ब्राजील (Brazil) में आयोजित 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत एक सशक्त आवाज़ के रूप में उभरा. भारत ने आतंकवाद की निंदा की और ग्लोबल गवर्नेंस से जुड़े सुधारों पर बात की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भागीदारी ने शिखर सम्मेलन का ध्यान वैश्विक मुद्दों, विशेष रूप से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई पर केंद्रित कर दिया. ब्रिक्स नेताओं द्वारा अपनाए गए 'रियो डी जेनेरियो घोषणापत्र' में भारत की प्राथमिकताओं पर जोर दिया, जिसमें बॉर्डर पार आतंकवाद पर तीखा संदेश दिया गया और चीन के रुख में विरोधाभास को उजागर किया गया.
शिखर सम्मेलन का विषय था 'समावेशी और सतत शासन के लिए वैश्विक दक्षिण सहयोग को मजबूत करना', जिसमें भारत के दृढ़ संकल्प की झलक सभी सत्रों में देखने को मिली. 'शांति और सुरक्षा' पर सत्र को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर में 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की निंदा की, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी, इसे 'मानवता पर हमला' बताया.
ब्रिक्स के घोषणापत्र में भी इस बात को दोहराया गया है, जिसमें हमले की 'कड़े शब्दों में' निंदा की गई है और आतंकवाद का मुकाबला करने में दोहरे मानकों को खारिज किया गया है. इसमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादियों और उन्हें वित्तपोषित करने या शरण देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का आह्वान किया गया है, जिसमें सीमा पार आतंकवाद में पाकिस्तान की भूमिका को स्पष्ट रूप से निशाना बनाया गया है, लेकिन देश का नाम नहीं लिया गया है.
पीएम मोदी की दहाड़
पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद के पीड़ितों और समर्थकों को एक ही तराजू पर नहीं तौला जा सकता. उन्होंने आतंकवादियों की सहायता करने वालों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया. यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण जीत थी, जिसमें सभी 11 ब्रिक्स सदस्यों और साझेदार देशों ने एकजुटता दिखाई.
हालांकि, चीन की दोहरी भूमिका नजर आई. पहलगाम हमले की निंदा करने वाले ब्रिक्स में शामिल होने के बावजूद, बीजिंग रणनीतिक रूप से पाकिस्तान को बचाना जारी रखा. सियासी लाभ के लिए आतंकवाद को 'मौन सहमति' देने वाले देशों पर पीएम मोदी का प्रहार इस पाखंड की ओर इशारा करता है. राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बजाय चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग द्वारा प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किए जाने के बावजूद, भारत की दृढ़ कूटनीति से तय हुआ कि शिखर सम्मेलन का ध्यान आतंकवाद विरोधी एजेंडे पर बना रहे.
आतंकवाद से परे, भारत ने वैश्विक संस्थाओं में सुधार की वकालत की. पीएम मोदी ने समावेशी व्यवस्था का आह्वान किया और 21वीं सदी की वास्तविकताओं पर जोर देने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, आईएमएफ, विश्व बैंक और डब्ल्यूटीओ में तत्काल बदलाव की मांग की.
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भारत के नजरिए को मिली ताकत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति चेन सुरक्षित करने और जिम्मेदार एआई को आगे बढ़ाने के लिए ब्रिक्स विज्ञान और अनुसंधान भंडार का भी प्रस्ताव रखा, जिससे लगातार विकास के लिए भारत के नजरिए को ताकत मिली. मलेशिया, क्यूबा, दक्षिण अफ्रीका और वियतनाम के साथ द्विपक्षीय वार्ता ने यूपीआई और आयुर्वेद एकीकरण जैसे डिजिटल बुनियादी ढांचे पर सहयोग को आगे बढ़ाया.
भारत 2026 में ब्रिक्स की अध्यक्षता संभालने की तैयारी कर रहा है. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व ने इसे आतंकवाद के खिलाफ और न्यायसंगत शासन के लिए एक ग्लोबल पावर के रूप में स्थापित किया है. शिखर सम्मेलन के नतीजे भारत की प्राथमिकताओं के लिए एक मजबूत जनादेश की तरफ इशारा करते हैं, भले ही चीन की विरोधाभासी कार्रवाइयां आगे की चुनौतियों में इजाफा करती हैं.
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