सैलरी को लेकर दो दोस्तों के बीच बातचीत होती है. अनिल कहता है कि अब फैसला लेने का समय आ गया है. क्योंकि 5 साल से इस संस्थान में काम कर रहा हूं, लेकिन सही से सैलरी नहीं बढ़ रही, मन तो अब जॉब छोड़ देने का करता है. तभी राजू कहता है... दोस्त अगर बिना प्लानिंग के जॉब छोड़ते हो तो फिर क्या करोगे? घर का खर्च कैसे चलेगा? इसलिए अगर सैलरी मनमुताबिक नहीं बढ़ रही है, तो जॉब छोड़ना उसका विकल्प नहीं है. अगर गुस्से जॉब छोड़ोगे तो खुद का नुकसान करोगे. इसलिए ठंडे दिमाग से सोचो कि जो तुम कदम उठाने जा रहे हैं कि क्या वो करियर ग्रोथ के लिए सही है? राजू की बात सुनकर अनिल कहता है कि फिर क्या करें, कुछ समझ में नहीं आ रहा है, इस उधेड़बुन में 5 साल बीत चुका है, इस बार भी ज्यादा सैलरी बढ़ने का भरोसा नहीं है, अब तुम ही बताओ कि मुझे क्या करना चाहिए?
दरअसल, महंगाई (Inflation) के इस दौर में अनिल ही नहीं, हर कोई चाहता है कि उसकी सैलरी (Salary) में इतनी बढ़ोतरी हो, ताकि सभी खर्चे आसानी से मैनेज हो सके, साथ ही कुछ सेविंग भी हो. हालांकि ये भी सच है कि महंगाई के हिसाब से कुछ लोगों की आमदनी नहीं बढ़ती है. वैसे हमारे देश में अधिकतर लोग प्राइवेट सेक्टर से जुड़े हुए हैं, और वहां इस तरह की शिकायतें आम बात है.
हर कोई काबिलियत के हिसाब से जॉब में इंक्रीमेंट चाहता है. वैसे सरकारी आंकड़ों को देखें तो हर किसी की सैलरी 'खुदरा महंगाई दर' के मुकाबले ज्यादा बढ़नी चाहिए. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के मुताबिक देश में सालाना 6 से 7 फीसदी महंगाई में बढ़ोतरी हो रही है. ऐसी स्थिति में हर साल सैलरी में बढ़ोतरी इससे ज्यादा होनी चाहिए, तभी लोग महंगाई से लड़ते हुए कुछ बचत कर पाएंगे.
कैसे बढ़ेगी सैलरी, आजमाएं ये तरीके
देश में अधिकतर कॉरपोरेट कंपनियां भी महंगाई दर से ज्यादा सैलरी में बढ़ोतरी करती हैं, ताकि कर्मचारियों की आर्थिक सेहत ठीक रहे. लेकिन अगर किसी कर्मचारी की सैलरी में ठीक से बढ़ोतरी नहीं हो रही है, तो फिर वो क्या करें? अधिकतर लोग सैलरी में कम इजाफा के लिए संस्थान को जिम्मेदार मानते हैं. लेकिन कुछ लोग अपने बॉस पर भेदभाव का भी आरोप लगाते हैं. लेकिन वित्तीय तरीके से सोचें तो अगर किसी की सैलरी सही से नहीं बढ़ रही है, तो उसके लिए वो खुद जिम्मेदार है. अगर आपकी सैलरी उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ रही है, तो आपको परेशान होने की बजाय इन 4 विकल्पों पर विचार करना चाहिए. आप भी सैलरी में ग्रोथ के लिए इस ट्रिक्स को आजमा सकते हैं.
पहला तरीका (बॉस से करें बात): आप जिस संस्थान में काम करते हैं, वहां सैलरी स्ट्रक्चर के बारे में पता करें. हालांकि कोई भी संस्थान कर्मचारियों को उसकी जरूरतों के हिसाब से इंक्रीमेंट नहीं देता है, इसके लिए एक पैमाना होता है. अगर आपको लगता है कि आपकी सैलरी कम है, तो इसको लेकर आप अपने बॉस से बात कर सकते हैं. बॉस से बात करते समय में आपके पास ये फैक्ट्स होने चाहिए कि आपकी सैलरी कैसे कम है और उसमें क्यों इजाफा होना चाहिए? उदाहरण के तौर पर बॉस को आप अपने वो काम गिना सकते हैं, जो आपने किया है.
