एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट ने ली शेफाली जरीवाला की जान? एक्सपर्ट्स ने बताए संभावित साइड-इफेक्ट्स

5 days ago 1

'कांटा लगा गर्ल' के नाम से फेमस एक्ट्रेस शेफाली जरीवाला की अचानक और चौंकाने वाली मौत ने सभी को अचंभे में डाल दिया है और साथ ही साथ सेलेब्स के बीच एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट (बढ़ती उम्र में भी जवां बने रहने) के प्रति चिंताएं भी पैदा कर दी हैं. ऐसे में हेल्थ एक्सपर्ट्स से लेकर डॉक्टर्स तक महत्वपूर्ण सवाल उठा रहे हैं. 'क्या लाइमलाइट में रहने का दवाब सितारों को  जवां बने रहने और हद से ज्यादा ब्यूटी प्रॉसेस/दवाएं लेने के लिए मजबूर कर रहा है? इस आर्टिकल में हमेशा जवां दिखने की बढ़ती चाहत और ग्लैमर के पीछे छिपे रिस्क और उसके हानिकारक प्रभावों के बारे में बात करेंगे.

हॉलीवुड से चला एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट्स का चलन

डॉक्टर्स की मानें तो हमेशा जवान दिखने का चलन हॉलीवुड से आया है. 2000 के दशक की शुरुआत में हॉलीवुड सेलेब्स के बीच इस तरह के जुनून देखा गया और इसी जुनून ने एंटी-एजिंग का चलन बढ़ा दिया. जैसे-जैसे बॉलीवुड सेलेब्स एंटी-एजिंग प्रॉसेस को फॉलो करने लगे, वैसे-वैसे आम लोगों के बीच भी इसका ट्रेंड बढ़ गया. एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट अब हजारों रुपये में कराया जा सकता है. जहां बोटॉक्स की कीमत 5000 रुपये से शुरू होती है, वहीं कोई व्यक्ति 15,000 रुपये और उससे ज्यादा में फिलर करा सकता है. थ्रेड की प्रक्रिया की कीमत 30,000 से 40,000 रुपये है, जबकि IV इन्फ्यूजन की कीमत 6000 रुपये से 8000 रुपये है.
 
कौन-कौन से ट्रीटमेंट्स लेते हैं सेलेब्स

क्यूटिस क्लिनिक की संस्थापक डॉ. अप्रतिम गोयल ने बताया कि सेलिब्रिटी अक्सर जवां दिखने के लिए कई तरह के ट्रीटमेंट्स का इस्तेमाल करते हैं. इनमें बोटोक्स, फिलर्स, लेजर और रेडियोफ्रीक्वेंसी जैसे उपचार शामिल हैं.

बोटोक्स- ये एक ऐसी प्रकिया है, जो झुर्रियों को रोकने में मदद करती है.

फिलर्स- फिलर्स सेलेब्स तब कराते हैं जब उन्हें अपने चेहरे के किसी एरिया में वॉल्यूम एड करना हो. जैसे गालों और आंखों के नीचे या होंठ.

लेजर और रेडियोफ्रीक्वेंसी (आरएफ) ट्रीटमेंट- ये एक ऐसा ट्रीटमेंट है, जो स्किन को टाइट करता है और पिग्मेंटेशन को कम करता है.

प्रोफिलो या एनसीटीएफ जैसे स्किन बूस्टर- ये स्किन को हाइड्रेट करके हाइड्रेशन को बेहतर बनाते हैं. इससे स्किन चमकदार बनती है.

इनके अलावा कुछ और ट्रीटमेंट्स हैं, जिन्हें स्किन टाइटनिंग के लिए किया जाता है. इनमें एंडोलिफ्ट, थ्रेड्स, HIFU और उल्थेरा शामिल हैं. सेलिब्रिटी कोलेजन और NAD+ जैसे ओरल सप्लीमेंट भी लेते हैं और कभी-कभी फैट बर्नर, सेमाग्लूटाइड, मेटफॉर्मिन या पेप्टाइड्स का भी इस्तेमाल करते हैं. हालांकि, इन्हें केवल डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए.

ला ग्रेस लक्जरी स्किन क्लिनिक की संस्थापक डॉ. ज्योति अनेजा ने शेफाली द्वारा ली जा रही दवाओं और अन्य ट्रीटमेंट्स के बारे में बात करते हुए बताया... 

