नाटो के प्रमुख मार्क रुटे ने भारत, चीन और ब्राजील को रूस से तेल और गैस व्यापार जारी रखने पर 100% सख्त सजा की चेतावनी दी है. यह बयान उस वक्त आया जब रुटे ने अमेरिकी सीनेटरों से मुलाकात के बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर शांति वार्ता के लिए दबाव बनाने को कहा.
अब सवाल यह है कि नाटो जो एक सैन्य संगठन है, भारत जैसे स्वतंत्र देश को व्यापार नीतियों पर धमकाने वाला कौन होता है? रुटे ने कहा कि अगर आप दिल्ली, बीजिंग या ब्राजील में हैं तो सावधान हो जाइए क्योंकि यह आपके लिए भारी पड़ सकता है. ये धमकी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उस बयान के बाद आई, जिसमें उन्होंने रूस से व्यापार करने वाले देशों पर भारी टैरिफ की बात कही थी लेकिन हैरानी की बात यह है कि यूरोप खुद रूस से तेल खरीद रहा है, फिर भारत को क्यों निशाना बनाया जा रहा है?
नाटो का दायरा सैन्य, व्यापार नहीं
नाटो एक सैन्य गठबंधन है, जिसका काम सामूहिक सुरक्षा है, न कि वैश्विक व्यापार पर नकेल कसना. रुटे का भारत को धमकाना उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है. भारत का नाटो से कोई लेना-देना नहीं, फिर भी यह बयान ट्रम्प की नीतियों के साथ तालमेल दिखाता है. ट्रम्प ब्रिक्स देशों को अमेरिका-विरोधी मानते हैं और उनकी मुद्रा को डॉलर के लिए खतरा समझते हैं. रुटे का बयान क्या ट्रम्प के दबाव में दिया गया है? यह सवाल उठना लाजमी है.
भारत को शांति की नसीहत क्यों?
रुटे ने भारत से पुतिन को फोन कर शांति वार्ता के लिए दबाव बनाने को कहा. ये बयान भारत के शांति प्रयासों को नजरअंदाज करता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार कहा है कि ये युद्ध का युग नहीं है. भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध में संतुलित रुख अपनाया है. साल 2024 में मोदी ने पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से बात की थी और यूक्रेन का दौरा भी किया. फिर भारत को नसीहत की जरूरत क्यों?
सजा की धमकी और दोहरा रवैया
रूस से सस्ता तेल खरीदना भारत का आर्थिक फैसला है जो ऊर्जा सुरक्षा के लिए जरूरी है. लेकिन रुटे की धमकी बताती है कि पश्चिमी देश भारत पर दबाव बनाना चाहते हैं जबकि यूरोप खुद रूस से तेल खरीद रहा है. रूस-यूक्रेन युद्ध के तीसरे साल में यूरोप ने रूसी तेल आयात में सिर्फ 1% की कटौती की है. फिर भारत को क्यों टारगेट किया जा रहा है?
ब्रिक्स पर निशाना?
रुटे का बयान ब्राजील में हुए ब्रिक्स सम्मेलन के ठीक बाद आया. ब्रिक्स की बढ़ती ताकत और पेट्रोडॉलर के विकल्प की चर्चा से पश्चिमी देश बेचैन हैं. ये धमकी शांति से ज्यादा ब्रिक्स की बढ़ती ताकत को दबाने की कोशिश लगती है.
भारत की नीति पर सवाल नहीं
भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस के साथ-साथ मध्य-पूर्व, अफ्रीका और अमेरिका से भी तेल खरीदता है. सस्ता रूसी तेल घरेलू कीमतों को स्थिर रखने में मदद करता है. ये भारत का व्यावहारिक दृष्टिकोण है जिसे पश्चिमी देशों की मर्जी से बदलने की जरूरत नहीं.
NATO की हद से बाहर हरकत
नाटो का भारत की व्यापार नीति में दखल देना कूटनीति की सीमाओं का उल्लंघन है. रुटे का बयान न सिर्फ अपमानजनक है, बल्कि गलत व्यक्ति द्वारा गलत तरीके से दिया गया संदेश भी है. भारत ने हमेशा अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को प्राथमिकता दी है जैसा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर कहते हैं कि भारत को नसीहत की नहीं, साझेदारी की जरूरत है. ऐसे में नाटो और रुटे को यह समझना होगा कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और शांति के लिए काम करता है, बिना किसी बाहरी दबाव के. ये धमकी न केवल गलत है, बल्कि एक स्वतंत्र देश की संप्रभुता पर सवाल उठाती है.
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