दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) चुनाव में अब कुछ ही दिन बचे हैं. सभी बड़े छात्र संगठनों ने ज़ोरदार प्रचार शुरू कर दिया है. लेकिन, कांग्रेस की छात्र इकाई NSUI के लिए यह राह मुश्किल होती दिख रही है. दरअसल, संगठन के भीतर बढ़ती गुटबाज़ी ने इसे दो शक्ति केंद्रों में बांट दिया है, जिससे चुनावी प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है.
चुनाव से 18 दिन पहले, NSUI के AICC इंचार्ज कन्हैया कुमार ने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन और इंटरव्यू प्रक्रिया की घोषणा कर दी है . वरिष्ठ NSUI नेताओं के अनुसार, यह कदम मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी और कन्हैया कुमार के बीच लंबे समय से चल रहे अहम टकराव का नतीजा है.
पंजाब की हार के बाद गुटबाजी तेज
एक वरिष्ठ NSUI पदाधिकारी ने आज तक को बताया कि यह विवाद पंजाब यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (PUSU) चुनाव में हुई हार के बाद और गहरा गया. इस चुनाव में ABVP ने इतिहास रचते हुए अध्यक्ष पद जीता, जिसके बाद NSUI कार्यकर्ताओं ने टिकट बंटवारे को हार का सबसे बड़ा कारण बताया.
साथ ही उन्होंने बताया, 'स्थानीय यूनिट और राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी सुमित कुमार को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाना चाहते थे, लेकिन कन्हैया कुमार ने उनकी राय को नज़रअंदाज़ करते हुए प्रभजोत सिंह को टिकट दिया.' माना जा रहा है कि ये फैसला ही NSUI के लिए भारी साबित हुआ.
बता दें कि पंजाब में हुए चुनाव में ABVP उम्मीदवार गौरव वीर सोहल 3,148 वोट पाकर विजेता बने. टिकट से वंचित होकर निर्दलीय लड़े सुमित कुमार 2,660 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे, जबकि कन्हैया के उम्मीदवार प्रभजोत सिंह को केवल 1,359 वोट ही मिले. इस बारे में चंडीगढ़ के एक NSUI नेता का कहना है, 'हमने जीती हुई लड़ाई हार दी. प्रभजोत को चुनाव से कुछ दिन पहले ही NSUI में शामिल किया गया था.'
कन्हैया कुमार के फैसलों पर बवाल
मामला इतना बढ़ गया कि वरुण चौधरी ने सीधे राहुल गांधी से बात की. सूत्रों का कहना है कि इससे कन्हैया और चौधरी के बीच का विवाद और गहरा गया है. कुछ NSUI कार्यकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि कन्हैया कुमार वामपंथी संगठनों से जुड़े अपने पुराने सहयोगियों को NSUI में ला रहे हैं. उनका मानना है कि इससे कांग्रेस की छात्र इकाई का झुकाव वामपंथ की ओर बढ़ रहा है.
एक वरिष्ठ NSUI नेता का कहना है, 'संगठन के भीतर अब दो अलग-अलग शक्ति केंद्र बन गए हैं. अगर कोई कार्यकर्ता एक गुट से बात करता है तो दूसरा गुट उससे नाराज़ हो जाता है. यह राजनीति DUSU चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है.' पिछले साल, NSUI के रौनक खत्री ने सात साल बाद DUSU अध्यक्ष पद जीतकर इतिहास रचा था. लेकिन इस साल की आंतरिक खींचतान को देखते हुए, पार्टी को डर है कि कहीं पंजाब यूनिवर्सिटी जैसी हार दिल्ली विश्वविद्यालय में भी न दोहराई जाए.
सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में KC वेणुगोपाल, कन्हैया कुमार और वरुण चौधरी के बीच एक अहम बैठक हुई, जिसमें कांग्रेस नेतृत्व ने दोनों गुटों के बीच सुलह कराने की कोशिश की. कहा जा रहा है कि कन्हैया को नए अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया रोकने का निर्देश भी दिया गया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि अगर यह विवाद जल्द नहीं सुलझा, तो पार्टी को DUSU चुनाव में बड़ी हार का सामना करना पड़ सकता है.
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