उपराष्ट्रपति चुनाव: मसला NDA की जीत का नहीं, INDIA गुट को घुटने के बल लाने का है

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6 सितंबर को समाजवादी पार्टी के सांसद राजीव राय का जन्मदिन था. पर उनका जन्मदिन दिल्ली और लखनऊ के राजनीतिक गलियारों में चर्चा का केंद्र बन गया. दरअसल हुआ यह कि गृहमंत्री अमित शाह ने राजनीतिक दल की हदबंदी से बाहर निकल कर राय को जन्मदिन के लिए विश किया. बात केवल विश के लिए होती तो यहीं खत्म हो जाती. बात आगे इसलिए बढ़ गई क्योंकि तक राजीव राय ने कथित रूप से शाह से अपनी बातचीत की रिकॉर्डिं करवाया और उसे वायरल करवा दिया.

हालांकि सांसद ने बाद में ट्वीट करके सफाई दी है कि उनके किसी उत्साही कार्यकर्ता ने उनकी बातचीत को रिकॉर्ड कर लिया और वट्सऐप ग्रुप पर डाल दिया. इस कहानी को जानने के बाद दिल्ली से लखनऊ तक तमाम लोगों ने यह आंकलन करना शुरू कर दिया कि यह सब उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए को मिलने वाले वोट्स की संख्या बढ़ाने की रणनीति है. बहुत से लोगों ने कहा कि राजीव राय खुद बीजेपी में भले न जाएं पर उपराष्ट्रपति चुनाव में उनका वोट एनडीए कैंडिडेट को जाना पक्का है.

दरअसल बीजेपी अपने हर चुनाव को बहुत गंभीरता से लेती है. एनडीए को पता है कि उनके प्रत्याशी सीपी राधाकृष्णन की जीत सुनिश्चित है फिर भी पार्टी दिन रात अपनी जीत की मार्जिन को बड़ा बनाने के लिए मेहनत कर रही है.बीजेपी की ओर गृहमंत्री अमित शाह खुद मोर्चा संभाले हुए हैं जबकि इंडिया गठबंधन के स्वघोषित नेता राहुल गांधी छुट्टियां मनाने विदेश गए हैं. जाहिर है कि इसका प्रभाव तो पड़ना ही है. इंडिया गठबंधन जितने वोट पा सकती थी उतना वोट भी उसे मिलता नहीं दिख रहा है. आइये देखते हैं कि ऐसा क्यूं और कैसे हो रहा है.

समाजवादी पार्टी के कई वोट एनडीए को जा सकते हैं

राजीव राय को अमित शाह का फोन एनडीए का एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है. सपा, जो इंडिया गठबंधन का हिस्सा है, के 37 सांसद हैं, और यदि इनमें से कुछ सांसद एनडीए के पक्ष में वोट करते हैं, तो यह विपक्ष के लिए बड़ा झटका होगा. क्रॉस-वोटिंग की संभावना को निम्नलिखित कारकों के आधार पर अनुमानित किया जा सकता है.

सपा में कुछ सांसद, खासकर उत्तर प्रदेश के उन क्षेत्रों से जहां बीजेपी का प्रभाव मजबूत है, स्थानीय मुद्दों या व्यक्तिगत लाभ के लिए क्रॉस-वोटिंग कर सकते हैं. राजीव राय जैसे सांसद, जिन्हें अमित शाह जैसे वरिष्ठ बीजेपी नेता ने व्यक्तिगत रूप से संपर्क किया, इस श्रेणी में आ सकते हैं. राजीव राय के लिए घोसी लोकसभा से चुनाव जीतने में बीजेपी के कोर वोटर जिम्मेदार रहे हैं. जाहिर है उन्हें खुश करने के लिए राजीव राय उपराष्ट्रपति चुनाव में यह कदम उठा सकते हैं. इसके अलावा राजीव राय को पता है कि उनका व्यवसायिक साम्राज्य भी फलता फूलता रहे इसलिए सत्ता से संबंध बनाए रखना है.

राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि  अनुमानित रूप से, सपा के 3 से 5 सांसद क्रॉस-वोटिंग कर सकते हैं, खासकर यदि उन्हें स्थानीय विकास परियोजनाओं या अन्य किसी किस्म के राजनीतिक लाभ का आश्वासन मिले.

खरगे का डिनर रद्द होने से कांग्रेस सांसदों की एकजुटता पर सवाल  

कांग्रेस के पास लोकसभा में 99 और राज्यसभा में 26 सांसद हैं, जो कुल 125 वोट बनाते हैं. यह इंडिया गठबंधन का सबसे बड़ा घटक है, और इसकी एकजुटता विपक्ष की रणनीति के लिए महत्वपूर्ण है. सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस के सांसद क्रॉस-वोटिंग कर सकते हैं? 

