PAK में तख्तापलट की सुगबुगाहट तेज! क्या राष्ट्रपति जरदारी के साथ PM शहबाज का भी पत्ता काटने में लगे हैं आसिम मुनीर?

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भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान (Pakistan) में एक बार फिर बड़ी सियासी हलचल देखने को मिल सकती है. इसकी वजह राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर की पर्दे के पीछे चल रही रस्साकशी है. वैसे तो पाकिस्तान में इस वक्त किसी की हैसियत नहीं है कि वो आसिम मुनीर के सामने खड़ा हो सके. एक तरफ मुनीर हैं, तो दूसरी तरफ इमरान खान हैं. पाकिस्तान का सबसे लोकप्रिय नेता जेल में है और बाकियों को ठिकाने लगाने की तैयारी आसिम मुनीर ने कर ली है. पाकिस्तान से ही खबर है कि आसिम मुनीर ने तय कर लिया है कि वो जरदारी को हटाकर पाकिस्तान के राष्ट्रपति बनने वाले हैं.

पाकिस्तान में तख्तापलट के लिहाज से जुलाई का महीना बहुत अहम है. 5 जुलाई 1977 को जिया-उल-हक ने पाकिस्तान के लोकतंत्र को अपने बूट से कुचला था. अब जुलाई में ही पाकिस्तान में एक बार फिर तख्ता पलट की आशंका जताई जा रही है. 

पाकिस्तान में पिछले साल हुए चुनाव में इमरान को हराने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाया गया, फिर भी पीटीआई 93 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बन गई. लेकिन सेना ने 75 सीट जीतने वाली PML-N को प्रधानमंत्री और 54 सीट जीतने वाले जरदारी को राष्ट्रपति बना दिया, लेकिन अब आसिम मुनीर फील्ड मार्शल से आगे परवेज मुशर्रफ की तरह राष्ट्रपति बनना चाहते हैं.

ट्रंप और आसिम मुनीर की मुलाकात के सियासी मायने

आसिम मुनीर के जरदारी से मोहभंग की वजह हाल ही में उनकी तरफ से कही गई बातें हैं. पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के बेटे बिलावल भुट्टो ने हाल ही में असीम मुनीर की सार्वजनिक आलोचना की. माना जा रहा है कि पर्दे के पीछे से पाकिस्तानी सेना आसिफ जरदारी के खिलाफ चालें चल रही है, इसीलिए बिलावल का डर और गुस्सा असीम मुनीर के लिए सामने आया है.

लंच करने के बाद भले ही ट्रंप पाकिस्तान के आर्मी चीफ का नाम तक भूल गए हों, लेकिन ट्रंप के दरबार में मुनीर की मौजूदगी ने उन्हें पाकिस्तान में अमेरिकी स्वीकृति दिला दी है. इसलिए वो अपनी ताकत को और ज्यादा बढ़ाने के लिए ये कदम उठा सकते हैं. अब सवाल ये है कि मुनीर सिर्फ जरदारी तक रुकेंगे या शहबाज शरीफ को भी पीएम पद से हटाते हुए पूरी तरह सत्ता अपने हाथ में ले लेंगे, क्योंकि पाकिस्तान में सैन्य प्रमुख पहले भी सरकारों का तख्तालपट करते रहे हैं. ऐसे में मुनीर भी इस तरफ बढ़ सकते हैं.

जरदारी और पाकिस्तान की सेना में सब कुछ ठीक नहीं है. इसे लेकर जानकार बिलावल भुट्टो के ताजा बयान की तरफ ध्यान दिलाते हैं, जिसमें बिलावल भुट्टो ने हाफिज और मसूद जैसे आतंकवादियों के भारत के हवाले करने की बात कही. 

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इमरान खान की पैनी नज़र...

पाकिस्तान की राजनीति पर नजर रखने वाले कई जानकारों का कहना है कि जनता में असंतोष बढ़ता जा रहा है. इमरान को जेल में रख कर मुनीर ने फौरी तौर पर तो राजनीति कंट्रोल कर ली है, लेकिन शहबाज शरीफ को लेकर किया गया उनका प्रयोग अभी तक पाकिस्तान के हालात सही रास्ते पर नहीं ला पाया है.

जेल में बैठे इमरान खान को जनता की परेशानी में अपनी वापसी दिख रही है, इसीलिए इसी हफ्ते इमरान खान ने रावलपिंडी की आदियाला जेल से अपने समर्थकों के लिए एक मैसेज दिया, जिसमें देश में महंगाई, दमन और तानाशाही के मुद्दों को लेकर सड़कों पर निकलने का आव्हान किया गया. बताने की जरूरत नहीं है कि इमरान खान के निशाने पर आसिम मुनीर हैं, इसलिए इमरान और जनता हिसाब चुक्ता करे, उससे पहले ही मुनीर तख्तापलट करके खुद को बचाने का फैसला कर सकते हैं.

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पाकिस्तान पर चीन और अमेरिका का प्रभाव

पाकिस्तान में इस उठापटक के पीछे एक थ्योरी ये भी है कि आसिम मुनीर डोनाल्ड ट्रंप की गुडबुक में बने रहने के मकसद से अमेरिका के लिए काम करना चाहते हैं. भले ही इसके लिए उन्हें चीन को किनारे लगाना पड़े. आसिफ अली जरदारी चीनी खेमे के नेता माने जाते हैं, इसलिए उनकी विदाई तय मानी जा रही है. मुनीर जानते हैं कि ऑपरेशन सिंदूर में अगर ट्रंप उन्हें नहीं बचाते, तो चीन के हथियारों ने तो उन्हें डुबो ही दिया था. मुनीर इसी सच पर पर्दा डालने की कोशिशों में लगे हुए हैं.

आसिम मुनीर ने ऑपरेशन सिंदूर में चीन की मदद से इनकार किया है. पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने ऑपरेशन सिंदूर में चीन की सीधी मदद के दावों को खारिज किया. भारतीय सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राहुल सिंह ने कहा था कि चीन ने इस्लामाबाद को भारत की प्रमुख स्थितियों के बारे में 'लाइव इनपुट' दिए थे. सबसे बड़ी बात ये है कि पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक इंटरव्यू में बताया था कि चीन के सैटेलाइट पाकिस्तान के लिए काम कर रहे थे, फिर भी मुनीर झूठ पर झूठ बोले जा रहे हैं.

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