क्या ईरान के लिए परमाणु बम बनाने का रास्ता साफ हो गया? IAEA से अलग होने का क्या है मतलब

5 days ago 1

ईरान ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग (IAEA) के साथ सहयोग न करने का फैसला किया है. पिछले महीने ईरान के परमाणु केंन्द्रों पर इजरायल और अमेरिका के हमलों के बाद ईरान ने ये निर्णय लिया है. ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के साथ सहयोग को रद्द करने वाले कानून पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. 

24 जून को इजरायल के साथ ईरान का युद्धविराम होने के एक दिन बाद ही ईरान की संसद ने IAEA के साथ सहयोग रद्द करने के लिए भारी बहुमत से मतदान किया था बुधवार को सरकारी मीडिया ने पुष्टि की कि यह कानून अब प्रभावी हो गया है. 

इसके साथ ही अब ईरान के परमाणु कार्यक्रम की अंतरराष्ट्रीय निगरानी नहीं हो सकेगी. ऐसी स्थिति में ईरान अपने न्यूक्लियर मिशन को गुप्त रूप से आगे बढ़ा सकता है. ईरान पहले ही कह चुका है कि उसे कोई दूसरा देश न बताए कि उसके पास परमाणु शक्ति होना चाहिए या नहीं. 

IAEA से ईरान के अलग होने का मतलब क्या है?

ईरान की संसद में पास प्रस्ताव के अनुसार IAEA से अलग होने के बाद अब इसके इंस्पेक्टर ईरान के परमाणु केंद्रों का निरीक्षण नहीं कर पाएंगे. इसका सीधा सा मतलब यह है कि अगर ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को चोरी छिपे आगे बढ़ाता है तो IAEA को अब ये जानकारी नहीं मिल पाएगी कि उसका परमाणु कार्यक्रम किस स्तर तक पहुंचा है.

संयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत अमीर सईद इरावनी ने कहा है कि IAEA के इंस्पेक्टर ईरान में हैं और सुरक्षित हैं लेकिन "उनकी गतिविधियों को निलंबित कर दिया गया है, और उन्हें हमारी साइटों तक पहुंचने की अनुमति नहीं है."

अब अगर IAEA के इंस्पेक्टरों को ईरान के परमाणु केंद्रों तक पहुंचना है तो उन्हें ईरान की सुप्रीम संस्था नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की अनुमति लेनी होगी.

क्या ईरान के परमाणु बम बनाने का रास्ता साफ हो गया है

यहां यह जानना जरूरी है कि ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फहान परमाणु केंद्रों पर हमले के बाद ईरान का 400 किलोग्राम यूरेनियम 'गायब' है. इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि ईरान के पास 9 परमाणु बम बनाने जितना यूरेनियम है.   

गौरतलब है कि ईरान के पास पहले से ही पर्याप्त एनरिच यूरेनियम है. IAEA पहले ही कह चुका है कि ईरान 60 फीसदी तक यूरेनियम का एनरिचमेंट कर चुका है. किसी अंतरराष्ट्रीय निगरानी के अभाव में ईरान अपने एनरिचमेंट लेवल को अगर 90 फीसदी तक ले गया तो वह परमाणु बम बनाने की क्षमता हासिल कर सकता है. हालांकि इसमें अभी भी कई बाधाएं हैं. 

हालांकि ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने सीबीएस न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा था कि कोई भी ताकत बमबारी करके तकनीक और विज्ञान को पूर्णतया नष्ट नहीं कर सकती है.

ईरान का फतह हाईपर सोनिक मिसाइल (फोटो- AFP)

बता दें कि ईरान अभी परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का सदस्य है. यह सदस्यता उसे परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग का अधिकार देता है. लेकिन परमाणु हथियार विकसित करने से रोकता है. इस अधिकार में यूरेनियम संवर्धन और परमाणु अनुसंधान भी शामिल है.  उसे परमाणु प्रौद्योगिकी और सामग्री तक पहुंच का हक है, बशर्ते यह हथियार निर्माण के लिए न हो. 

