टेक्नोलॉजी जगत से आई यह खबर किसी बड़े झटके से कम नहीं. अमेरिका की दिग्गज सॉफ्टवेयर कंपनी सेल्सफोर्स ने अचानक 4,000 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया. वजह है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई. कंपनी का कहना है कि अब इंसानों की जगह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर भरोसा किया जाएगा।
बिजनेस इनसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक,कंपनी के सीईओ मार्क बेनिऑफ ने हाल ही में एक पॉडकास्ट में खुलासा किया कि सबसे बड़ी चोट सपोर्ट डिवीजन पर पड़ी है. पहले जहां इस टीम में 9,000 कर्मचारी थे, अब यह घटकर 5,000 रह गए हैं, यानी सपोर्ट डिवीजन की 45% नौकरियां एक झटके में गायब. बेनिऑफ ने इसे 'रीबैलेंसिंग ऑफ हेडकाउंट' कहा, लेकिन सच्चाई यह है कि इन नौकरियों को सीधे-सीधे एआई एजेंट्स ने रिप्लेस कर दिया है.
एआई ने छीनी रोजी-रोटी
कुछ समय पहले तक बेनिऑफ दावा करते थे कि एआई से बड़े पैमाने पर बेरोजगारी नहीं होगी, लेकिन अब उन्हीं की कंपनी ने सेल्स और कस्टमर सर्विस में एजेंटफोर्स जैसे एआई टूल उतार दिए हैं, जो ऑटोमेटेड समाधान देकर पेंडिंग टास्क तेजी से निपटा रहे हैं. नतीजा—इंसानों की जरूरत घट गई और हजारों लोग बेरोजगार हो गए.
अकेली नहीं है सेल्सफोर्स
एआई का असर झेलने वाली सेल्सफोर्स अकेली कंपनी नहीं है. माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, इंटेल, मेटा और टीसीएस जैसी दिग्गज कंपनियां भी 2025 में हजारों कर्मचारियों की छंटनी कर चुकी हैं. Layoffs.fyi की रिपोर्ट बताती है कि इस साल अब तक दुनियाभर में 80,000 से ज्यादा टेक कर्मचारी अपनी नौकरी गंवा चुके हैं.
क्या इंसान मशीनों से हार रहे हैं?
विशेषज्ञ का मानना है कि ये छंटनी साफ इशारा करती है कि एआई अब टेक इंडस्ट्री की दिशा बदल रहा है. एक तरफ यह कंपनियों की उत्पादकता और स्पीड बढ़ा रहा है, वहीं दूसरी ओर उन्हीं कर्मचारियों की रोजी-रोटी छीन रहा है, जिन्होंने सालों तक इन्हें खड़ा किया.सवाल यही है—क्या इंसान वाकई मशीनों से हार मानने को मजबूर हो रहे हैं? विशेषज्ञ कहते हैं कि आने वाला वक्त उन्हीं का है जो नई स्किल्स सीखेंगे और एआई के साथ तालमेल बिठा पाएंगे.
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