चाइनीज प्रोडक्ट पर भारतीय सेना की सख्ती, 'मेक इन इंडिया' के तहत रक्षा मंत्रालय ने लिया ये फैसला

5 days ago 1

पाकिस्तान के साथ हालिया संघर्ष और सुरक्षा चिंताओं के देखते हुए भारत अपने सशस्त्र बलों को और मजबूती देने की तैयारी कर रहा है. रक्षा मंत्रालय सशस्त्र बलों को दिए जाने वाले सैन्य उपकरणों में चीन में निर्मित सामानों की पहचान कर रहा है. साथ ही डिफेंस सप्लाई चेन की खामियों के आकलन के लिए सैन्य उपकरणों की खरीद की बड़ी समीक्षा शुरू करने जा रहा है.

चीनी प्रोडक्ट पर सख्ती

मंत्रालय की तरफ से पहले ही किसी भी सैन्य उपकरण और हार्डवेयर में किसी तरह के चीनी सामान का इस्तेमाल न करने के सख्त दिशा-निर्देश और नियम बनाए गए हैं. हालांकि, कुछ कंपनियों की ओर से डिफेंस सप्लाई के लिए प्रोडक्ट बनाने में चीनी कलपुर्जों का इस्तेमाल करने की कुछ रिपोर्ट मिली हैं. साल 2025 के रिफॉर्म की कड़ी के तौर पर रक्षा मंत्रालय स्वदेशी मैटेरियल के दावे को जांचने, निर्भरता का पता लगाने, लागत और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की विस्तृत जांच करने के लिए किसी स्वतंत्र एजेंसी की नियुक्ति कर सकता है.

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रक्षा मंत्रालय को रिपोर्ट मिली है कि सैन्य उपकरणों की सप्लाई करने वाली कुछ कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स के निर्माण में चीनी माल इस्तेमाल कर रही है. साथ ही कुछ मामलों में यह सामान किसी तीसरी देश से भी मंगाया जाता है. इसकी वजह से भारत के एयर डिफेंस और एंट्री ड्रोन सिस्टम को लेकर खास सावधानी बरती जा रही है. 

मेक इन इंडिया को बढ़ावा

हाल ही में एक कार्यक्रम में सेना डिजाइन ब्यूरो के एडीजी मेजर जनरल सीएस मान ने सेना के इस लक्ष्य पर जोर दिया था कि सप्लायर से किसी भी चीनी सामान को फिल्टर किया जाए. सुरक्षा कमज़ोरियों को रोकने के लिए विदेशी निर्भरता, विशेष रूप से चीनी सामानों पर निर्भरता को खत्म करने पर रक्षा मंत्रालय का फोकस रहा है.

अधिकारी ने हाल ही में कहा कि भारतीय कंपनियों की मैपिंग की जाएगी और उन्हें पहचाना जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रमुख सामान भारत में ही बनाए जाएं, जिससे मेक इन इंडिया पहल को समर्थन मिले. बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गुजरात में एक कार्यक्रम के दौरान आम नागिरकों से रोजमर्रा के कामों में इस्तेमाल होने वाले सामानों में से चीनी प्रोडक्ट्स को हटाने की अपील की थी. साथ ही मेक इन इंडिया पर जोर दिया था.

रिकॉर्ड स्तर पर रक्षा उत्पादन

बीते कुछ वर्षों के दौरान सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में देश ने ऐतिहासिक काम किया है. भारत अब न सिर्फ अपने स्वदेशी सैन्य उपकरणों को मजबूत कर रहा है बल्कि दुनियाभर के देशों को स्वदेशी सामान बेच भी रहा है. भारत अब अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों के अलावा करीब 80 देशों को रक्षा उपकरण सप्लाई कर रहा है. बीते 10 साल में रक्षा उत्पादन में 170 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है.

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भारतीय सैन्य उपकरणों के सबसे बड़े खरीदार अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया जैसे देश हैं. साल 2004 से 2014 के बीच डिफेंस एक्सपोर्ट सिर्फ 4,312 करोड़ रुपये था, जो 2014 से 2024 के बीच बढ़कर 88,319 करोड़ रुपये हो गया है. विदेशों से हथियार खरीदने की बजाय भारत अब अमेरिका जैसे सबसे बड़े हथियार एक्सपोर्टर को भी अपना सामान बेच रहा है.

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