एक समय टेलीकॉम सेक्टर में दबदबा रखने वाली अनिल अंबानी (Anil Ambani) की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन (Reliance Communication) के लोन अकाउंट को SBI ने बड़ा झटका दिया है. रिलायंस कम्युनिकेशंस ने मंगलवार को कहा कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने उसके लोन खाते को 'धोखाधड़ी' कैटेगरी में डाल दिया है.
एसबीआई अब कंपनी और उसके पूर्व निदेशक अनिल अंबानी की रिपोर्ट भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को करने की योजना बना रही है. स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में कंपनी ने कहा कि SBI ने अगस्त 2016 से क्रेडिट सुविधाओं के संबंध में ये फैसला लिया है. फिलहाल रिलायंस कम्युनिकेशंस दिवालियापन संहिता (IBC) के तहत दिवालियापन की कार्यवाही से गुजर रही है और यह राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) के अंतिम अप्रूवल का इंतजार कर रही है.
इंडिया टुडे पर छपी खबर, सीएनबीसी-टीवी18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, SBI ने कंपनी को दिसंबर 2023, मार्च 2024 और सितंबर 2024 में कारण बताओ नोटिस भेजा था. कंपनी के जवाब की समीक्षा करने के बाद Bank इस फैसले पर पहुंची है कि अनिल अंबानी की कंपनी अपने लोन की शर्तों का पालन नहीं किया है और अपने अकाउंट्स के संचालन में अनियमितताओं के बारे में पूरी जानकारी नहीं दे पाई है.
SBI आरबीआई को करेगा इनकी रिपोर्ट
पूरी समीक्षा करने के बाद एसबीआई ने रिलायंस कम्युनिकेशन के लोन अकाउंट्स को 'फ्रॉड' कैटेगरी में क्लासिफाइड किया है. साथ ही एसबीआई इसकी जानकारी RBI को भी भेजेगी. वहीं ऐसे अकाउंट से जुड़े लोगों की रिपोर्ट भी एसबीआई की ओर से किया जाएगा. इसमें अनिल अंबानी का भी नाम शामिल था.
रिलायंस कम्युनिकेशंस ने क्या कहा?
अपने जवाब में रिलायंस कम्युनिकेशंस ने कहा कि SBI द्वारा ये लोन 2019 में कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) शुरू होने से पहले की अवधि से संबंधित हैं. कंपनी ने तर्क दिया कि IBC की धारा 32A के तहत, एक बार समाधान योजना स्वीकृत हो जाने पर, उसे CIRP शुरू होने से पहले किए गए अपराधों से संबंधित देनदारियों से छूट मिल जाती है.
कंपनी ने कहा कि इन सुविधाओं का समाधान आवश्यक तौर पर समाधान योजना या परिसमापन के तहत किया जाना जरूरी है और कंपनी को मौजूदा समय में IBC के तहत संरक्षण मिला है. साथ ही रिलायंस कम्युनिकेशंस इस बारे में कानूनी सलाह भी ले रही है.
2024 में भी आया था एक ऐसा मामला
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब किसी बैंक ने रिलायंस कम्युनिकेशंस के अकाउंट्स की पहचान की है. नवंबर 2024 में केनरा बैंक ने भी खाते को इसी कैटेगरी में डाला था, लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट ने फरवरी 2025 में उस फैसले पर रोक लगा दी. इसमें उधारकर्ता को सुनवाई का अवसर देने के लिए RBI के दिशानिर्देशों का पालन न करने का हवाला दिया गया था.