कोझिकोड मेडिकल कॉलेज में अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस के कारण महज तीन महीने के एक बच्चे की मौत हो गई, जो पूरे राज्य के लिए चिंता का विषय बन गया है. ओमासेरी के अबूबकर सिद्दीकी के बेटे का पिछले एक महीने से इलाज चल रहा था और वो वेंटिलेटर पर था. पिछले कुछ हफ्तों में अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस से ये दूसरी मौत है और कोझिकोड, वायनाड, तिरुवनंतपुरम, कोल्लम और मलप्पुरम में इसके और मामले मिले हैं. इसी वजह से हेल्थ डिपार्टमेंट ने लोगों को जागरूक करने और बचाव के कदम बढ़ा दिए हैं और पूरे केरल को हाई अलर्ट पर रखा गया है.
ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस क्या है? ये क्यों होता है? कितना खतरनाक है? इसका इलाज और लक्षण क्या हैं? आज इस रिपोर्ट में हम आपको इन सभी सवालों के जवाब देंगे.
अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस क्या है?
अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस एक दिमाग का इंफेक्शन है. ये यूं तो बहुत दुर्लभ है, लेकिन जानलेवा बीमारी है. ये इंफेक्शन खास तरह के अमीबा, जैसे नेग्लेरिया फाउलेरी और बालामुथिया मैंड्रिलारिस की वजह से होता है. ये अमीबा अक्सर दूषित तालाब, झील या गंदे पानी में पाया जाता है. जब लोग ऐसे पानी में नहाते या तैरते हैं, तो अमीबा नाक के रास्ते शरीर में घुस जाता है और धीरे-धीरे दिमाग तक पहुंचकर वहां सूजन पैदा कर देता है.
कैसे होता है अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस?
ये इंफेक्शन अक्सर गंदे पानी की झील, तालाब या साफ न किए गए पानी में तैरने, गोता लगाने या नहाने से होता है. ये तब भी हो सकता है जब नाक धोने के लिए उबला या साफ ना किए गए नल का पानी इस्तेमाल किया जाए. ये दूषित मिट्टी से भी हो सकता है, लेकिन इसकी संभावना बहुत कम होती है. ये बात ध्यान देने वाली है कि ये बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती है.
क्या होते हैं अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस के लक्षण?
अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस बहुत जल्दी फैलता है और कुछ ही दिनों में जानलेवा हो सकता है. इसके शुरुआती लक्षण अक्सर मेनिंजाइटिस (दिमाग और रीढ़ की हड्डी को ढकने वाली झिल्लियों (मेंनिंजेस) में सूजन होने की बीमारी है. ये सूजन आमतौर पर बैक्टीरिया, वायरस या कभी-कभी फंगस की वजह से होती है) जैसे होते हैं, इसलिए इसे पहचानना मुश्किल होता है. आम लक्षणों में तेज सिरदर्द, बुखार, मतली और उल्टी, गर्दन में अकड़न, भ्रम या सोचने-समझने में बदलाव, संतुलन खोना, दौरे पड़ना और रोशनी से परेशानी शामिल हैं. इंफेक्शन बढ़ने पर इसका मरीज कोमा में भी पहुंच सकता है.
कैसे क्या जाता है इसका इलाज?
अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस का इलाज बहुत मुश्किल है और इससे बचने के मौके कम होते हैं. लेकिन अगर इसे जल्दी पहचान लिया जाए और तेजी से इलाज शुरू किया जाए तो मदद मिल सकती है.
इलाज में एम्फोटेरिसिन बी, मिल्टेफोसिन, फ्लुकोनाजोल और एजिथ्रोमाइसिन जैसी दवाओं का इस्तेमाल एक साथ किया जाता है. इसके अलावा, मरीज को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा जाता है. इसके अलावा, मरीज को दौरे रोकने वाली दवाएं और दिमाग की सूजन कम करने वाली देखभाल भी दी जाती है.
इसके जरा से लक्षण दिखते ही बिना देर किए सबसे पहले तुरंत डॉक्टर की मदद ली जानी चाहिए क्योंकि देर करने से हालत और ज्यादा गंभीर हो सकती है.
किन लोगों को होने का खतरा ज्यादा?
1. वे बच्चे और युवा जो अक्सर तालाब, नदी या बिना क्लोरीन वाले पानी के तालाब या नदी में तैरते हैं उन्हें अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस होने का खतरा ज्यादा होता है.
2. इनके अलावा जो लोग नाक धोने के लिए उबला या गंदे नल का पानी इस्तेमाल करते हैं वो सभी भी खतरे में होते हैं.
3. वे लोग जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है और बरसात के समय दूषित पानी के कॉनटैक्ट में आने वाले लोग भी इस इंफेक्शन का शिकार हो सकते हैं.
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