उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं. इसमें सबसे प्रमुख नगरीय परिवहन के लिए ई-बसों को लखनऊ और कानपुर के 10-10 रूटों पर चलाने का प्रस्ताव है.
इसके अलावा, एक नई आउटसोर्सिंग नीति को भी मंजूरी मिली है. इस नीति के अनुसार, अब नियमित पदों पर आउटसोर्सिंग के माध्यम से भर्ती नहीं की जाएगी. सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण से संबंधित छह साल की इलेक्ट्रॉनिक पॉलिसी को भी मंजूरी दी है.
जानकारी के मुताबिक, सीएम योगी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कुल 16 प्रस्ताव पेश किए गए थे, जिसमें से 15 प्रस्ताव पास हो गए हैं. जबकि, कृषि से संबंधित एक प्रस्ताव स्थगित कर दिया गया है.
निर्यात प्रोत्साहन नीति को मंजूरी
कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश निर्यात प्रोत्साहन नीति 2025-30 को भी मंजूरी दी है, जिसके लिए ₹882 करोड़ का अनुमानित व्यय तय किया गया है. यह नीति प्रदेश के निर्यात को बढ़ावा देने पर केंद्रित है.
इसके साथ ही, शाहजहांपुर में मुमुक्ष आश्रम ट्रस्ट के तहत 'स्वामी शुकदेवानंद राजकीय विश्वविद्यालय' की स्थापना को भी मंजूरी मिल गई है.
वाराणसी के रामनगर में तीन एकड़ ज़मीन पर 'समेकित क्षेत्रीय केंद्र' की स्थापना के लिए निःशुल्क भूमि का हस्तांतरण भी किया जाएगा.
लखनऊ और कानपुर में चलेंगी ई-बसें
उत्तर प्रदेश में शहरी परिवहन को बेहतर बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है. नगरीय विकास मंत्री एके शर्मा के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है, जिसके तहत लखनऊ और कानपुर में 10-10 रूटों पर ई-बसों का संचालन किया जाएगा. इस योजना के लिए निजी ऑपरेटरों के साथ नेट कॉस्ट बेसिक कॉन्ट्रैक्ट किया जाएगा, जिसमें ई-चार्जिंग की सुविधा भी शामिल होगी.
एक बस की अनुमानित लागत ₹10 करोड़ है, जो पर्यावरण-अनुकूल परिवहन को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों का हिस्सा है. इस कदम से न केवल प्रदूषण कम होगा, बल्कि यात्रियों को भी आधुनिक और आरामदायक परिवहन सुविधा मिलेगी. यह फैसला दोनों शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को मजबूत करेगा.
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