क्या आज ₹16000 महीना काफी है? नहीं, तो फिर 2045 में ₹1 करोड़ वालों का होगा यही हाल

12 hours ago 1

हर कोई अपनी कमाई में से कुछ न कुछ बचत (Savings) करता है और उसे ऐसी योजनाओं में निवेश (Investment) करता है, जिससे आने वाले समय में उन्हें पैसों की दिक्कत न हो. खासतौर पर रिटायरमेंट के बाद के लिए बनाए गए प्लान (Retirement Plan) में लक्ष्य रहता है कि 1 करोड़ रुपये का फंड हो, तो बुढ़ापा मौज में कट जाएगा. क्या आप भी ऐसा सोचते हैं, तो रुक जाइए और इस पर फिर विचार करने की जरूरत है.

एक्सपर्ट्स की मानें तो आने वाले समय के लिए इतनी रकम काफी नहीं है और निवेश की स्ट्रेटजी अभी से बदलना जरूरी है. आइए समझते हैं 2045 तक 10000000 रुपये की वैल्यू कितनी रह जाएगी.  

मिडिल क्लास के लिए बड़ी चेतावनी
आज 1 करोड़ रुपये (One Crore Rupee) की रकम बहुत अच्छी खासी मानी जाती है और रिटायरमेंट के बाद इतने फंड (Retirement Fund) में जीवन आसानी से गुजर जाता है, लेकिन साल 2045 की बात करें, तो उस समय तय ये दूर की बात हो जाएगी. खासतौर पर मिडिल क्लास के लिए ये किसी बड़ी चेतावनी (Alert For Indian Middle Class) से कम नहीं है. उसपर भी सक्रिय रूप से रिटायरमेंट प्लानिंग करने वालों की तादाद सिर्फ एक चौथाई के आसपास है. 

काफी नहीं है ₹1Cr का रिटायरमेंट फंड!
विशेषज्ञ ने चेतावनी दी कि भारत का अधिकतर मध्यम वर्ग आर्थिक तौर पर अपने बुढ़ापे को लेकर सजग नहीं है. कई तो ऐसे हैं कि 5000 रुपये महीने की पेंशन का विकल्प चुनकर संतुष्ट हो जाते हैं, मतलब करीब 20 लाख का रिटायमेंट फंड. लेकिन क्या आपको लगता है ये काफी है या 1 करोड़ रुपये का फंड जमा कर लेने से मौज में बुढ़ापा कट सकता है. तो जान लें कि ये अभी एक सुनहरा आंकड़ा जरूर लग सकता है, लेकिन 2045 तक इतनी रकम में आपको अपनी बुनियादी जरूरतें पूरा करने के लिए भी जूझना पड़ सकता है. क्योंकि आज अगर 16 हजार रुपये से आपका घर चल सकता है तो फिर 2045 में आपके 1 करोड़ काफी हो सकते हैं,

दरअसल, 2045 में 1 करोड़ का फंड बैंक में जमा होने पर आपको आज की वैल्यू के हिसाब से करीब 16 हजार रुपये ब्याज मिलेगा. जो किसी तरह से भी काफी नहीं है. इससे एक मिडिल क्लास का घर नहीं चल सकता है. 

'जीवन खत्म होने से पहले पैसा खत्म'
खासकर तब जबकि दुनियाभर में हेल्थ सर्विसेज पर होने वाला खर्च दिनों-दिन बढ़ते हुए आसमान छूता जा रहा है और महंगाई भी आंखें दिखा रही है. चेन्नई के ऑडिट विशेषज्ञ बी. गोविंदा राजू ने अपने लिंक्डइन अकाउंट पर एक पोस्ट के जरिए कुछ ऐसी ही चेतावनी दी है, जो रिटायरमेंट के बाद आर्थिक परेशानियों और उससे निपटने की इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी पर दोबारा सोचने को मजबूर कर देती है.

