भारत का अहम पड़ोसी देश इस वक्त सुर्खियों में है और आलम ये है कि देश-दुनिया की निगाहें हिमालय की तराई गोद में बसे इस देश पर टिक गई हैं. वजह है यहां हो रहा एक विरोध जो अपनी शुरुआत के साथ ही हिंसक प्रदर्शन में बदल गया. दिन से दोपहर और दोपहर से शाम होते-होते इस अलग तरह के 'आंदोलन' में जान-माल की हानि की खबरें भी आने लगीं और देखते-देखते आंदोलन में मरने वालों की संख्या बढ़ने लगी.
20 से 25 साल से नौजवानों का प्रदर्शन
अभी तक के आंकड़ों के मुताबिक मरने वालों की संख्या 20 तक पहुंच चुकी है और 100 से अधिक प्रदर्शनकारी घायल हैं. नेपाल का ये विरोध प्रदर्शन दुनिया भर में अनोखा इसलिए माना जा सकता है क्योंकि इसमें शामिल और सड़कों पर उतरी भीड़ 'न्यू यूथ' की है.
इसे Gen-Z प्रोटेस्ट कहा जा रहा है, क्योंकि इस प्रदर्शन में शामिल प्रदर्शनकारियों की औसतन उम्र 20 से 25 वर्ष की है. ये कोई सेट आंकड़ा नहीं है. हो सकता है कि इस भीड़ में 16-19 साल के नौजवान भी शामिल हों और 30 साल तक के जिम्मेदार युवक भी, लेकिन प्रदर्शन के केंद्र में नई जेनरेशन वाली खेप ही ज्यादा नजर आ रही है.
हुआ क्या है, क्यों भड़का आंदोलन?
हुआ यूं है कि नेपाल में फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप जैसे बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाने को लेकर ये प्रदर्शन भड़का है. इसके साथ ही भ्रष्टाचार का भी मुद्दा जुड़ा हुआ है जिसे लेकर नई जेनरेशन के ये नौजवान ओली सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं.
सोशल मीडिया पर बैन लगाने से युवाओं के बीच भारी आक्रोश है. राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में हजारों की संख्या में सड़कों पर उतरे और जमकर प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन का नेतृत्व युवा कर रहे हैं इसलिए इसे Gen-Z का आंदोलन कहा जा रहा है.
काठमांडू में तो प्रदर्शन हिंसक हो गया और युवाओं ने संसद भवन में घुस कर जमकर तोड़फोड़ औेर आगजनी की. पुलिस ने फिर आंसू गैस, पानी की बौछार और यहां तक की रबर बुलेट का इस्तेमाल किया. हालात पर काबू पाने के लिए नेपाल की सरकार ने काठमांडू, पोखरा समेत कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया और सड़कों पर सेना की तैनाती कर दी है.
कितनी है नेपाल की युवा आबादी?
नेपाल में इस तरह के प्रदर्शन के बाद सवाल उठता है कि नेपाल में युवा भागीदारी कितनी है? उनकी जनसंख्या कितनी है और किस तरह उनका गुस्सा नेपाल की मौजूदा सरकार के लिए परेशानी की वजह बन सकता है. नेपाल के सरकारी स्वामित्व वाली न्यूज एजेंसी Rising Nepal (राइजिंग नेपाल) युवाओं की जनसंख्या का आंकड़ा 2021 की जनगणना के अनुसार सामने रखता है. इसके मुताबिक, नेपाल की कुल आबादी में 16–40 वर्ष आयु वर्ग (युवा) की हिस्सेदारी लगभग 42.5% यानी 12.4 मिलियन की है. ये आंकड़ा 2021 में हुई जनगणना डेटा पर आधारित है.
नेपाल में 55 फीसदी से अधिक के पास इंटरनेट कनेक्शन
नेपाल की कुल आबादी लगभग 3 करोड़ है, जिसमें से 55.8% (1.65 करोड़) के पास इंटरनेट कनेक्शन है. जनवरी 2025 में, 48.1% (1.43 करोड़) लोग सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं, और नेपाल के कुल इंटरनेट यूजर का 86.2% कम से कम एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करता है.
प्रमुख ऐप्स के यूजर्स के आंकड़े कुछ इस तरह हैं,
फेसबुक - 1.4 करोड़,
इंस्टाग्राम - 39 लाख (वर्ष-दर-वर्ष 8.3% वृद्धि),
लिंक्डइन - 20 लाख (33.3% वृद्धि),
मैसेंजर - 1.09 करोड़ (0.5% वृद्धि),
एक्स - 4 लाख (16.3% कमी),
यूट्यूब - 85 लाख.
कितनी हो रही सोशल मीडिया से कमाई?
अन्य ऐप्स में व्हाट्सएप के 50-60 लाख और टिकटॉक के 22 लाख यूजर्स हैं (यह डेटा अगस्त 2024 में प्रतिबंध के समय का है). सोशल मीडिया से आय के संबंध में, नेपाल राष्ट्रीय बैंक (NRB) के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024/25 में नेपाली लोगों ने यूट्यूब, टिकटॉक और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर वीडियो बनाकर और पोस्ट करके 353 करोड़ नेपाली रुपये (220 करोड़ भारतीय रुपये) से अधिक कमाए.
इसके अलावा, नेपाली लोगों ने विदेशी क्रिएटर्स और कंपनियों द्वारा दी गई ऑडियो और वीडियो सर्विस के लिए 78.9 करोड़ नेपाली रुपये (49.1 करोड़ भारतीय रुपये) का भुगतान किया. नेपाल में एक कंटेंट क्रिएटर का औसत वार्षिक वेतन लगभग 16.2 लाख भारतीय रुपये है. उदाहरण के लिए, टिकटॉक स्टार कूल बॉय परश बम टकुरी प्रति माह 4.4 लाख से 8.8 लाख रुपये कमाते हैं, जबकि यूट्यूबर जैसे 4K गेमिंग नेपाल सालाना 88.03 लाख रुपये तक कमा सकते हैं.
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