क्या है ब्यूटी मेडिसिन 'ग्लूटाथियोन'? शेफाली की मौत के बाद से उठ रहे सवाल, 3 डॉक्टरों ने दिए जवाब

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Shefali Jariwala death and glutathione injections: 'बिग बॉस 13' की कंटेस्टेंट रह चुकीं और 'कांटा लगा गर्ल' नाम से फेमस शेफाली जरीवाला की 27 जून की देर रात 42 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी. उन्हें डिनर के बाद अच्छा महसूस नहीं हो रहा था. थोड़ी देर वह अचानक गिर गईं और उन्हें जब हॉस्पिटल ले जाया गया तो उन्हें 'मृत घोषित' कर दिया गया.

रिपोर्ट जो सामने आई हैं, उनके मुताबिक, शेफाली को कार्डियक अरेस्ट आया था और उसे ट्रिगर करने में कुछ एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट ने मदद की थी. शेफाली की मौत ने एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में सवाल खड़े कर दिए हैं. हालांकि उनकी मौत का सही कारण अभी भी जांच के दायरे में है, लेकिन शुरुआती रिपोर्ट बताती है कि वह नियमित रूप से एंटी-एजिंग इंजेक्शन ले रही थीं, जिसमें ग्लूटाथियोन भी शामिल है.

पिछले कुछ सालों में ग्लूटाथियोन को त्वचा को गोरा करने और एंटी-एजिंग प्रभावों के लिए ब्यूटी क्लीनिकों में काफी इस्तेमाल किया जा रहा है. ग्लूटाथियोन क्या होता है, कैसे काम करता है और इसके साइड इफेक्ट्स क्या हैं, इस बारे में डॉक्टर्स का क्या कहना है, यह भी जान लीजिए.
 

क्या है ग्लूटाथियोन?

बैंगलोर के फोर्टिस हॉस्पिटल की कंसल्टेंट डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. रश्मी श्रीराम ने Aajtak.in को बताया, 'ग्लूटाथियोन एक ट्रिपेप्टाइड (सिस्टीन, ग्लाइसिन और ग्लूटामिक एसिड) है जो शारीर के टिश्यूज में नेचुरल रूप से पाया जाता है. यह काफी शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है. यह मार्केट में इंजेक्शन के रूप में भी उपलब्ध है. इन इंजेक्शन का उद्देश्य शरीर में ग्लूटाथियोन के लेवल को बढ़ाना, संभावित रूप से त्वचा की चमक में सुधार करना, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करना और ओवरऑल हेल्थ को बेहतर बनाना है. यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को साफ करने, लिवर की हेल्थ को सही रखने और इम्यून सिस्टम को बढ़ावा देने में भी मदद करता है.'

डॉक्टर आगे कहती हैं, 'हालांकि, ग्लूटाथियोन की सुरक्षा पर बहस होती है. संभावित जोखिमों में एलर्जी, दवाओं के साथ रिएक्शन और लिवर डैमेज होना शामिल हैं. कुछ देशों ने संभावित स्वास्थ्य जोखिमों का हवाला देते हुए त्वचा को गोरा करने के लिए उनके उपयोग के बारे में चिंता जताई है. ग्लूटाथियोन इंजेक्शन पर विचार करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी जरूरी है क्योंकि वे व्यक्तिगत जोखिमों और उसके फायदों का आकलन करने के बाद ही आपको प्रिस्क्राइब करते हैं.'

ग्लूटाथियोन कैसे यूज होता है?

दिल्ली के डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. गौरांग कृष्णा ने बताया, 'ग्लूटाथियोन और विटामिन सी इंजेक्शंस बहुत ही ज्यादा पॉपुलर IV ड्रिप्स हैं जो पिछले 5 साल से काफी अधिक यूज हो रहा है. इसका जो उपयोग होता है वो स्किन ब्राइटनिंग, स्किन ग्लो और एंटी पिगमेंटेशन के तौर पर किया जाता है. जनरली इसको टैबलेट या इंजेक्शन दोनों फॉर्म में देते हैं. इंजेक्शन फॉर्म प्रिफर्ड है क्योंकि वो डायरेक्टली ब्लड में जाता है और इसका इफेक्ट भी बेटर होता है. इसमें जनरली महीने में एक या दो IV ड्रिप चलती हैं, जिसका टोटल सेशन ढाई से तीन महीने का होता है. मतलब पांच से छह इंजेक्शन IV ड्रिप दी जाती हैं जिसमें आपको रिजल्ट विजिबल होता है. उसके बाद रिजल्ट को मेंटेन करने के लिए या तो ओरल टैबलेट्स दी जाती हैं या फिर दो तीन महीने में एक IV ड्रिप कम डोज वाली दी जाती हैं.'

