कबड्डी प्लेयर की कुत्ते के काटने से मौत, कैसे मेक्स‍िको जैसे रेबीज-फ्री बन पाएंगे हम?

5 days ago 1

एक युवा कबड्डी खिलाड़ी की मौत ने एक बार फिर  रेबीज की भयावहता को सामने ला दिया है. भारत में रेबीज एक ऐसी बीमारी है जो हर साल हजारों जानें लेती है. इसके बावजूद दूसरे मुद्दों की तरह ये बड़ा मुद्दा नहीं बन पाता. आज एक बड़ी घटना ने सबका ध्यान इस ओर खींचा है. एक तरफ जहां लोग कुत्ता पालना बहुत पसंद करते हैं, वहीं दूसरी ओर रेबीज की समस्या सामने खड़ी है. इससे मुक्त‍ि कैसे मिलेगी, आइए एक्सपर्ट से जानते हैं. 

हाल ही में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में एक 22 वर्षीय स्टेट-लेवल कबड्डी खिलाड़ी ब्रजेश सोलंकी की मौत का एक वीड‍ियो सोशल मीड‍िया में वायरल हो रहा है. वो मार्च में एक stray puppy हिंदी में कहें तो गली-मुहल्ले के कुत्ते के छोटे से बच्चे को नाले से बचाने की कोशिश कर रहे थे. तभी उसने उन्हें काट लिया. उन्होंने इसे हल्के में लिया जैसा कि अमूमन लोग ले लेते हैं. 

लोग सोचते हैं कि अरे छोटा सा प‍िल्ला है, इसके काटने से क्या ही होगा. कुछ ऐसा ही ब्रजेश ने सोचा और वैक्सीन नहीं लगाया. फिर कुछ महीनों बाद उनमें रेबीज के लक्षण विकसित हुए और तड़प-तड़पकर जान चली गई. इस दुखद घटना ने रेबीज के खिलाफ नई बहस और जागरूकता शुरू कर दी है. 

हल्दी-मिर्च इलाज नहीं, कुत्ता काटे तो गंभीरता से लें- एक्सपर्ट

दिल्ली में संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ डॉ. जतिन आहूजा ने aajtak.in से बात करते हुए कहा कि रेबीज एक पूरी तरह से रोकने योग्य बीमारी है. सिर्फ लोगों में जानकारी न होने की वजह से हर साल हजारों लोग अपनी जान गंवा देते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में जहां स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच सीमित है. लोग अक्सर कुत्ते के काटने को गंभीरता से नहीं लेते और पारंपरिक उपचार जैसे हल्दी या मिर्च लगाने पर भरोसा करते हैं. ये गलतफहमी जानलेवा साबित हो सकती है. 

इंटरनेशनल जर्नल में'भारत में रेबीज का बोझ' नाम से छपी स्टडी में पाया गया कि कुत्तों के काटने से यानी डॉग बाइट 97% मामलों में रेबीज फैलने का मेन रीजन है. भारत में stray dogs की आबादी जो अनुमानित रूप से 6.5 करोड़ से अधिक है. इस बीमारी के फैलने में खास भूमिका निभाती है. डॉ. आहूजा इस पर कहते हैं कि हमारे देश में stray dogs की संख्या बढ़ने का एक कारण यह भी है कि कई लोग उन्हें खाना तो खिलाते हैं लेकिन उनका टीकाकरण नहीं कराते जिससे रेबीज का चक्र जारी रहता है. 

🚨Trigger: human suffering.

In March, Brijesh Solanki, a state level Kabbadi player, was rescuing a puppy from a drain when it bit him. He took it lightly and didn't report. Months later, he developed rabies and died.

Mexico faced a major rabies crisis in the 70s-80s, with… pic.twitter.com/9fYmU2w09b

— THE SKIN DOCTOR (@theskindoctor13) July 2, 2025

कैसे बना मैक्सिको एक सफल मॉडल

रैबीज के खात्मे की लड़ाई जीतनी है तो मैक्सिको की कहानी इसका बड़ा एग्जांपल है. इस देश ने दिखा दिया कि कैसे रेबीज को खत्म किया जा सकता है. मैक्सिको ने 1970 और 1980 के दशक में रेबीज की हाई रेट डेथ यानी सबसे ज्यादा मौतों का सामना किया, लेकिन 2019 में WHO ने इसे कुत्तों से फैलने वाले रेबीज से मुक्त घोषित किया. ये उपलब्धि 80% से अधिक कुत्तों के टीकाकरण, सार्वजनिक जागरूकता अभियानों और त्वरित प्रतिक्रिया नीतियों के माध्यम से हासिल की गई. डॉ. आहूजा ने कहा कि मैक्सिको ने दिखा दिया कि राजनीतिक इच्छाशक्ति और समन्वित प्रयासों से रेबीज को खत्म करना संभव है. भारत को भी इसी दिशा में काम करना चाहिए. 

गोवा कैसे हुआ रेबीज फ्री 

गोवा में एकीकृत दृष्टिकोण की सफलता को लेकर द नेचर में "Elimination of human rabies in Goa, India through an integrated One Health approach" स्टडी से पता चलता है कि गोवा में कैसे  कुत्तों का व्यापक टीकाकरण, लोगों को जागरुक करना और निगरानी की गई. इससे मानव रेबीज को खत्म करने में सफलता मिल पाई. 

साल 2013 से 2019 के बीच गोवा में 95,000 से अधिक कुत्तों का टीकाकरण किया गया और 70% टीकाकरण कवरेज हासिल की गई. इसने canine rabies cases में 92% की कमी लाई और मानव रेबीज को खत्म कर दिया. डॉ. आहूजा कहते हैं कि गोवा का मॉडल दिखाता है कि स्थानीय स्तर पर भी रेबीज को नियंत्रित किया जा सकता है. बशर्ते कि सभी stakeholder एक साथ काम करें. 

इंड‍िया में कैसे कंट्रोल होगा रेबीज 

भारत में भी आसानी से रेबीज कंट्रोल हो सकता है. डॉ. आहूजा कहते हैं कि इसके लिए सरकार को stray dogs की आबादी को कंट्रोल करना चाहिए. इसके बाद उनका वैक्सीनेशन और सार्वजनिक जागरूकता अभियान चलाने चाहिए. वो आगे कहते हैं कि हमें स्कूलों, गांवों और शहरी क्षेत्रों में रेबीज के बारे में जागरूकता फैलानी होगी. हर कुत्ते के काटने के बाद तुरंत चिकित्सा सहायता लेना चाहिए और टीकाकरण सुनिश्चित करना चाहिए. 

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