अखिलेश के ड्रीम प्रोजेक्ट को लेकर योगी सरकार ने लिया बड़ा फैसला, सपा मुखिया ने किया रिएक्ट

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उत्तर प्रदेश सरकार ने जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (जेपीएनआईसी) परियोजना के लिए गठित सोसायटी को भंग करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इस फैसले में यह भी शामिल है कि इसकी बागडोर लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) को सौंपी जाएगी. यह फैसला गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया. 

कैबिनेट बैठक के बाद पत्रकारों को जानकारी देते हुए राज्य के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा- "पूर्व में गठित जेपीएनआईसी सोसायटी को भंग करने और केंद्र को इसके वर्तमान स्वरूप में लखनऊ विकास प्राधिकरण को हस्तांतरित करने का निर्णय लिया गया है. एलडीए अब परियोजना के पूरा होने, संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार होगा."

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खन्ना ने कहा कि निर्णय के अनुसार, जेपीएनआईसी परियोजना के लिए राज्य द्वारा अब तक वितरित कुल 821.74 करोड़ रुपये को एलडीए को ऋण के रूप में माना जाएगा, जिसे वह 30 वर्षों की अवधि में चुकाएगा. 

कैबिनेट ने एलडीए को परियोजना को पूरा करने के लिए प्रक्रिया और शर्तें तैयार करने तथा निजी खिलाड़ियों के माध्यम से इसके संचालन और रखरखाव का प्रबंधन करने के लिए भी अधिकृत किया है. प्राधिकरण को सोसायटी को भंग करने और इसकी सदस्यता समाप्त करने जैसी कार्रवाई करने का भी अधिकार दिया गया है. जेपीएनआईसी परियोजना में राज्य स्तरीय ऑडिटोरियम, एक कन्वेंशन सेंटर, एक आधुनिक खेल परिसर, बहुउद्देशीय खेल कोर्ट और लगभग 750 चार पहिया वाहनों के लिए एक बहु-स्तरीय पार्किंग सुविधा का निर्माण शामिल है. 

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आपको बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का यह ड्रीम प्रोजेक्ट 2017 में राज्य में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद ठप हो गया था. परियोजना में कथित भ्रष्टाचार की जांच के भी आदेश दिए गए थे और तब से यह परियोजना अधर में लटकी हुई है. केंद्र की परिकल्पना कांग्रेस नेता और बाद में विद्रोही बने जयप्रकाश नारायण को समर्पित एक विश्व स्तरीय सम्मेलन, संस्कृति, खेल और संग्रहालय परिसर के रूप में की गई थी. पिछले साल 11 अक्टूबर को जयप्रकाश नारायण की जयंती पर समाजवादी नेता को श्रद्धांजलि देने की अखिलेश की योजना तब विफल हो गई जब सरकार ने केंद्र के प्रवेश द्वारों पर टिन शेड लगा दिए.  

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अखिलेश को बाहर सड़क पर नारायण की तस्वीर पर माला चढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा और सरकार की कार्रवाई को सपा की विरासत को बदनाम करने की "गंदी राजनीति" की रणनीति करार दिया. 2023 में अखिलेश ने नारायण की मूर्ति पर माल्यार्पण करने के लिए केंद्र के बंद गेट पर चढ़ गए, जिन्हें लोकनायक के नाम से भी जाना जाता है. 

वहीं, आज लिए कैबिनेट के फैसले पर बोलते हुए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि जेपीएनआईसी को LDA को दिया तो वापस लेना आसान होगा, फिर इसे आसानी से बेचा जा सकता है. कुल मिलाकर वो योगी सरकार के फैसले से खुश नहीं नजर आए. 

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इनपुट- एजेंसी

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