इसके अलावा कंपनी के लिए आप क्यों अहम हैं, इस बारे में भी जिक्र कर सकते हैं. अगर इसके बावजूद भी सैलरी में बढ़ोतरी नहीं होती है तो इसका मतलब ये नहीं है कि बातचीत खत्म हो गई. आप बॉस से पूछ सकते हैं कि आगे कब इस मुद्दे पर फिर से विचार हो सकता है. इस दौरान आप काम तन्मयता से करते रहें. सैलरी को लेकर कभी भी बॉस के सामने दूसरे कर्मचारी यानी कलिग की तुलना न करें. आपको क्यों सैलरी बढ़कर मिलनी चाहिए इसपर आपका फोकस होना चाहिए. अगर बातचीत के बाद भी सैलरी नहीं बढ़ती है, तो दूसरा विकल्प अपनाएं.
दूसरा तरीका (स्किल डेवलपमेंट): आप जो काम कर रहे हैं, उसकी इंडस्ट्रीज में कितनी डिमांड है, इसपर भी विचार करें. अगर लगता है कि इस फील्ड में करियर ग्रोथ नहीं है तो आप फील्ड बदल सकते हैं. उसी कंपनी में रहते हुए आप डिमांडिंग स्किल सीख सकते हैं. क्योंकि हर किसी को पता होता है कि उसके सेक्टर में किस तरह के लोगों की जरूरत है. हर एक दशक में सेक्टर की डिमांड में बदलाव देखने को मिलता है. इसलिए हर कर्मचारी को नए स्किल अपनाने के लिए तैयार रहना चाहिए. ये सब आप जॉब में रहते हुए भी कर सकते हैं, फिर वही बॉस आपके काम से प्रभावित हो जाएंगे. इससे न सिर्फ आप अपने काम में मास्टर होंगे, बल्कि कंपनी भी आपको अपने साथ रखने के लिए आतुर रहेगी. साथ ही दूसरी जगह से भी अच्छे ऑफर मिल सकते हैं. उदाहरण: नई स्किल्स के तौर पर डेटा एनालिसिस, कोडिंग, डिजिटल मार्केटिंग, या AI टूल्स का इस्तेमाल कैसे करें, ये सीख सकते हैं.
तीसरा तरीका (जॉब बदलने पर विचार): अगर आप बहुत साल से एक ही कंपनी में बने हुए हैं, और आपकी सैलरी में महंगाई दर के हिसाब से बढ़ोतरी नहीं हो रही है तो फिर जॉब बदलने पर विचार कर सकते हैं. कई बार लोग जॉब बदलते ही नए संस्थान में नई भूमिका मिलती है. इसके अलावा काम करने का स्टाइल भी बदल जाता है. नई कंपनी में बहुत सारी चीजें सीखने को मिलेंगी. हालांकि नौकरी बदलने से पहले ये जरूर रिसर्च कर लें कि आपके अनुभव, शिक्षा और भूमिका के आधार पर नए संस्थान में आपकी सैलरी क्या होनी चाहिए. अगर आपको मौजूदा संस्थान के मुकाबले अच्छे ऑफर मिल रहे हैं तो नौकरी बदलने में कोई बुराई नहीं है. कई बार लोग एक संस्थान में रहते-रहते सैलरी से कंप्रमाइज कर लेते हैं. लेकिन ऐसे कर्मचारी आर्थिक तौर पर अपना ही नुकसान करते हैं.
चौथा तरीका (साइड इनकम): अगर जॉब नहीं मिल रहा है तो फिर मौजूदा जॉब में रहते हुए पार्ट टाइम अर्निंग के सोर्स को जेनरेट कर सकते हैं. हालांकि पार्ट टाइम जॉब से पहले आपको अपनी कंपनी की पॉलिसी जानी होगी, ताकि बाद में कोई परेशानी न हो. आप पार्ट टाइम के लिए जो काम चयन कर रहे हैं, वो जॉब से साथ करने पर कंपनी को कोई ऐतराज न हो. इसके लिए फ्रीलांसिंग, पार्ट-टाइम प्रोजेक्ट्स, या फिर अपने परिवार के सहयोग से छोटा बिजनेस कर सकते हैं. उदाहरण के लिए, अगर आपकी स्किल्स ग्राफिक डिजाइन, कंटेंट राइटिंग, या ट्यूशन में हैं, तो आप इसमें हाथ आजमा सकते हैं. इसके अलावा स्टॉक मार्केट के गुर सीख सकते हैं, जहां छोटे निवेश से शुरुआत कर सकते हैं. लेकिन पहले फाइनेंशियल एजुकेशन लें. ये भी आज के दौर में एक अच्छा विकल्प है.