उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत तय! पर अंतर बड़ा नहीं, NDA की एक-एक वोट पर नजर

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उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए कल वोटिंग होने जा रही है. इसके लिए सुबह दस बजे से लेकर शाम पांच बजे तक वोटिंग होगी. कल शाम को ही नतीजे भी घोषित कर दिए जाएंगे. इसके लिए छह बजे से वोटों की गिनती शुरू हो जाएगी.

एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है तो वहीं इंडिया ब्लॉक ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी को चुनावी मैदान में उतारा है. 

उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सांसद वोट डालते हैं. इसके लिए व्हिप जारी नहीं होता और गुप्त मतदान होता है. इसका मतलब है कि सांसद अपनी मर्जी के हिसाब से वोट डालने के लिए स्वतंत्र हैं. लेकिन मोटे तौर पर पार्टी लाइन के हिसाब से ही वोट डाले जाते हैं. 

हालांकि पहले के चुनावों में क्रॉस वोटिंग होती आई है और इस बार भी इसकी संभावना है. इस समय राज्यसभा में 238 और लोकसभा में 542 सांसद है यानी जीत के लिए 391 का आंकड़ा चाहिए. एनडीए के पास 425 सांसद हैं जबकि उसे कुछ अन्य दलों के वोट मिलने का भी भरोसा है. 

YSRCP ने एनडीए के पक्ष में वोट डालने का ऐलान किया है उसके राज्यसभा में सात और लोकसभा में चार सांसद हैं. इस तरह एनडीए के पक्ष में 436 सांसद हैं. आम आदमी पार्टी की स्वाति मालीवाल भी एनडीए के पक्ष में वोट डाल सकती हैं. जबकि बीजेडी ने अभी अपना रुख तय नहीं किया है. संभावना है कि बीआरएस मतदान से गैरहाजिर रहे जबकि बीजेडी एनडीए का समर्थन कर सकता है. बीआरएस के राज्यसभा में चार और बीजेडी के सात सांसद हैं.

बीआरएस फिलहाल खुलकर एनडीए के साथ नहीं आ सकता क्योंकि अगले कुछ महीनों में जुबली हिल्स विधानसभा का उपचुनाव है और वहां मुस्लिम मतदाताओं की बड़ी संख्या है.

लोकसभा के सात निर्दलियों में तीन कहां वोट डालेंगे, यह अभी पक्का नहीं है. इसी तरह अकाली दल, जेडपीएम और वीओटीटीपी के एक-एक सांसदों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है जबकि विपक्ष के पास 324 वोट हैं. ऐसे में जीत का अंतर 100 से सवा सौ के बीच रह सकता है.

पिछले चुनाव में 2022 में जगदीप धनखड़ ने विपक्ष की मार्गरेट अल्वा को 346 वोटों से हराया था. इस बार जीत का अंतर इतना बड़ा नहीं रहेगा क्योंकि विपक्ष पहले की तुलना में मजबूत स्थिति में है. एनडीए सूत्रों का दावा है कि राज्य सभा में 150 वोट विपक्ष के उम्मीदवार के खिलाफ रहेंगे और उन्हें 90 से कम वोट मिलेंगे.

इसी तरह लोकसभा में भी कुछ ऐसे सांसदों पर एनडीए की नजरें हैं, जो पार्टी लाइन से हटकर उनके साथ आ सकें. एनडीए और इंडिया ब्लॉक अपने अपने सांसदों को ट्रेनिंग भी दे रहे हैं ताकि वोट निरस्त न हों.

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