Maharashtra GRP Case: महाराष्ट्र में सरकारी रेलवे पुलिस (GRP) ने पिछले पांच महीनों में मुंबई और पड़ोसी ठाणे में स्टेशनों पर यात्रियों से पैसे वसूलने के आरोप में एक सीनियर इंस्पेक्टर सहित 13 कर्मियों को निलंबित कर दिया है. संबंधित अधिकारियों ने बताया कि यह स्पष्ट रूप से एक संगठित जबरन वसूली गिरोह था जो मुंबई और उसके आसपास के रेलवे स्टेशनों पर चल रहा था.
जीआरपी के एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि आरोपी विशेष रूप से लंबी दूरी की ट्रेन के यात्रियों को निशाना बनाते थे, जो कीमती सामान लेकर चलते हैं और शिकायत दर्ज कराने से बचते हैं. ये यात्री मुंबई सेंट्रल, दादर, कुर्ला, बांद्रा टर्मिनस, बोरीवली, ठाणे, कल्याण और पनवेल जैसे स्टेशनों पर आते-जाते हैं.
अधिकारियों ने कहा कि उनका काम सामान जांच चौकियों पर नकदी या कीमती सामान ले जाने वाले यात्रियों की तलाश करना था. पीड़ितों को एक वरिष्ठ अधिकारी से मिलने के लिए कहा जाता था और उन्हें उन प्लेटफार्मों पर जीआरपी परिसर में ले जाया जाता था, जहां सीसीटीवी कैमरे नहीं थे. फिर यात्रियों से कहा जाता था कि वे साबित करें कि नकदी या आभूषण हकीकत में उनके हैं.
बाद में, यात्रियों को धमकी दी गई कि उनका कीमती सामान ज़ब्त कर लिया जाएगा और उन पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है. उन्होंने बताया कि कुछ मामलों में उनके साथ मारपीट भी की गई. पीड़ितों के लिए एकमात्र रास्ता उन पुलिसकर्मियों को पैसे देना ही था.
जीआरपी अधिकारी ने बताया कि पिछले महीने राजस्थान का एक व्यक्ति अपनी बेटी के साथ यात्रा कर रहा था, जिसे मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर अपने बैग में रखे 31,000 रुपये में से एक जीआरपी अधिकारी को 30,000 रुपये देने के लिए मजबूर किया गया था.
उन्होंने बताया कि राजस्थान पहुंचने के बाद, पीड़ित ने शिकायत दर्ज कराई जिसके बाद एक प्राथमिकी दर्ज की गई और मामला मुंबई स्थानांतरित कर दिया गया. इसके बाद तीन कांस्टेबलों को निलंबित कर दिया गया, जो अब फरार हैं.
जीआरपी आयुक्त राकेश कलासागर ने पीटीआई को बताया, 'पिछले पांच महीनों में 13 पुलिसकर्मियों को निलंबित किया जा चुका है. मैंने मई में कार्यभार संभाला था और उसके बाद एक वरिष्ठ निरीक्षक सहित सात पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गई.'
उन्होंने ऐसी गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी. कमिश्नर राकेश कलासागर ने लोगों से अपील की कि वे अपने बैग की जांच केवल वर्दीधारी वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा ही सीसीटीवी निगरानी में कराएं.
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