भारत का पड़ोसी देश नेपाल, इस वक्त सुर्खियों में है और दुनियाभर की निगाहें हिमालय की तलहटी में बसे इसे पर्वतीय देश पर लगी हुई हैं. Gen-Z प्रोटेस्ट के कारण नेपाल जल रहा है. यहां 22 प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है. घायलों की संख्या भी सैकड़ों में है और इसके साथ ही साथ यहां की सांस्कृति विरासतों को भी नुकसान पहुंच रहा है. पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण और माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई का बेस कैंप स्थित होने के कारण और भारतीय संस्कृति से गहरे जुड़ाव के कारण नेपाल हमेशा से एक पसंदीदा पर्यटन स्थल के तौर पर देखा जाता रहा है, जिसमें यहां की प्राचीन स्थापत्य कला और शिल्प निर्माण आगंतुकों को और भी आकर्षित करते रहे हैं.
नेपाल का ऐतिहासिक और राजनैतिक गौरव है सिंह दरबार
इन्हीं विरासतों में से एक है सिंह दरबार. नेपाल का ऐतिहासिक और राजनैतिक गौरव कहा जाने वाला, काठमांडू के बिल्कुल बीच में मौजूद सिंहदरबार, आज की तारीख में यह नेपाल का सबसे बड़ा सरकारी परिसर है. यह ऐतिहासिक इमारत, भव्यता के साथ ही स्थापत्य कला का भी अनूठा संगम है. 19वीं सदी में निर्मित यह शानदार संरचना शुरू में शाही महल के रूप में थी और अब यह नेपाल सरकार का मुख्यालय है. सिंहदरबार के पास इसकी आकर्षक बाहरी संरचना आपका स्वागत करती है. जटिल नक्काशी और भव्य स्तंभों से सजा यह भवन नेपाल की समृद्ध इतिहास और संस्कृति की कहानी बयां करता है. इसके विशाल मैदान शहर की हलचल से दूर एक शांत और सुकून भरा माहौल भी बनाते हैं.
1908 में कराया गया था निर्माण
सिंहदरबार, का अर्थ है, "शेरों का महल". इसका निर्माण जून 1908 में चंद्र शमशेर जंग बहादुर राणा ने कराया था. उस समय यह विश्व के शानदार और आलीशान महलों में से एक था. चंद्र शमशेर ने इसे अपनी निजी संपत्ति के रूप में तब बनवाया था, जब वे नेपाल के प्रधानमंत्री बने. शुरू में यह एक छोटा ही निजी आवास था, लेकिन निर्माण के दौरान इसका आकार और भव्यता बढ़ती गई. निर्माण पूरा होने के बाद, चंद्र शमशेर ने इसे 20 मिलियन नेपाली रुपये में नेपाल सरकार को बेच दिया, जिसके बाद यह प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास बन गया. 1929 में चंद्र शमशेर की मृत्यु के बाद, यह महल राणा वंश के अन्य प्रधानमंत्रियों का आवास बना.
हालांकि बाद के दिनों में पद्म शमशेर जंग बहादुर राणा इसमें कभी नहीं रहे, उन्होंने अपना निवास 'बिशालनगर दरबार' में बनाया था. राणा वंश के अंतिम प्रधानमंत्री, मोहन शमशेर जंग बहादुर राणा, 1951 में राणा शासन के पतन के बाद भी इस महल में रहे. हालांकि, 1953 में नेपाल सरकार ने उनसे यह महल छोड़ने को कहा था और फिर तब से ही यह राष्ट्रीय संपत्ति बन गया.
स्थापत्य कला का अनूठा संगम
सिंहदरबार की बाहरी संरचना का डिज़ाइन कुमार नरसिंह राणा और किशोर नरसिंह राणा ने तैयार किया था. यह महल विभिन्न स्थापत्य शैलियों का एक अनूठा मिश्रण है, जिसमें पैलेडियन, कोरिंथियन, नवशास्त्रीय और बारोक शैलियों का समावेश है. यह संरचना नेपाल की पारंपरिक स्थापत्य कला और औपनिवेशिक प्रभावों का सुंदर मेल सामने रखती है. 1973 की आग से पहले, सिंहदरबार में सात आंगन और 1700 कमरे थे, जिनमें संगमरमर के फर्श, कलाकारी से चित्रित छतें, चांदी के फर्नीचर और क्रिस्टल लाइटिंग की विशाल व्यवस्था थी.