कांग्रेस ने इस चुनाव को संविधान बनाम आरएसएस-बीजेपी की वैचारिक लड़ाई के रूप में पेश किया है. बी. सुदर्शन रेड्डी की उम्मीदवारी को संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के प्रतीक के रूप में प्रचारित किया जा रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने सांसदों को एकजुट करने के लिए मॉक पोल और रणनीतिक बैठकें आयोजित की हैं. हालांकि, खरगे का डिनर रद्द होने से कुछ असंतोष की संभावना उजागर हुई है. 
कुछ कांग्रेस सांसद, विशेष रूप से उन राज्यों से जहां बीजेपी का प्रभाव मजबूत है (जैसे मध्य प्रदेश, गुजरात, या राजस्थान), स्थानीय मुद्दों या व्यक्तिगत असंतोष के कारण क्रॉस-वोटिंग कर सकते हैं. उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश में कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ जैसे सांसद, जिन्हें स्थानीय स्तर पर बीजेपी से दबाव का सामना करना पड़ता है, रणनीतिक कारणों से क्रॉस-वोटिंग पर विचार कर सकते हैं. हालांकि, ऐसे सांसदों की संख्या सीमित होगी.

ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी की लॉबिंग के कारण 2 से 5 सांसद क्रॉस-वोटिंग कर सकते हैं. यह संख्या सपा (3-5 सांसद), बीजेडी (7-10), बीआरएस (3-4), और निर्दलीय/छोटे दलों (4-6) की तुलना में कम है. 

हालांकि अभी तक कांग्रेस से क्रॉस वोटिंग के मामले नगण्य ही हैं. उदाहरण के लिए 2022 के उपराष्ट्रपति चुनाव में जगदीप धनखड़ ने 528 वोट हासिल किए, जो एनडीए की अनुमानित संख्या से अधिक था. तब बीजेडी और बीआरएस से क्रॉस-वोटिंग हुई, लेकिन कांग्रेस के सांसदों में ऐसी कोई बड़ी क्रॉस-वोटिंग की खबर नहीं थी.इसी  तरह वेंकैया नायडू की जीत को मिले 516 वोट में बीजेडी और अन्य क्षेत्रीय दलों की क्रॉस-वोटिंग थी, लेकिन कांग्रेस के सांसदों ने एकजुट होकर विपक्षी उम्मीदवार गोपालकृष्ण गांधी का समर्थन किया.

2019 लोकसभा स्पीकर चुनाव में भी कांग्रेस के सांसदों ने क्रॉस वोटिंग नहीं की थी. ओम बिरला की जीत में कुछ विपक्षी दलों, जैसे बीजेडी और वाईएसआरसीपी, ने समर्थन दिया.

एनडीए ने किन दलों में सेंध लगाई है?

एनडीए ने अब तक कई दलों और समूहों में सेंध लगा ली है जहां से इंडिया गठबंधन को वोट मिल सकता था. वाईएसआरसीपी के पास लोकसभा में 5 और राज्यसभा में 7 सांसद हैं, कुल 12 वोट हैं.बताया जा रहा है कि इंडिया गठबंधन ने वाईएसआरसीपी प्रमुख जगन मोहन रेड्डी से समर्थन मांगा, लेकिन उन्होंने बी. सुदर्शन रेड्डी को समर्थन देने से इनकार कर दिया. इसके बजाय, वाईएसआरसीपी ने एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन का समर्थन करने का संकेत दिया है.

वैसे वाईएसआरसीपी कोई पहली बार एनडीए के उम्मीदवारों को समर्थन नहीं दे रहे हैं. 2022 के उपराष्ट्रपति चुनाव और 2019 के लोकसभा स्पीकर चुनाव में,इस पार्टी ने एनडीए का समर्थन किया. इस बार भी, जगन मोहन रेड्डी का बीजेपी के साथ तालमेल उनकी पार्टी की आंध्र प्रदेश में कमजोर स्थिति को देखते हुए रणनीतिक हो सकता है.

बीजेडी के पास 7 राज्यसभा सांसद हैं, और यह दल अभी तक तटस्थ बना हुआ है. हालांकि, बीजेडी ने 2017 और 2022 के उपराष्ट्रपति चुनावों में एनडीए उम्मीदवारों (वेंकैया नायडू और जगदीप धनखड़) का समर्थन किया था. न्यू इंडियन एक्सप्रेस और हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट्स के अनुसार, बीजेडी के सांसद एनडीए के पक्ष में वोट कर सकते हैं, खासकर क्योंकि ओडिशा में बीजेपी की सरकार है.

