ बच्चन और जया बच्चन) के साथ बड़े होने ने उनके संस्कारों और सोचने के तरीके को गहराई से प्रभावित किया.

बच्चन परिवार में नहीं होती लड़ाई

मोजो स्टोरी से बात करते हुए नव्या ने कहा,“मैंने अपने बचपन का बहुत सारा वक्त अपने दादा-दादी के साथ बिताया है, और आज भी हम सब साथ रहते हैं. जो मेरी उम्र के लोगों के लिए थोड़ा असामान्य है. हम झगड़ते नहीं हैं, बल्कि कई विषयों पर अच्छे से बहस करते हैं. हम आज के मुद्दों पर बात करते हैं, जो जरूरी हैं और जिन पर ध्यान देना चाहिए.”

उन्होंने आगे कहा,“जिसने भी हमारा पॉडकास्ट देखा है, उसे पता होगा कि हर एपिसोड में कोई न कोई असहमति या चर्चा होती है. लेकिन इसके बावजूद टकराव नहीं होता. भले ही हम सबकी शख्सियतें अलग-अलग हैं, लेकिन हमारे वैल्यूज एक जैसे हैं. ये वही वैल्यूज हैं जिन्होंने मुझे बनाया है और ये मूल्य मुझे मेरे परिवार के दोनों पक्षों से मिले हैं.”

बचपन से सिखाया गया परिवार का महत्व

नव्या ने बताया कि- सिर्फ वो ही नहीं, बल्कि उनके भाई अगस्त्य नंदा और उनकी कजिन आराध्या बच्चन (अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय बच्चन की बेटी) भी हमेशा सम्मान और परिवार के महत्व को समझते हुए बड़े हुए हैं. 

नव्या बोलीं,“हमने बचपन से ही परिवार और सम्मान के बीच में रहकर परवरिश पाई है. मुझे लगता है कि सम्मान हमारी पहचान का सबसे अहम हिस्सा है. चाहे वो मेरे दादा-दादी हों, मेरे कजिन हों या मेरा भाई. हम सिर्फ एक-दूसरे का ही नहीं, बल्कि अपने काम और अपनी जड़ों का भी बहुत सम्मान करते हैं.''

सीईओ से कम नहीं हाउसवाइफ रही मां 

नव्या ने आगे बताया कि उन्होंने ये भी महसूस किया कि उनकी मां का हाउस वाइफ के रूप में योगदान उनके पिता निखिल नंदा के एक बिजनेसमैन के रूप में योगदान जितना ही जरूरी है.

नव्या ने कहा कि,“मुद्दा ये नहीं है कि आप सीईओ हैं या गृहिणी. बात है उस चुनाव के प्रति सम्मान की, जो आप बनना चाहें, उसे पूरे गर्व से अपनाएं. कोई भी सिर्फ एक गृहिणी नहीं होती. मैंने अपने काम के दौरान ये बात गहराई से सीखी है. माताएं और गृहणियां अपने काम के लिए पर्याप्त सराहना नहीं पातीं. हम अक्सर सीईओ को सराहते हैं जो अरबों के कारोबार संभालते हैं, लेकिन एक गृहणी अगली पीढ़ी के नेताओं को तैयार करती है. यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, जिसे हम उतना महत्व नहीं देते.”

आखिर में नव्या ने कहा,“अब जब मैं बड़ी हो गई हूं, तो समझ पाती हूं कि मेरे माता-पिता ने मुझे बनाने में कितना समय और समर्पण लगाया. अब एहसास होता है कि ये काम कितना निस्वार्थ और अक्सर बिना धन्यवाद के रह जाता है. हम अपने माता-पिता और पालन-पोषण करने वालों को ठीक से धन्यवाद भी नहीं कहते और मेरे लिए, यही असली सशक्तिकरण है.”

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