एक्सपर्ट का कहना है कि ₹1 करोड़ रुपये अब रिटायरमेंट के लिए कोई बड़ा सहारा नहीं है, अगर आप इससे आगे की योजना नहीं बना रहे हैं तो आप पछताते हुए संघर्षों से जूझ सकते हैं. सीधी भाषा में उन्होंने समझाते हुए कहा है कि हम लंबी उम्र या महंगाई के मद्देनजर कोई योजना नहीं बनाते और यही वजह है कि कई भारतीयों का जीवन खत्म होने से पहले ही पैसा खत्म हो सकता है.

1Cr होंगे... फिर भी महीने के लिए इतनी रकम
राजू ने अपनी इस चेतावनी को एक सिंपल कैलकुलेशन के जरिए समझाया है और इसके पीछे के गणित को समझें, तो मान लीजिए अगर आप 60 साल की उम्र में 1 करोड़ रुपये के साथ रिटायरमेंट लेते हैं और 85 साल तक जीते हैं, तो फिर इन 25 सालों में आपको फंड के आधार पर हर महीने 33,000 रुपये मिलेंगे. लेकिन महंगाई भी साथ ही बढ़ेगी, तो रिटायरमेंट के अगले 10 साल में 33000 रुपये हर महीने आपको 17,500 रुपये के समान लगने लगेंगे और फिर 85 साल तक उम्र तक यह मुश्कित से 16,000 रुपये प्रति माह तक रह जाएंगे.

इतनी रकम में तो आज के समय में भी कई लोग महीने का किराना का सामान और अन्य छोटे-मोटे कामों पर खर्च कर देते हैं, तो सोचिए 25 साल बाद इतने में क्या ही कर लेंगे. ऐसे में जिस तेजी से हेल्थ सर्विस की लागत में इजाफा हो रहा है और अगर कोई आपात स्थिति या अन्य जीवन यापन के खर्चें इसमें शामिल हो जाएं, तो स्थिति और भी संघर्ष पूर्ण हो सकती है, जिसके लिए 1 करोड़ रुपये का Retirement Fund नाकाफी साबित होगा. उन्होंने कहा कि ये 1 करोड़ रुपये की रकम कभी एक बेहतर आंकड़ा लगता था, लेकिन इसकी वैल्यू तेजी से घट रही है और असल में 2045 तक ये 23 लाख रुपये के आस-पास रह जाएगी. 

कारण... समाधान और सलाह
ऑडिट विशेषज्ञ बी. गोविंदा राजू के मुताबिक, अगर आप आज के हिसाब से 1 लाख रुपये मंथली कमाने का टारगेट रखते हैं, तो बड़े शहरों में आपको करीब 4-5 करोड़ रुपये का रिटायरमेंट फंड रखने की जरूरत होगी. वहीं छोटे शहरों की नॉर्मल लाइफस्टाइल के लिए कम से कम 2.5 करोड़ रुपये का रिटायरमेंट फंड जरूरी हो जाता है.

इस संकट के प्रमुख कारणों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि महंगाई को कम आंकना, हेल्थ सर्विस कॉस्ट की अनदेखी, फाइनेंशियल एजुकेशन की कमी और अचल संपत्ति पर निर्भरता बड़ी वजह बन रहे हैं. राजू के मुताबिक, इसका सबसे सही समाधान ये है कि जल्दी निवेश की शुरुआत कर दें. SIP Investment एक बेहतर विकल्प हो सकता है और हर साल एसआईपी बढ़ाएं जरूर. इक्विटी और डेट के बीच विविधता लाना भी जरूरी है. स्वास्थ्य सेवा के लिए अलग से खर्च का प्लान और फंड तैयार करें. 

कुल मिलाकर उन्होंने अंतिम निष्कर्ष ये निकाला कि साल 2045 में 1 करोड़ से आपको मानसिक शांति नहीं मिल सकती है और अगर भविष्य के लिए प्लानिंग के मद्देनजर आप अभी अपनी योजना को अपग्रेड नहीं करते हैं, तो हो सकता है कि आपकी पूरी रिटायरमेंट प्लानिंग ही डाउनग्रेड हो जाए. 

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