हाल ही में अमेरिका ने द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को आतंकवादी संगठन घोषित किया है. लेकिन भारतीय खुफिया एजेंसियां चेतावनी दे रही हैं कि पाकिस्तान इस समूह का नाम फिर से बदल सकता है ताकि वैश्विक निगरानी से बचा जा सके. भारत के खिलाफ प्रॉक्सी युद्ध जारी रखा जा सके.
TRF को 2019 में, जब जम्मू-कश्मीर का अनुच्छेद 370 खत्म हुआ, पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) ने बनाया था. यह लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का छुपा हुआ रूप माना जाता है.
TRF का सच
TRF को पाकिस्तान ने कश्मीर में आतंकवाद को स्थानीय विद्रोह दिखाने के लिए बनाया. इसका मकसद था कि इसे विदेशी जिहाद न माना जाए, ताकि वैश्विक वित्तीय निगरानी (जैसे FATF) और UN-अमेरिका की ब्लैकलिस्टिंग से बचा जा सके.
यह भी पढ़ें: ईरानी कमांडर्स ने 'केमिकल इंजरी' से गंवाई जान... क्या है रहस्यमयी मौतों का राज?
लेकिन सच यह है कि TRF ने कश्मीर घाटी में सुरक्षाबलों और आम लोगों पर हमले किए. जैसे पहलगाम हमला. यह हथियार सप्लाई करता है. स्थानीय लोगों को भर्ती करता है. नियंत्रण रेखा (LoC) के जरिए हथियार और नशीले पदार्थों की तस्करी करता है. ये सब LeT की तरह ही काम करता है.
नेतृत्व और ढांचा
TRF की शुरुआत मुहम्मद अब्बास शेख ने की थी, जो अब मृत हैं. अब इसका नेतृत्व शेख सज्जाद गुल (सुप्रीम कमांडर) कर रहा है. ऑपरेशनल चीफ बसीत अहमद दर मारे गए, लेकिन अहमद खालिद (प्रवक्ता) संगठन को चलाते हैं.
यह भी पढ़ें: अमेरिका बना चुका है फ्यूचर वॉर ड्रोन... ईरान के शाहेद ड्रोन से भी सस्ता, लेकिन ज्यादा मारक
ये लोग LeT से अलग दिखते हैं, लेकिन पाकिस्तान ने दशकों से कश्मीर में जिहाद के लिए जो ढांचा बनाया, उसी में काम करते हैं. इसका मुख्यालय मुरिदके, पाकिस्तान में है. अब बहावलपुर में शिफ्ट होने की खबर है. इसे जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत जैसे संगठन समर्थन देते हैं.
प्रचार और भर्ती
TRF का प्रचार अहले-हदीस और सलाफी इस्लाम के आधार पर है. यह मुस्लिमों के बीच सांप्रदायिक झगड़े से बचता है. पैन-इस्लामिक जिहाद को बढ़ावा देता है. इसका निशाना हिंदू, यहूदी और ईसाई हैं. यह कश्मीरी युवाओं को जिहाद को धार्मिक और राष्ट्रवादी कर्तव्य बताता है.
भर्ती में शहीदों की कहानियां और लक्ष्य की भावना का इस्तेमाल होता है. खुफिया रिपोर्ट कहती हैं कि TRF के भर्ती ज्यादातर शिक्षित हैं. उन्हें कश्मीर की नाइंसाफी का शिकार दिखाया जाता है.
नया खतरा
अमेरिका के बैन के बाद भारतीय एजेंसियां मानती हैं कि पाकिस्तान नया नाम लेकर आएगा. भारत पहले से ही एक डोजियर तैयार कर रहा है, जो TRF और LeT से नए नाम के कनेक्शन को दर्शाएगा. इसे अमेरिका, FATF और UN के साथ साझा किया जाएगा ताकि नाम बदलने से आतंकवादी गतिविधियां न बच सकें. खुफिया एजेंसियां कश्मीर में नए ‘प्रतिरोध’ समूहों पर नजर रख रही हैं. खासकर ऑनलाइन प्रचार, सीमा-पार संचार और आतंक फंडिंग पर.
सतर्कता जरूरी
TRF पर बैन एक बड़ी जीत है, लेकिन पाकिस्तान की पुरानी चाल नाम बदलकर आतंक को छिपाना नया खतरा है. भारत हर नए नाम को उजागर करेगा. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चुनौती देगा. कश्मीर में शांति और सुरक्षा के लिए सतर्कता और मजबूत कार्रवाई जरूरी है.
---- समाप्त ----