विदेशी कलाकृतियों और एंटीक से सजा है महल
इसका सबसे बड़ा और सबसे सजा हुआ कमरा, स्टेट हॉल, विदेशी कला कृतियों से सजा है. इसमें मुरानो ग्लास क्रिस्टल झूमर, बेल्जियन दर्पण, अंग्रेजी रंगीन कांच के दरवाजे और इटैलियन संगमरमर के फर्श शामिल हैं, जिनमें दीवारों और छतों पर फूलों के पैटर्न बने हैं. चंद्र शमशेर ने एक निजी थिएटर भी बनवाया, जिसे गैलरी बैठक के नाम से जाना जाता है. यह अब संसद भवन के रूप में उपयोग होता है. यह स्थापत्य कला का एक ऐसा नमूना है जो न केवल नेपाल के इतिहास को दर्शाता है, बल्कि उस समय की वैश्विक प्रभावों को भी प्रदर्शित करता है.
वर्तमान में नेपाल की संसद के सदन और सरकारी कार्यालय
राणा शासन के अंत के बाद, सिंहदरबार को सरकारी कार्यालयों के लिए उपयोग में लाया गया. वर्तमान में यह नेपाल की संसद के दोनों सदनों, हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स और हाउस ऑफ द स्टेट्स का मुख्यालय है. इसके अलावा, यह परिसर 20 मंत्रालयों और सरकारी कार्यालयों को भी अपने में समेटे हुए है. रेडियो नेपाल और नेपाल टेलीविजन का मुख्यालय भी यहीं मौजूद है. सिंहदरबार केवल एक सरकारी परिसर ही नहीं, बल्कि नेपाल की राजनैतिक और प्रशासनिक गतिविधियों का केंद्र रहा है. इस तरह यह नेपाल के शासन और सार्वजनिक जीवन को समझने का महत्वपूर्ण जरिया बन जाता है.
1973 के भयानक अग्निकांड में जले तीन हिस्से
9 जुलाई 1973 को सिंहदरबार में एक भयानक आग लगी, जिसमें इसके तीन हिस्सों उत्तर, दक्षिण और पश्चिम को नष्ट कर दिया. इस अग्निकांड के बाद केवल सामने वाला हिस्सा बचा, क्योंकि आग को रोकने के लिए तोपों से अन्य तीन हिस्सों को ध्वस्त कर दिया गया था. आग बुझने के बाद, पूरे क्षेत्र को पुरानी नींव पर फिर से बनाया गया. इस आग ने सिंहदरबार की भव्यता को काफी हद तक प्रभावित किया, लेकिन इसका पुनर्निर्माण इसकी ऐतिहासिक महत्व को बनाए रखने के लिए किया गया.
2015 के भूकंप में भी पहुंचा नुकसान
अप्रैल 2015 में आए विनाशकारी भूकंप ने सिंहदरबार को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया. भूकंप के बाद इसे असुरक्षित भी घोषित कर दिया गया. इस आपदा ने इस ऐतिहासिक संरचना को और भी नुकसान पहुंचाया, लेकिन इसके बावजूद यह नेपाल के राजनैतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य में अपनी मजबूत उपस्थिति बनाए हुए है. सिंहदरबार का दौरा करने वाले पर्यटक इसकी प्रभावशाली स्थापत्य कला को देख सकते हैं, जो पारंपरिक नेपाली शैली और औपनिवेशिक प्रभावों का मिश्रण है. हालांकि, यह अब मुख्य रूप से एक सरकारी कार्यालय है, जिसके कारण कुछ हिस्सों में प्रवेश प्रतिबंधित है.
फिर भी, इसका बाहरी हिस्सा और आसपास के बगीचे फोटोग्राफी और आरामदायक सैर के लिए मुफीद हैं. सिंहदरबार नेपाल के राजनैतिक विकास का प्रतीक है. इसने देश के कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं को देखा है, जिसमें राणा शासन से लेकर आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्था तक का बदलाव शामिल है.
नेपाल की राजनीतिक-सांस्कृतिक पहचान है सिंह दरबार
यह महल नेपाल की सांस्कृतिक और राजनैतिक पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. सिंहदरबार की भव्यता और इसका ऐतिहासिक महत्व इसे काठमांडू में एक अनिवार्य पर्यटक स्थल बनाता है. यह न केवल नेपाल के अतीत की कहानी कहता है, बल्कि मौजूदा दौर में देश के प्रशासनिक और राजनैतिक जीवन को भी सामने रखता है.
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