जुलाई की शुरुआत में हुए अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के संगठन क्वाड (QUAD) की बैठक में उत्तर कोरिया पर बात की गई. अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में आयोजित क्वाड की बैठक में सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया कि उत्तर कोरिया को परमाणु निरस्त्रीकरण करना चाहिए. क्वाड की इस टिप्पणी पर उत्तर कोरिया भड़क गया है और शुक्रवार को उसने भारत समेत सभी क्वाड सदस्यों की आलोचना की है.
उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया केसीएनए के अनुसार, तानाशाह किम जोंग उन के देश ने क्वाड की टिप्पणी की निंदा की है. उत्तर कोरियाई विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका ने उत्तर कोरिया से साइबर हमले की बात भी गढ़ी है, उसमें कोई सच्चाई नहीं है.
अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट ने पिछले महीने उत्तर कोरिया के तथाकथित 'आईटी वर्कर' प्रोग्राम के तहत कई गिरफ्तारियों और अभियोग की घोषणा की थी. कहा गया कि इस प्रोग्राम के तहत उत्तर कोरियाई लोग अमेरिकी कंपनियों में रिमोट लोकेशन से ही काम करते हैं और उस पहुंच का इस्तेमाल दुनिया भर की कई कंपनियों से धन और जानकारी चुराने के लिए करते हैं.
क्वाड के बयान में ऐसा क्या था कि भड़क गया उत्तर कोरिया?
क्वाड की तरफ से जारी बयान में उत्तर कोरिया के बैलेस्टिक मिसाइल तकनीक का इस्तेमाल कर अस्थिरता पैदा करने वाले लॉन्च की आलोचना की गई. इसमें कहा गया कि किम जोंग उन का देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कई प्रस्तावों का उल्लंघन करते हुए परमाणु हथियारों को निरंतर बढ़ा रहा है जो कि निंदनीय है.
क्वाड देशों ने कोरियाई प्रायद्वीप के पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की. क्वाड के बयान में उत्तर कोरिया की साइबर गतिविधि पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की गई, जिसमें क्रिप्टोकरेंसी की चोरी और उत्तर कोरिया के सामूहिक विनाश के अवैध हथियारों और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों को फंड करने के लिए विदेशों में काम करने वाले लोगों का इस्तेमाल शामिल है.
बयान में सभी संयुक्त राष्ट्र देशों से आग्रह किया गया कि वो अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का पालन करें और उत्तर कोरिया से हथियारों की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध रखें.
2024 में भी आई थी उत्तर कोरिया की तरफ से हैकिंग की खबर
जुलाई 2024 में ब्रिटेन, अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने कहा था कि उत्तर कोरिया के हैकर्स दुनिया भर की सरकारी और प्राइवेट कंपनियों से सीक्रेट परमाणु और सैन्य जानकारियां चुराने की फिराक में हैं.
उनका कहना था कि हैकर्स एरोस्पेस, रक्षा, परमाणु और इंजीनियरिंग से जुड़ी यूनिट्स को अपना निशाना बना रहे हैं ताकि सीक्रेट जानकारी जुटा सके. बताया गया कि कोरियाई हैकर्स ने भारत, ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया और जापान सहित कई देशों को अपना निशाना बनाया है. अमेरिका ने तब कहा था कि हैकरों ने अमेरिकी हेल्थ सर्विस से जुड़ी कंपनियों पर रैंसमवेयर कैंपन्स के जरिए पैसे जुटाए और उस पैसे की मदद से अपनी जासूसी गतिविधियां तेज कर दी.
उत्तर कोरिया दुनिया से अलग-थलग पड़ा एक गरीब देश माना जाता है बावजूद इसके उसने बहुत पहले परमाणु बम बना लिया है.
उत्तर कोरिया को परमाणु बम बनाने में पाकिस्तान ने की थी मदद
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर 1950 में जब कोरियाई युद्ध शुरू हुआ तो लाखों लोगों की जान चली गई. युद्ध में हुए विनाश को देखते हुए उत्तर कोरिया ने सोचा कि उसके पास परमाणु बम होना चाहिए नहीं तो अमेरिका जैसे देश उस पर कभी भी बम बरसा सकते हैं.
परमाणु बम बनाने की शुरुआत उत्तर कोरिया ने ठीक वैसे ही की जैसा कि भारत ने किया था. उसने पहले अपने परमाणु प्रोग्राम को बिजली उत्पादन से जोड़ा और इस काम में उसे कम्यूनिस्ट देशों की मदद भी मिली. लेकिन इस बीच दशक बीत गए और उत्तर कोरिया परमाणु हथियार नहीं बना पाया. फिर आया 1990 का दशक जब दुनिया में कम्यूनिस्ट संघ बिखरने लगा और उत्तर कोरिया को नए दोस्त के रूप में पाकिस्तान मिला.
इसके बाद उत्तर कोरिया ने पाकिस्तान के साथ एक डील की जिसके तहत तय हुआ कि उत्तर कोरिया पाकिस्तान को मिसाइल बनाने में मदद करेगा और पाकिस्तान उत्तर कोरिया को परमाणु बम बनाने में मदद करेगा.
पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कदीर खान ने उत्तर कोरिया को परमाणु बम बनाने में मदद की और आखिरकार 9 अक्टूबर 2006 को उसने अपना पहला परमाणु परीक्षण किया. दूसरा परमाणु परीक्षण 2009 में हुआ और उत्तर कोरिया ने दुनिया को बता दिया कि वो अब एक परमाणु संपन्न देश बन चुका है.
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