तुवालु देश की एक तिहाई से ज्यादा आबादी ने ऑस्ट्रेलिया में बसने के लिए 'क्लाइमेट वीज़ा' का आवेदन दिया है क्योंकि प्रशांत क्षेत्र का यह देश बढ़ते समुद्री स्तर के कारण अस्तित्व के खतरे का सामना कर रहा है और डूबने की कगार पर है. वीजा की मांग ऑस्ट्रेलिया और तुवालु के बीच फालेपिली यूनियन संधि के लागू होने के बाद तेज हो गई है, जो क्लाइमेट मोबिलिटी के लिए एक नया मॉडल पेश करती है, क्योंकि यहां के लोग जलवायु संकट का सामना कर रहे हैं.
अमेरिका से भी मांगी मदद
तुवालु की आबादी करीब 11 हजार है और यह द्वीपीय देश नौ निचले एटोलों में फैला हुआ है. जलवायु परिवर्तन के लिए विश्व के सबसे संवेदनशील देशों में से एक तुवालु को लेकर वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि बढ़ते समुद्र के कारण 2050 तक इसकी ज्यादातर जमीन जलमग्न हो सकती है, साथ ही कुछ द्वीप तो पहले ही लहरों के नीचे लुप्त हो जाएंगे.
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जलवायु संकट ने पहले से ही यहां तबाही मचा रखी है और मीठे पानी के स्रोतों को प्रदूषित कर दिया है, जिससे रोजमर्रा के कामों में भी लोगों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. प्रशांत महासागर के इस छोटे से देश ने डूबने के डर से अब अमेरिका से भी लिखित में आश्वासन मांगा है कि उसके नागरिकों की एंट्री नहीं रोकी जाएगी, क्योंकि उसे गलती से वीजा बैन का सामना कर रहे 36 देशों की लिस्ट में डाल दिया गया है. अमेरिका ने पहले ही 12 देशों के नागरिकों की एंट्री पर बैन लगा है.
एक तिहाई लोगों ने किया अप्लाई
प्रतिबंधित सूची में शामिल देशों को सुधारात्मक कार्रवाई करने के लिए 60 दिन का वक्त दिया जाएगा. इससे तुवालु की चिंता काफी बढ़ गई है, जहां की आबादी समुद्र के बढ़ते स्तर के कारण गंभीर संकट का सामना कर रही है. इसी वजह से एक तिहाई निवासियों ने ऐतिहासिक क्लाइमेट वीजा के लिए आस्ट्रेलिया को आवेदन भेजा है.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र में तुवालु के राजदूत तापुगाओ फलेफौ ने कहा कि उन्हें एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया है कि तुवालु को लिस्ट में शामिल करना अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से की गई एक प्रशासनिक गलती थी. मंगलवार को एक बयान में तुवालु की सरकार ने कहा कि उसे इस बात की कोई औपचारिक सूचना नहीं मिली है कि उसका नाम प्रतिबंधित लिस्ट में शामिल है. फिजी स्थित अमेरिकी दूतावास ने भी उसे भरोसा दिया है कि यह सिस्टम की गड़बड़ी थी.
क्लाइमेट वीजा क्या है?
साल 2023 के आखिर में साइन्ड और अगस्त 2024 में लागू होने वाले फालेपिली यूनियन के तहत हर साल 280 तुवालुवासियों को स्थायी रूप से ऑस्ट्रेलिया में बसने की इजाजत दी जाएगी. यह वीज़ा स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और काम करने के अधिकार तक पहुंच देता है और इसमें ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों के बराबर का फायदा देने की बात कही गई है.
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वीजा के लिए अप्लाई करने के लिए जॉब ऑफर की जरूरत नहीं है और यह योजना ऑस्ट्रेलिया में रहने, काम करने या पढ़ाई करने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति के लिए खुली है. जून में वीज़ा लॉटरी खुलने के बाद से 1100 से ज्यादा आवेदक, जिनमें परिवार के सदस्य भी शामिल हैं, कुल चार हजार से ज्यादा लोग रजिस्टर्ड हो चुके हैं, जो सालाना लिमिट से कहीं ज्यादा हैं.
ऑस्ट्रेलियाई सरकार लेगी फैसला
क्लाइमेट वीजा की बढ़ती मांग तुवालु की जलवायु संबंधी समस्या की गंभीरता और आर्थिक स्थिरता दोनों को दर्शाती है, क्योंकि प्रवासियों से हासिल होने वाला पैसा द्वीप पर रह गए परिवारों के लिए लाइफ लाइन बन सकता है. जबकि वीज़ा में जलवायु परिवर्तन का साफ तौर पर जिक्र नहीं किया गया है, लेकिन इसे बनाने वाली संधि ग्लोबल वार्मिंग से पैदा हुए अस्तित्व के खतरे को स्वीकार करती है.
विशेषज्ञ इस समझौते की सराहना दुनिया के पहले द्विपक्षीय जलवायु गतिशीलता समझौते के रूप में करते हैं, जो जलवायु प्रभावों के बिगड़ने के साथ सम्मान के साथ मोबेलिटी की राह दिखाता है. 18 जुलाई को वोटिंग खत्म होने के बाद ऑस्ट्रेलियाई सरकार क्लाइमेट वीजा पाने में सफल रहे आवेदकों को सेलेक्ट करेगी.
तुवालु के लोग अपनी पैतृक भूमि को छोड़ने के कठिन फैसले पर विचार कर रहे हैं, उनके लिए क्लाइमेट वीजा उम्मीद की एक किरण के रूप में सामने आया है, जो कि ग्लोबल क्लाइमेट एक्शन की तत्काल जरूरत की याद दिलाता है.