Oil Board In CBSE Schools: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने हाल ही में अपने स्कूलों में Sugar Board लगाने का सर्कुलर जारी किया था, इसका मकसद था कि बच्चे समझ सकें कि चीनी का ज्यादा सेवन उनके लिए कैसे हानिकारक है. अब सीबीएसई ने स्कूलों में 'Oil Boards' को लगाने का भी फैसला लिया है.
शुगर बोर्ड के बाद अब लगाए जाएंगे ऑयल बोर्ड
इससे पहले, बोर्ड ने स्कूली बच्चों में मीठे खाद्य पदार्थों के सेवन को कम करने के लिए शुगर बोर्ड पहल की घोषणा की थी. इसे एक कदम आगे बढ़ाते हुए, आज जारी एक नए निर्देश में अस्वास्थ्यकर वसा और ऑयलों के अत्यधिक सेवन के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए इसी तरह के दृश्य संकेतों का आह्वान किया गया है.
ऑयल बोर्ड क्या हैं?
सर्कुलर के अनुसार, 'Oil Board' स्कूल परिसर के कैफेटेरिया, लॉबी और मीटिंग रूम जैसे स्थानों पर लगाए जाने वाले पोस्टर या डिजिटल डिस्प्ले हैं. इन बोर्डों का उद्देश्य छात्रों और कर्मचारियों को हाई फैट वाले खाद्य पदार्थों और ऑयलों के सेवन के हानिकारक प्रभावों के बारे में शिक्षित करना है. स्वस्थ खान-पान की आदतों को बढ़ावा देने के लिए ये पोस्टर्स छात्रों को रोज याद दिलाएंगे कि अपनी सेहत का ध्यान रखना है.
पांच में से एक व्यक्ति मोटापे से जूझ रहा है
भारत में, खासकर बच्चों और किशोरों में, बढ़ते मोटापे के स्तर को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच, ऑयल बोर्ड की शुरुआत हुई है. सीबीएसई द्वारा राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5, 2019-21) के आंकड़ों से पता चलता है कि शहरी क्षेत्रों में पांच में से एक से अधिक वयस्क अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं.
मोटापे के मामले में दूसरे नंबर पर आ सकता है देश
इसके अलावा, 2025 में प्रकाशित एक रिसर्च का अनुमान है कि भारत में अधिक वजन और मोटापे से ग्रस्त वयस्कों की संख्या 2021 में 18 करोड़ से बढ़कर 2050 तक लगभग 45 करोड़ हो जाएगी, जिससे देश दुनिया में मोटापे के मामले में दूसरे सबसे बड़े देश के रूप में स्थापित हो जाएगा.
बच्चों को जागरुक करना जरूरी
सीबीएसई ने बताया है कि ज्यादा वसा खाना और कम शारीरिक गतिविधि करना, खासकर स्कूलों में, एक बड़ी चिंता है. यह पहल बच्चों में शुरू से ही स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और सही आदतें लाने की कोशिश है.
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