2030 कॉमनवेल्थ गेम्स: मेजबानी की जंग में भारत को नाइजीरिया की टक्कर!

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कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 की मेजबानी की दौड़ और रोमांचक हो गई है. भारत ने अहमदाबाद को दावेदार बनाया था, लेकिन अब अंतिम समय में एक और देश मैदान में उतर आया है. यानी भारत को मेजबानी की रेस में कड़ी टक्कर मिलेगी. 

भारत और नाइजीरिया अब 2030 कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी के लिए आमने-सामने हैं. भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) ने अहमदाबाद को पसंदीदा शहर बताते हुए 29 अगस्त को अपना अंतिम प्रस्ताव सौंपा था, वहीं नाइजीरिया ने भी 31 अगस्त की समय सीमा से पहले इस मल्टी-स्पोर्टिंग इवेंट के लिए अपनी औपचारिक बोली जमा कर दी है. 2030 कॉमनवेल्थ गेम्स खास होंगे क्योंकि उस साल इन खेलों की 100वीं सालगिरह मनाई जाएगी.

क्यों अहमदाबाद पर दांव?
भारत की ओर से अहमदाबाद को इसलिए चुना गया है क्योंकि यह शहर विश्वस्तरीय खेल इंफ्रास्ट्रक्चर और बड़े इवेंट आयोजित करने की क्षमता रखता है. भारत पहले भी 2010 में दिल्ली में सफलतापूर्वक कॉमनवेल्थ गेम्स आयोजित कर चुका है.

नाइजीरिया की चुनौती क्या है?
नाइजीरिया ने अबुजा को आगे रखते हुए दावा किया है कि यह अफ्रीका में कॉमनवेल्थ खेलों की नई पहचान बनेगा. यदि नाइजीरिया जीतता है, तो यह अफ्रीकी महाद्वीप में कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी का ऐतिहासिक मौका होगा.

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आगे की प्रक्रिया क्या होगी?
कॉमनवेल्थ स्पोटर्स (CS) की इवैलूओएशन कमीशन अब दोनों देशों की बोली का मूल्यांकन करेगी. सितंबर के आखिरी में लंदन में दोनों मेजबान देशों की प्रेजेंटेशन होगी. इसके बाद नवंबर में ग्लासगो में 74 सदस्य देशों की जनरल असेंबली में अंतिम निर्णय लिया जाएगा.

भारत और नाइजीरिया में किसके पास बढ़त?
भारत के पास पहले से अनुभव और मजबूत बुनियादी ढांचा है, वहीं नाइजीरिया के लिए ये नई शुरुआत होगी. ऐसे में फैसला आसान नहीं होगा.

अब देखने वाली बात यह होगी कि अहमदाबाद और अबुजा में से कौन, इस गौरवशाली आयोजन की मेजबानी का हकदार बनता है.

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