इस साल गणेशोत्सव 27 अगस्त से शुरू होकर 6 सितंबर तक मनाया जाएगा. हिंदू धर्म में इस पर्व का खास महत्व बताया गया है. माना जाता है कि इन 10 दिनों तक बाप्पा हर घर में विराजते हैं. जगह-जगह पर घरों और पंडालों में उनकी स्थापना होती है. (Photo: Pexel)
इसी कड़ी में महाराष्ट्र के वाशिम जिला स्थित कारंजा शहर में बाप्पा की एक अनोखी और ईको फ्रेंडली प्रतिमा ने सभी का ध्यान खींचा लिया है. (Photo/Input: Zaka khan)
दरअसल, भाजी बाजार परिसर के श्री बाल हौसी गणेश मंडल ने इस साल पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए भगवान गणेश की ईको फ्रेंडली प्रतिमा बनाई है, जो पूरी तरह दाल से सजी है. (Photo/Input: Zaka khan)
आमतौर पर चना, उड़द, मसूर और मूंग की दाल हमारे खाने में इस्तेमाल होती है. लेकिन इस मंडल ने इन्हीं दालों से बाप्पा की भव्य प्रतिमा को तैयार की है. खास बात यह है कि इसमें 10 से 12 तरह की दालें इस्तेमाल की गई हैं. (Photo/Input: Zaka khan)
प्रतिमा करीब 8 फीट ऊंची है और इसका वजन 100 किलो है. बाप्पा के हाथ में लड्डू, हाथों के नाखून और गहने भी दालों से ही बनाए गए हैं. देखने में यह मूर्ति जितनी सुंदर लगती है, कारीगरों की उतनी ही मेहनत इसमें झलकती है. (Photo/Input: Zaka khan)
प्रतिमा बनाने वाले अमित करे का कहना है कि इसके लिए पहले मिट्टी से ढांचा तैयार किया गया था और फिर उस पर अलग-अलग तरह की दालें चिपकाई गई थीं. इसे बनाने में करीब 15 दिन लगे थे. (Photo/Input: Zaka khan)
मंडल के सदस्य सुमेत येवतेकर ने कहा कि बाकी मंडलों को भी डीजे और सजावट पर फिजूलखर्च करने की बजाय इको-फ्रेंडली मूर्तियां बनानी चाहिए. उनके अनुसार, “पर्यावरण ही असली देवता है, इसे बचाना हर किसी का फर्ज है.” (Photo/Input: Zaka khan)