कुछ महीने पहले डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क गलबहियां कर रहे थे. अब दोनों ही सोशल मीडिया पर एक-दूसरे के खिलाफ दांता-किलकिल कर रहे हैं. ट्रंप झोंक-झोंक में इशारा कर गए कि मस्क माने नहीं तो उन्हें अमेरिका से वापस लौटाया जा सकता है. कुछ यही संकेत उन्होंने न्यूयॉर्क में मेयर का चुनाव लड़ रहे जोहरान ममदानी के लिए भी दिए. लेकिन दोनों ही अमेरिकी नागरिक हैं. तो ट्रंप क्या अपने पद के जरिए किसी नागरिक को देश-निकाला दे सकते हैं?
सरकार से असहमति क्या वाकई स्टेटलेस बना देगी
ट्रंप वैसे ऊटपटांग बयानों को लेकर कुख्यात हैं, और कोई भी उनकी इस तरह की बातों को गंभीरता से नहीं लेता. इसके बाद भी सवाल तो उठता है. क्या अमेरिका किसी को, जो वहाँ का वैध नागरिक है या कानूनी रूप से वहां रह रहा है, सिर्फ इस वजह से कि वो सरकार से असहमत है, या किसी विवादित मुद्दे पर बोलता है, देश से निकाल देगा!
बिल्कुल नहीं. अगर कोई शख्स अमेरिकी नागरिक है, चाहे जन्म से या नेचुरलाइजेशन के ज़रिए, तो उसे देश से निकालना संविधान के खिलाफ है. दूसरी बात- यूएस में नागरिकों को बोलने की आजादी है. यानी चाहे वो कितने ही विवादित बयान दे, अगर उससे हिंसा नहीं भड़कती, या नेशनल सिक्योरिटी को खतरा न हो, ऐसा कोई आदेश नहीं दिया जा सकता.
यहां तक कि ऐसा होने की स्थिति में भी आपराधिक गतिविधि के लिए उसे जेल हो सकती है, जो कि यूएस में हो होगी. सरकार या पॉलिसी पर असहमति किसी को डिपोर्ट करने का कारण नहीं बन सकती.
मस्क दक्षिण अफ्रीका में जन्मे और कनाडा होते हुए अमेरिका आ गए. वे यूएस के नागरिक हैं. वहीं जोहरान ममदानी भी भारतीय मूल के हैं लेकिन अमेरिकी नागरिकता है. दोनों ही अलग-अलग मुद्दों पर बोलते रहे. जैसे मस्क सीधे ट्रंप की नीतियों के खिलाफ बात करते हैं, जबकि ममदानी फिलिस्तीन के मसले को उठाते हुए वाइट हाउस को घेरते हैं. एक का हमला ज्यादा डायरेक्ट है, वहीं दूसरा हाथ को घुमाते हुए कान पकड़ रहा है. हां, लेकिन ट्रंप दोनों से ही नाराज हैं.
फिर यूएस कब रद्द कर सकता है नागरिकता
कई बार अमेरिकी नागरिकता पाने के लिए लोग सही-गलत रास्ते अपनाते हैं. फर्जी दस्तावेज बनवाते हैं, जरूरी चीजें छिपाते हैं, जैसे पुराना क्रिमिनल रिकॉर्ड और फर्जी संकट का सहारा लेते हैं. ऐसे में उन्हें नागरिकता मिल तो जाती है लेकिन भेद खुलने पर छीनी भी जा सकती है.
नागरिकता मिलने के बाद कामकाज तो जरूरी है ताकि परिवार पलता रहे, लेकिन नागरिकता के पांच सालों के भीतर ही किसी ने ऐसा संगठन जॉइन कर लिया, जिसे यूएस टैररिस्ट गुट मानता हो, तो सरकार नागरिकता ले सकती है.
कई बार अपने देश में रहते हुए लोग सेना में भी सर्व करते हैं. यहां तक तो ठीक है. लेकिन अगर इस दौरान शख्स ने कुछ ऐसा किया जो यूएस मिलिट्री के खिलाफ जाता हो तब भी नागरिकता चली जाएगी. ऐसे इक्का-दुक्का केस हैं. लेकिन नागरिकता इसलिए रद्द नहीं हुई कि लोगों ने हिंसा की थी, बल्कि इसलिए हुई कि उन्होंने ये जानकारी छिपाई.
अमेरिका में नागरिकता पाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना होता है. लेकिन ये मिल जाए तो रद्द होना भी उतना ही मुश्किल है.
इसके कई कारण रहे
- इंटरनेशनल लॉ कहता है कि लोग बेवतन नहीं होने चाहिए. अमेरिका अगर अपने लोगों की नागरिकता छीन ले तो वे स्टेटलेस हो जाएंगे. यही वजह है कि वो भरसक ऐसा करने से बचता है.
- एक क्रिमिनल केस की तरह ही सरकार को साबित करना होता है कि फलां शख्स की नागरिकता क्यों ली गई. इसमें दूसरी पार्टी को कुछ भी साबित करने की जरूरत नहीं. प्रोसेस में सरकारी खर्च काफी ज्यादा है, जिससे वे बचते रहे.
अब बात करते हैं मस्क की
ट्रंप को उन्हें डिपोर्ट करने का आइडिया अपने एडवाइजर स्टीव बेनन से मिला, जिन्होंने एक विवाद के दौरान कह दिया था कि उन्हें अमेरिका से हटा दिया जाए. बेनन का आरोप है कि मस्क अमेरिका में अवैध तरीके से रह रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मस्क ने जब देश में अपना काम शुरू किया, वे वैध नहीं थे. वे साल 1995 में स्टूडेंट वीजा पर आए और बिजनेस करने लगे. बाद में वे वैध नागरिक हो गए.
अब उन्हें अगर डिपोर्ट करना है तो ये प्रोसेस डीनेचुराइजेशन कहलाएगी. ये तभी हो सकेगा, जब साबित हो सके कि मस्क ने अमेरिकी नागरिकता धोखे से, झूठ बोलकर या गलत दस्तावेजों के सहारे ली.