शेफाली की मौत और ग्लूटाथियोन

डॉ. गौरांग ने बताया, 'जो शेफाली की डेथ की जो न्यूज सामने आई है और जिसे ग्लूटाथियोन इंजेक्शन से लिंक बताया जा रहा है. इस पर मैं चाहूंगा कि और प्रॉपर तरीके से जांच होनी चाहिए. अभी ऑटोप्सी इनकन्क्लूसिव आई है और इनिशियल रिपोर्ट में ये बताया गया था कि एंटी एजिंग मेडिसिन या इंजेक्शन से शायद कुछ कॉम्प्लिकेशन हुआ हो. तो मैं आपको बताना चाहूंगा ग्लूटाथियोन, विटामिन सी एंटी एजिंग इंजेक्शंस नहीं है, ये स्किन ब्राइटनिंग इंजेक्शंस हैं. एंटी एजिंग इंजेक्शन दूसरे होते हैं जो सबसे ज्यादा पॉपुलर आजकल NAD+ इन्फ्यूजन चल रहे हैं.'

ग्लूटाथियोन के साइड इफेक्ट क्या हैं?

डॉ. गौरांग ने बताया, ' 'कई लोग इसको फेयरनेस ट्रीटमेंट की तरह यूज करते हैं जो हम लोग इसको गलत मानते हैं. यह फेयरनेस ट्रीटमेंट नहीं है. इन फैक्ट फेयरनेस को हम लोग प्रमोट भी नहीं करना चाहते हैं. ये जो ट्रीटमेंट है वो स्किन ग्लो, स्किन ब्राइटनिंग और एंटी पिगमेंटेशन के तौर पर यूज किया जाता है.'

'वैसे तो इसके साइड इफेक्ट्स नहीं होते हैं क्योंकि ये बहुत ही सेफ इंजेक्शंस हैं. इसके फायदे स्किन इंप्रूवमेंट के अलावा इसके फायदे बहुत सारे हैं. आपको बॉडी में एनर्जेटिक फील होता है, ब्लड डिटॉक्स हो सकता है और इसे एंटीऑक्सीडेंट की तरह यूज किया जाता है. कई बार कैंसर पेशेंट्स जिनको कीमोथेरेपी चल रही है, उनमें भी इसका डोज दिया जाता है ताकि कीमोथेरेपी मेडिसिन्स के साइड इफेक्ट कम से कम हों. जो भी व्यक्ति अठारह वर्ष से ऊपर के हैं वो लोग इसका यूज डॉक्टर के सुपरविजन में कर सकते हैं.'

'जैसा की अभी डॉक्टर त्रेहान ने भी इसका खुलासा किया है कि सिर्फ एंटी एजिंग इंजेक्शन से कार्डियक अरेस्ट नहीं होता है. यहां पर बहुत सारे फैक्टर्स का इंटरप्ले होता है और तब ऐसे कॉम्प्लिकेशंस होते हैं. तो इसके बारे में और बेटर इन्फॉर्मेशन अभी अवेटेड है जब ऑटोप्सी की पूरी रिपोर्ट आ जाए तब इस पर डिस्कशन हो तो असली तथ्य सामने आएंगे. अभी हमारा यही मानना है कि ग्लूटाथियन, विटामिन सी टोटली सेफ इंजेक्शंस हैं यदि प्रॉपर तरीके और मेडिकल सुपरविजन के अंदर दिए गए तो.'

भारत के टॉप हार्ट स्पेशलिस्ट और मेदांता के चेयरमैन डॉ. त्रेहन का कहना है, 'ग्लूटाथियोन जैसे सप्लीमेंट को अचानक कार्डियक डेथ से सीधे जोड़ने वाला कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. अचानक कार्डियक अरेस्ट कुछ छुपी हुई स्थितियां का परिणाम है, जिनमें से अधिकांश का निदान तब तक नहीं हो पाता जब तक कि बहुत देर न हो जाए.'

