चंद्र ग्रहण में क्यों नहीं करनी चाहिए तुलसी पूजा? जानें आखिर क्या है वजह

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chandra grahan 2025: आज रात साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण लगने वाला है. चंद्र ग्रहण तभी होता है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है, जिससे चांद आंशिक या पूर्ण रूप ढक जाता है. यह खगोलीय घटना न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि हिंदू धर्म और संस्कृति में इसका विशेष महत्व भी है. हिंदू धर्म में ग्रहण का समय अशुभ माना जाता है. इस दौरान पूजा-पाठ, नई शुरुआत, विवाह, नई भूमि में प्रवेश या किसी बड़े निर्णय लेने जैसे शुभ कार्यों से बचने की सलाह दी जाती है. ठीक इसी तरह ग्रहण के समय तुलसी को छूना और इनकी पूजा करने की भी मनाही है. 

ग्रहण के समय क्यों वर्जित है तुलसी पूजा

ज्योतिषविदों के अनुसार, ग्रहण के समय वातावरण में राहु-केतु की नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय रहती है. इस दौरान किसी भी पवित्र वस्तु का तोड़ना या छूना अशुभ माना जाता है. तुलसी माता का स्वरूप मानी जाती हैं, इसलिए ग्रहण के समय तुलसी दल तोड़ना या पूजा में उनका उपयोग करना वर्जित है. 

ऐसी मान्यता है कि ग्रहण काल में तुलसी की पत्तियां अपवित्र हो जाती हैं. शास्त्रों के मुताबिक इस समय भगवान विष्णु भी तुलसी दल स्वीकार नहीं करती हैं. इसलिए तुलसी पूजन, तुलसी अर्पण और तुलसी सेवन ग्रहण काल में नहीं किया जाता. 

ग्रहण के समय तुलसी पूजा के उपाय

ग्रहण का सूतक काल शुरू होने से पहले ही तुलसी दल तोड़कर रख लेना चाहिए. इन्हें गंगाजल छिड़ककर पवित्र स्थान पर सुरक्षित रखा जाता है. ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करने के बाद ही तुलसी दल को भगवान को अर्पित करना चाहिए. मान्यता है कि ग्रहण के समय तुलसी तोड़ने वाला पाप का भागी बनता है. इसलिए ग्रहण से पहले ही तुलसी दल तोड़कर सुरक्षित रखने की मान्यता है, ताकि पूजा बाधित न हो और शास्त्रीय नियमों का उल्लंघन भी न हो. 

कितना खतरनाक है कल लगने वाला चंद्र ग्रहण 
7 सितंबर को लगने वाला चंद्र ग्रहण बेहद प्रभावशाली और खतरनाक माना जा रहा है.  मान्यता है कि चंद्र ग्रहण का असर केवल उस दिन ही नहीं, बल्कि इसके 3 महीने पहले और 3 महीने बाद तक दिखाई देता है. यह चंद्र ग्रहण पूरे भारत में दिखाई देगा. 7 सितंबर की रात 09 बजकर 58 बजे चंद्र ग्रहण शुरू हो जाएगा और रात 01 बजकर 26 मिनट तक रहेगा.

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