बीजेडी ने हाल के वर्षों में संसद में कई महत्वपूर्ण विधेयकों, जैसे नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और कृषि कानूनों, में एनडीए का समर्थन किया था. यह समर्थन क्षेत्रीय मुद्दों और बीजेपी के साथ बेहतर संबंधों पर आधारित हो सकता है.

बीआरएस के पास 4 राज्यसभा सांसद हैं.बीआरएस ने अभी तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है, लेकिन पार्टी के भीतर हालिया उथल-पुथल (जैसे तेलंगाना में कमजोर स्थिति) के कारण इसके सांसद एनडीए के पक्ष में वोट कर सकते हैं.

3 निर्दलीय सांसद और छोटे दल, जैसे शिरोमणि अकाली दल (1), जेडपीएम (1), और वीओटीटीपी (2), तटस्थ हैं. ये सांसद एनडीए के पक्ष में वोट कर सकते हैं. ऐसा पहले भी देखा गया है कि निर्दलीय सांसद अक्सर सत्तारूढ़ गठबंधन का समर्थन करते हैं, जैसा कि 2017 और 2022 के चुनावों में देखा गया.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे का अप्रोच

जिस तरह का भाव कांग्रेस नेताओं की ओर से उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर दिखाया जा रहा है वो शोचनीय है. प्रत्याशी तो खड़े कर दिए, लेकिन अब मैदान से दूर हो गए हैं. राहुल गांधी को ऐसे समय में जमकर प्रचार करना चाहिए था तो वे विदेश यात्रा कर रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपनी अंतरआत्मा की आवाज पर वोट देने का ऐलान जरूर कर दिया है पर उसके लिए जिस तरह का प्रयास अमित शाह कर रहे हैं उस तरह का प्रयास क्या इंडिया गठबंधन की ओर से भी हो रहा है? क्या राहुल गांधी, खड़गे, ममता बनर्जी आदि ऐसे सांसद जो किसी भी गठबंधन की तरफ नहीं है उन्हें फोन कर रहे हैं? क्या ये नेता हर सांसद से व्यक्तिगत रूप से मिलते और समझाते तो कम से कम एक उम्मीद तो दिखती. अब तो इंडिया गठबंधन के दल भी यह समझ गए हैं कि जब हारना ही है तो कम से कम जीतने वाले को वोट देकर सत्ता पक्ष से संबंध ही सुधार लें. 

इंडिया गठबंधन से क्रॉस-वोटिंग कराने के एनडीए के लिए मायने बड़े हैं

यदि एनडीए इंडिया गठबंधन के सांसदों से क्रॉस-वोटिंग करवाकर अपने उम्मीदवार को जिताता है तो विपक्षी एकजुटता पर गहरा आघात लगना तय है. इंडिया गठबंधन ने इस चुनाव को संविधान बनाम आरएसएस-बीजेपी की वैचारिक लड़ाई के रूप में पेश किया है. जैसे प्रमुख दलों से क्रॉस-वोटिंग होती है, तो यह गठबंधन की आंतरिक एकजुटता और नेतृत्व पर गंभीर सवाल उठाएगा. जाहिर है कि इससे विपक्ष की रणनीति और उसकी संगठनात्मक कमजोरी जनता के सामने आएगी. 

एनडीए की रणनीतिक और लॉबिंग ताकत पर भरोसा बढ़ेगा. इंडिया गठबंधन से क्रॉस-वोटिंग एनडीए की संगठनात्मक ताकत और लॉबिंग क्षमता को दर्शाएगी. बीजेपी ने सांसदों के लिए ट्रेनिंग सत्र और बैठकों का आयोजन किया है ताकि 100% वोटिंग सुनिश्चित हो. यदि सपा, कांग्रेस, या अन्य दलों से सांसद एनडीए के पक्ष में वोट करते हैं, तो यह बीजेपी की व्यक्तिगत संपर्क और प्रलोभन (जैसे विकास परियोजनाएं) की रणनीति की जीत होगी.

2025 में होने वाले विधानसभा चुनावों पर भी एनडीए उपराष्ट्रपति कैंडिडेट के बड़े बहुमत से जीतने का असर पड़ेगा. इंडिया गठबंधन से क्रॉस-वोटिंग का असर उत्तर प्रदेश, बिहार, और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में 2025 के विधानसभा चुनावों पर पड़ेगा.उदाहरण के लिए अगर सपा के सांसदों (जैसे राजीव राय) की क्रॉस-वोटिंग उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की स्थिति को कमजोर कर सकती है.

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