इस तकनीक से टमाटर उगा रहे किसान, बरसात में भी सुरक्षित रहती है फसल

3 days ago 1

इस तकनीक में टमाटर के तने को बैगन की जड़ से जोड़ा जाता है. बैगन की जड़ ज़्यादा पानी सहन कर लेती है, जिससे टमाटर का पौधा बरसात में भी खराब नहीं होता. इससे 90% पौधे बच जाते हैं और ये पौधे 6 से 9 महीने तक फसल देते हैं.

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Tomato grows by grafting technique

Tomato grows by grafting technique

झारखंड के हज़ारीबाग़ जिले के नगड़ी गाँव के किसान अब ग्राफ्टिंग विधि से टमाटर की खेती कर रहे हैं, जिससे बरसात के मौसम में भी उनकी फसल सुरक्षित रहती है. इस पहल से हज़ारों किसानों को फायदा हो रहा है. नगड़ी गाँव के किसानों के लिए अब बरसात का मौसम टमाटर की फसल के लिए मुसीबत नहीं लाता. पहले भारी बारिश में टमाटर के पौधे खराब हो जाते थे, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता था लेकिन अब ग्राफ्टिंग तकनीक ने उनकी मुश्किलें आसान कर दी हैं.

इस तकनीक में टमाटर के तने को बैगन की जड़ से जोड़ा जाता है. बैगन की जड़ ज़्यादा पानी सहन कर लेती है, जिससे टमाटर का पौधा बरसात में भी खराब नहीं होता. इससे 90% पौधे बच जाते हैं और ये पौधे 6 से 9 महीने तक फसल देते हैं. इस काम में किसानों की मदद एक एफपीओ चुरचू नारी ऊर्जा फार्मर्स प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड कर रही है. इसमें अभी 4 हज़ार से अधिक शेयरहोल्डर किसान हैं और 2 प्रखंड के 7500 से ज्यादा किसान इससे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ चुके हैं. इन किसानों को ग्राफ्टिंग तकनीक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे वे बरसात में भी अच्छी पैदावार ले सकें.

एक किसान ने तो पॉलीहाउस में ग्राफ्टिंग करके दूसरे किसानों के लिए पौधे तैयार करना शुरू कर दिया है. अभी तक 60 हजार पौधों की ग्राफ्टिंग हो चुकी है, जिनसे करीब 30 एकड़ में टमाटर की खेती की जाएगी. हालांकि, ग्राफ्टेड पौधे की कीमत सामान्य पौधे से थोड़ी ज्यादा है, लेकिन उत्पादन और पौधों के बचने की दर अधिक होने के कारण यह तकनीक किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रही है. 

किसान बताते हैं कि पहले बारिश में सारे पौधे खराब हो जाते थे, लेकिन अब ग्राफ्टिंग से उन्हें नुकसान नहीं होता और उत्पादन भी अच्छा मिलता है. किसानों को इसकी तकनीकी जानकारी के लिए एक स्वंगसेवी संस्था मदद कर रही है. हजारीबाग का यह क्षेत्र टमाटर उत्पादन में भारत में तीसरा स्थान रखता है. यह तकनीक न सिर्फ किसानों के लिए वरदान साबित होगी बल्कि यह कृषि क्षेत्र में नवाचार की एक मिसाल भी बनेगी. उम्मीद है कि इससे और भी किसान प्रेरणा लेंगे.

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