लेकिन ऐसा करने के लिए ईरान को IAEA की निगरानी स्वीकार करनी होगी. ताकि उसका कार्यक्रम शांतिपूर्ण रहे. ईरान भी हमेशा से शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु कार्यक्रम की दुहाई देता है. लेकिन शांतिपूर्ण परमाणु कार्यों के लिए 5 फीसदी तक यूरेनियम एनरिचमेंट पर्याप्त है, जबकि ईरान 60 फीसदी तक यूरेनियम एनरिचमेंट कर चुका है. इसलिए उसका दावा संदेह के घेरे में है.

ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई का भी कहना है कि अगर वह बम बनाना चाहेगा तो दुनिया के नेता उसे रोक नहीं पाएंगे.

जहां तक ईरान द्वारा अपने परमाणु कार्यक्रमों को फिर से शुरू करने का सवाल है तो इस पर ईरान की मंशा स्पष्ट नहीं है. अमेरिकी और इजरायली हमले में नतांज स्थित ईरान के न्यूक्लियर सेंट्रीफ्यूज नष्ट हो गए हैं. ऐसी स्थिति में उसके लिए एनरिचमेंट आसान नहीं होगा. लेकिन ईरान के कुछ परमाणु गुप्त परमाणु केंद्र अभी भी सुरक्षित बताए जा रहे हैं. 

यह भी पढ़ें: कुह-ए-कोलांग गज-ला: न नतांज, न फोर्डो... US-इजरायल को चकमा देते हुए ईरान ने बना लिया नया सीक्रेट न्यूक्लियर अड्डा!

कुह-ए-कोलांग गज-ला ऐसा ही परमाणु केंद्र है जो नतांज से थोड़ी दूरी पर बीच पहाड़ में स्थित है. अगर ईरान इस केंद्र को या फिर इस जैसे केंद्र को फिर से एक्टिवेट करता है ये कदम अमेरिका-इजरायल की चिंता बढ़ा सकता है. 

अमेरिका-यूएन ने क्या कहा

अमेरिका और ट्रंप हमेशा से कहते आ रहे हैं कि ईरान को परमाणु बम बनाने का अधिकार नहीं है. IAEA से ईरान के अलग होने पर अमेरिका ने कहा है कि ये अस्वीकार्य है. अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी के ब्रूस ने कहा, "हम अस्वीकार्य शब्द का प्रयोग करेंगे, ईरान ने ऐसे समय में IAEA के साथ सहयोग निलंबित करने का निर्णय लिया, जब उसके पास अपना रुख बदलने तथा शांति और समृद्धि का मार्ग चुनने का अवसर था."\

वहीं संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता ने कहा कि यह निर्णय "स्पष्ट रूप से चिंताजनक" है. 

कितनी तेजी से परमाणु बम बना सकता है ईरान

इजरायल के ताजा हमले में ईरान के कई चोटी के परमाणु वैज्ञानिक मारे गए हैं. इससे उसके इस मिशन को जरूर चोट पहुंची है. लेकिन उसके इंफ्रास्ट्रक्टर को कितना नुकसान पहुंचा है. इसकी स्पष्ट जानकारी नही है. हालांकि अमेरिका यह जरूर कह रहा है कि अमेरिकी-इजरायली हमले ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कम से कम 2 साल पीछे कर दिया है. 

डीडब्ल्यू की एक रिपोर्ट के अनुसार विशेषज्ञ मानते हैं कि हमले से पहले परमाणु बम बनाने के लिए ईरान का कथित "ब्रेकआउट टाइम" शून्य पर पहुंच गया था. ब्रेकआउट टाइम का मतलब उस समय से है जो ईरान को परमाणु बम के लिए वेपन ग्रेड यूरेनियम को एनरिच करने में लगने वाला है.

ऐसी स्थिति में ईरान कुछ दिनों में कुछ हफ्तों में या फिर चंद महीनों में परमाणु बम बनाने लायक यूरेनियम संवर्धित कर सकता है. 

IAEA के चीफ ने भी सीएनएन से बातचीत में कहा था कि, "निश्चित रूप से यह कल नहीं होगा, हालांकि मुझे यह भी नहीं लगता कि इसमें कई साल लगेंगे."

बता दें कि परमाणु बम बनाने के लिए केवल एनरिच यूरेनियम पर्याप्त नहीं है. इसके लिए, डिलीवरी सिस्टम (जैसे मिसाइल-पनडुब्बी) और हथियारों के डिजाइन पर भी काफी डिटेल से काम करने की आवश्यकता होती है.
 

Read Entire Article