भारत के बड़े रियल एस्टेट डेवलपर्स ने इस साल 1.5 लाख करोड़ की बिक्री का लक्ष्य तय किया है, क्योंकि उनके कर्ज में ऐतिहासिक गिरावट आई है. पिछले कुछ सालों में इन कंपनियों ने तेजी से अपने कर्ज चुकाए हैं, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति मजबूत हुई है और वे नए प्रोजेक्ट्स में निवेश कर पा रहे हैं. इस सुधार का मुख्य कारण मजबूत आवास बिक्री और ग्राहकों से समय पर भुगतान है. कोरोना के बाद से रियल एस्टेट में बिक्री में बड़ा उछाल आया है, खासकर प्रीमियम और लग्जरी घरों की मांग बढ़ी है.
लोग अब उन बड़े और भरोसेमंद डेवलपर्स को पसंद कर रहे हैं जो समय पर प्रोजेक्ट पूरा करते हैं. एनारॉक रिसर्च के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, भारत की 10 सबसे बड़ी लिस्टेड रियल एस्टेट कंपनियों ने इस वित्तीय वर्ष (FY26) की पहली तिमाही में ही ₹44,317 करोड़ की प्री-सेल्स हासिल कर ली है.
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रियल एस्टेट सेक्टर में हो रहा है फायदा
यह आंकड़ा उनके पूरे साल के 1.49 लाख करोड़ के कुल लक्ष्य का लगभग 30% है. इसका मतलब है कि ये कंपनियां अपने तय लक्ष्य को समय से पहले ही पूरा करने की राह पर हैं, यह दिखाता है कि भारत में रियल एस्टेट सेक्टर बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है. बाजार में डीएलएफ और प्रेस्टीज एस्टेट्स सबसे आगे हैं. डीएलएफ ने पहले ही अपने सालाना प्री-सेल्स के लक्ष्य (20,000-22,000 करोड़ रुपये) का 52% हिस्सा हासिल कर लिया है, जबकि प्रेस्टीज भी 27,000 करोड़ रुपये के अपने लक्ष्य का 45% पूरा करके उनके पीछे है.
अगर पिछले साल से तुलना करें, तो इन डेवलपर्स ने वित्त वर्ष 2025 में कुल 1.21 लाख करोड़ रुपये की प्री-सेल्स (घरों की बुकिंग) की थी, अब वे वित्त वर्ष 2026 में 23% की बढ़ोतरी का लक्ष्य रख रहे हैं. वित्त वर्ष 2025 में गोदरेज प्रॉपर्टीज 29,444 करोड़ रुपये की प्री-सेल्स के साथ पहले स्थान पर थी, जबकि डीएलएफ 21,233 करोड़ रुपये के साथ दूसरे स्थान पर रही. ये बड़ी कंपनियां अपने विस्तार की गति को धीमा नहीं कर रही हैं. 2025 की पहली छमाही में 76 सौदों के जरिए 2,898 एकड़ से ज्यादा जमीन खरीदी-बेची गई, जो कि 2024 के पूरे साल में हुए जमीन के सौदों से 1.15 गुना ज्यादा है.
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जब बिक्री मजबूत हो, तो वित्तीय स्थिति में सुधार और भी कमाल का होता है. 2018 के एनबीएफसी संकट और महामारी के बाद, डेवलपर्स ने अपना कर्ज़ कम करने पर बहुत ज़ोर दिया था. आज, वित्त वर्ष 2025 में, उनका औसत शुद्ध कर्ज-से-इक्विटी अनुपात गिरकर 0.05 के ऐतिहासिक निचले स्तर पर आ गया है. यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2017 में 0.55 था यानी इसमें 90% की भारी कमी आई है.
कुछ बड़ी कंपनियों के पास अब पैसा ज़्यादा है, कर्ज़ कम
कुछ बड़ी कंपनियों के पास अब कर्ज की बजाय कैश ज़्यादा है. यह दिखाता है कि पूरा सेक्टर अब कर्ज लेकर बढ़ने के बजाय अपनी मजबूत बैलेंस शीट के दम पर आगे बढ़ रहा है. एनारॉक ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी कहते हैं, "कर्ज कम करने का यह दौर भारत में रियल एस्टेट के विकास पर लंबे समय तक सकारात्मक असर डालेगा. जब कंपनियों का कर्ज़-से-इक्विटी अनुपात इतना कम हो और पूंजी का प्रवाह बढ़ रहा हो, तो डेवलपर्स रणनीति के साथ विस्तार कर सकते हैं, बाज़ार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकते हैं और ग्राहकों का भरोसा जीत सकते हैं."
मजबूत वित्तीय स्थिति और कम कर्ज के कारण रियल एस्टेट अब बड़े और विदेशी निवेशकों के लिए एक सुरक्षित विकल्प बन गया है. इससे इस सेक्टर में लंबे समय तक निवेश होने की उम्मीद है.
बड़े-बड़े डेवलपर्स दशकों में अपनी सबसे बेहतरीन स्थिति में वित्त वर्ष 2026 में कदम रख रहे हैं वे अब पहले से ज़्यादा कर्ज़-मुक्त, मजबूत और तेजी से विकास के लिए तैयार हैं.
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