ग्लूटाथियोन इंजेक्शन - मेलेनिन को धीरे-धीरे कम करके स्किन के रंग को हल्का करता है और उसे चमकदार बनाता है.

एनएडी IV ड्रिप - एनर्जी लेवल में सुधार करते हैं, स्किन सेल को रिपेयर करने में मदद करती है और अंदर से उम्र बढ़ने की प्रॉसेस को धीमा करती है.

टॉपिकल रेटिनोइड्स- ये विटामिन ए बेस्ड एक क्रीम है, जो बॉडी में कोलेजन प्रोडक्शन को बूस्ट करती है, काले धब्बे मिटाती है और समय के साथ स्किन की रंगत में सुधार करती है.

पीआरपी और माइक्रोनीडलिंग (वैम्पायर फेशियल)- स्किन को रीफ्रेश करने के लिए पीआरपी और माइक्रोनीडलिंग का इस्तेमाल किया जाता है. इसे वैम्पायर फेशियल भी कहा जाता है.

उन्होंने थर्मेज, अल्थेरेपी और मॉर्फियस जैसे हाई-टेक, नॉन-सर्जिकल फेस-लिफ्टिंग ट्रीटमेंट्स का भी जिक्र किया, जो सर्जरी के बिना रिजल्ट्स देते हैं. अगर हम चेहरे से ध्यान हटाकर बॉडी की बात करें तो, EmSculpt NEO और Emsella जैसे ट्रीटमेंट्स मसल्स को टोन करते हैं और फैट को कम करते हैं, जो मेडिकल जिम सेशन की तरह काम करते हैं. कई सेलेब्स विटामिन, ग्लूटाथियोन और हाइड्रेशन से भरे IV ड्रिप भी लेते हैं.

एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट्स से जुड़े खतरे

ग्लूटाथियोन के इंजेक्शन लेने से ब्लड प्रेशर अचानक लो हो सकता है और चक्कर आने का कारण भी बन सकता है. खासकर अगर इसे खाली पेट किया जाए, तो ये चीजें होने की संभावना और ज्यादा बढ़ जाती है.

एनएडी IV लेने से मतली, थकान या लिवर में खिंचाव जैसी समस्याएं झेलनी पड़ सकती हैं. 

डॉ. अनेजा ने कहा, 'अगर इन ट्रीटमेंट्स का जरूरत से ज्यादा या गलत तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो शरीर में सूजन और इंसुलिन से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं.'

उन्होंने यह भी बताया कि अगर बोटॉक्स और फिलर्स सही से न किए जाएं या समय के साथ बिगड़ जाएं, तो चेहरे के हाव-भाव नकली लग सकते हैं, चेहरे का बैलेंस बिगड़ सकता है. इतना ही नहीं कभी-कभी स्किन में खून की सप्लाई बंद हो जाती है, जिससे वह खराब हो सकती है.

शेफाली जरीवाला की अचानक मौत के विवाद के बीच, डॉ. गोयल ने यह भी बताया कि कभी-कभी बहुत ही रेयर मामलों में, ये दवाएं दिल का दौरा या यहां तक ​​कि मौत की वजह भी बन सकती हैं. ऐसा खासकर त होता है अगर पहले से ही कोई बीमार हो.

वह बोलीं, 'अगर गलत तरीके से ट्रीटमेंट लिया जाता है, खासकर अगर बिना डॉक्टर की देखरेख के IV ड्रिप या हाई डोज वाले विटामिन लिए जाएं, तो जोखिम होते हैं. सेलेब्स के बीच ये आम बात है कि वे अक्सर बिना डॉक्टर की सलाह और निगरानी के ये ट्रीटमेंट घर पर ही करवाने लगते हैं.

उन्होंने बताया कि अगर घर पर IV (ड्रिप) का इस्तेमाल किया जाए, तो इससे एलर्जी (एनाफिलैक्सिस), दिल की धड़कन में गड़बड़ी, लिवर या किडनी पर ज्यादा असर, खून में हवा के बुलबुले (एयर क्लॉट) बनने या इंफेक्शन का खतरा हो सकता है. इसके अलावा, कुछ फैट कम करने वाले इंजेक्शन या एंटी-एजिंग दवाएं शरीर के मेटाबॉलिज्म को बदल सकती हैं, जिससे शरीर में गड़बड़ी हो सकती है.

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