भुवनेश्वर में मणिपाल अस्पताल में त्वचा विज्ञान के एसोसिएट कंसल्टेंट डॉ. साई लहरी रचुमल्लू का कहना है ग्लूटाथियोन इंजेक्शन के भी कुछ जोखिम हो सकते हैं. इंजेक्शन लगाने के दर्द के अलावा अनुचित इंजेक्शन तकनीक भी नस में संक्रमण या सूजन का कारण बन सकती है. लंबे समय तक उपयोग से किडनी और लिवर पर असर पड़ सकता है वहीं जो लोग पहले से बीमार हैं, उनमें गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं.

बेंगलुरु में इंटरनल मेडिसिन की हेड कंसल्टेंट और विभागाध्यक्ष डॉ. सुचिस्मिता राजमान्या का कहना है इसकी अधिक खुराक से किडनी में टॉक्सीसिटी या डिस्फंक्शन या किडनी फेल का कारण बन सकता है.

अन्य एक्सपर्ट्स का कहना है कि ग्लूटाथियोन विशेष रूप से इंजेक्शन के माध्यम से यदि लिया जाता है तो इससे पेट में ऐंठन, सूजन या चकत्ते और खुजली जैसी एलर्जी प्रतिक्रियाएं होती हैं. कभी-कभी, ग्लूटाथियोन के बढ़े हुए स्तर से जिंक में कमी भी हो सकती है, जिससे इम्यून सिस्टम और घाव भरने की क्षमता पर असर पड़ता है.

ग्लूटाथियोन जैसे सप्लीमेंट्स वाकई काम करते हैं?

इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में डर्मेटोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. डीएम महाजन ने Aajtak.in को बताया, 'ग्लूटाथियोन आपके शरीर में एक प्राकृतिक पदार्थ है जो आपकी कोशिकाओं को स्वस्थ रखता है. यह इंटरनल डैमेज से लड़ता है, हानिकारक टॉक्सिन्स को साफ करने में मदद करता है और इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है. इस वजह से कई लोग स्वस्थ रहने, उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने या साफ़ त्वचा पाने के लिए ग्लूटाथियोन सप्लीमेंट लेते हैं.'

'जब आप ग्लूटाथियोन को गोली के रूप में लेते हैं तो आपका पेट अक्सर शरीर द्वारा पूरी तरह से इस्तेमाल किए जाने से पहले ही इसे तोड़ देता है. इसका मतलब है कि यह आपकी कोशिकाओं तक नहीं पहुंच पाता. कुछ लोग लिपोसोमल ग्लूटाथियोन लेते हैं जो इसे बेहतर तरीके से अवशोषित करने में मदद करने के लिए एक स्पेशल फैट लेयर में पैक किया जाता है और यह थोड़ा बेहतर काम कर सकता है लेकिन यह अधिक महंगा भी है.'

'ग्लूटाथियोन इंजेक्शन (IV ड्रिप) भी है. ये ग्लूटाथियोन को सीधे आपके रक्त में पहुंचाते हैं. इनका इस्तेमाल अक्सर त्वचा को चमकदार बनाने के लिए किया जाता है लेकिन इन्हें हमेशा डॉक्टर से ही करवाना चाहिए क्योंकि खराब प्रोडक्ट का इस्तेमाल करना जोखिम भरा हो सकता है. साथ ही यह साबित करने के लिए पर्याप्त रिसर्च नहीं हैं कि ये पूरी तरह सुरक्षित हैं या नहीं या फिर लंबे समय तक लेने से अच्छे परिणाम देते हैं.

शरीर में नेचुरली ग्लूटाथियोन बढ़ाने का तरीका

डॉ. डीएम महाजन ने Aajtak.in को बताया, 'शरीर में नेचुरल रूप से ग्लूटाथियोन का प्रोडक्शन बढ़ाने का एक सरल तरीका यह है कि आप लहसुन, प्याज, ब्रोकली और अन्य हरी सब्जियां का सेवन बढ़ा दें. ये शरीर को प्राकृतिक रूप से ग्लूटाथियोन बनाने के लिए आवश्यक विटामिन-मिनरल्स देते हैं.

आम तौर पर, ग्लूटाथियोन की खुराक कम मात्रा में लोगों के लिए सुरक्षित होती है. लेकिन वे वास्तव में कितनी मदद करती हैं, यह अभी भी स्पष्ट नहीं है. याद रखें, अपने ग्लूटाथियोन के लेवल को अच्छे लेवल पर रखने के का सबसे अच्छा तरीका अच्छा खाना, एक्सरसाइज करना, पर्याप्त नींद लेना और स्ट्रेस को मैनेज करना है. आपका शरीर आमतौर पर बाकी काम खुद ही कर लेगा.

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