चीन की जमीं पर शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में शिरकत करने के लिए पहुंचे वैश्विक नेताओं की मौजूदगी ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा. वैश्विक उथल-पुथल के बीच एक नए वर्ल्ड ऑर्डर का चेहरा देखने को मिला. लेकिन डिप्लोमेसी की इस दुनिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच की सीक्रेट बातचीत आकर्षण का केंद्र रही.
लेकिन इस मीटिंग की दिलचस्प बात ये थी कि यह सीक्रेट बातचीत पुतिन की बख्तरबंद लग्जरी लिमोजिन कार में हुई थी. उनकी यह कार मेजियांग कंवेंशन सेंटर से तियानजिन के रिट्ज कार्ल्टन होटल की ओर जा रही थी. लेकिन कार में पीएम मोदी संग मीटिंग की आइडिया पुतिन का ही था.
सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रपति पुतिन ने पीएम मोदी संग मीटिंग के लिए किसी खास कमरे के बजाए लग्जरी कार में बैठकर बातचीत करना ज्यादा मुनासिब समझा. इसका मकसद था कि बैठक में दोनों नेताओं के बीच हुई बातें किसी भी तरह से लीक ना हो पाएं.
हालांकि, मुलाकात का यह दृश्य किसी फिल्मी दृश्य से कम नहीं था. राष्ट्रपति पुतिन अपनी लग्जरी लिमोजिन कार में बैठे हुए थे. उन्होंने लगभग 10 मिनट तक धैर्य से कन्वेंशन सेंटर के बाहर कार में बैठकर पीएम मोदी का इंतजार किया. इससे पीएम मोदी के साथ उनकी मीटिंग को लेकर उनकी उत्सुकता का पता चलता है.
दोनों नेताओं के बीच कन्वेंशन सेंटर से रिट्ज कार्ल्टन होटल तक का सफर 15 मिनट का है. लेकिन बातचीत का दौर लगभग 45 मिनट तक चला. इस दौरान दोनों नेताओं के अलावा कार में केवल भरोसेमंद दुभाषिए थे. इस तरह राष्ट्रपति पुतिन की लग्जरी कार Aurus इस उच्चस्तरीय सीक्रेट मीटिंग का चलता-फिरता किला बन गई.
दोनों नेताओं की मीटिंग से जुड़े सूत्रों ने इस मीटिंग के दौरान के माहौल का ब्योरा दिया. दोनों नेताओं ने पुतिन की अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ अलास्का की शिखर वार्ता जटिलताओं पर गहराई से चर्चा की. दोनों नेताओं की बातचीत में यूक्रेन यु्द्ध प्रमुख मुद्दा रहा, जिसमें पीएम मोदी की विश्वसनीय मध्यस्थ की भूमिका स्पष्ट थी.
अलास्का यात्रा से पहले और बाद में और एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान गर्मजोशी से गले मिले दोनों नेताओं का तालमेल औपचारिकताओं से परे रहा. औपचारिक वार्ताओं के दौर के बाद पुतिन ने मुस्कुराते हुए कहा कि हमारा रिश्ता ऐसा है कि मुझे लगा कि आपको किसी अनुवाद की जरूरत नहीं है.
राष्ट्रपति पुतिन और पीएम मोदी का यह Aurus समिट सिर्फ कार की सवारी भर नहीं था. यह कूटनीति की दुनिया में एक उत्कृष्ट उदाहरण है. रिट्ज-कार्लटन पहुंचने के बाद भी पुतिन का अपनी सुरक्षित कार में बातचीत को बढ़ाने का निर्णय उनके एजेंडे की संवेदनशीलता को दर्शाता है. एक घंटे से अधिक समय चली दोनों नेताओं की बातचीत में जटिल वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की गई. तियानजिन समिट ने मोदी और पुतिन के संबंधों को और मजबूत किया है, जो इस बात को साबित करता है कि कभी-कभी महत्वपूर्ण बातचीत और बैठकें कमरे की चारदीवारी के भीतर नहीं बल्कि चलती गाड़ी में भी हो सकती हैं.
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