चीन की निंदा, सीजफायर पर भी चर्चा... PAK के टेरर कनेक्शन को बेनकाब करने वाले डेलिगेशन की हुई ब्रीफिंग

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भारत सरकार ने हाल ही में एक बड़ा कूटनीतिक कदम उठाते हुए 32 देशों में विशेष प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया है. यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब कांग्रेस सरकार से युद्धविराम (Ceasefire) को लेकर कड़े सवाल पूछ रही है और विदेश मंत्री एस जयशंकर को कटघरे में खड़ा कर रही है. लेकिन सरकार अब घरेलू राजनीति से इतर विदेशों में भारत की छवि को सुदृढ़ करने के प्रयास में जुट गई है.

इस विशेष अभियान की खास बात यह है कि इन सात प्रतिनिधिमंडलों में से तीन की अगुवाई विपक्षी दलों के सांसद कर रहे हैं. इनमें सुप्रिया सुले (एनसीपी), कनिमोझी (डीएमके) और शशि थरूर (कांग्रेस) शामिल हैं. सरकार की इस ‘ब्रिजिंग’ रणनीति को विपक्ष के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने भी सराहा है.

इस क्रम में विदेश जाकर पाकिस्तान को बेनकाब करने की जिम्मेदारी मिलने वाले सात प्रतिनिधिंडलों में से तीन को सरकार की तरफ से मंगलवार को ब्रीफिंग दी गई. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने विशेष ब्रीफिंग में यह स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ हालिया सीजफायर की पहल भारत की नहीं, बल्कि पाकिस्तान की ओर से की गई थी. 10 मई को सुबह करीब 11 बजे पाकिस्तान के डीजीएमओ ने संपर्क साधने की कोशिश की थी, लेकिन उस समय दोनों देशों के बीच स्थापित हॉटलाइन काम नहीं कर रही थी. इसके बाद पाकिस्तान उच्चायोग ने नई दिल्ली में संदेश भेजा कि उनके डीजीएमओ बातचीत करना चाहते हैं.

ट्रंप के दावे को फिर सरकार ने नकारा

सूत्रों के अनुसार, भारतीय डीजीएमओ उस समय चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) के साथ एक अहम बैठक में व्यस्त थे, जिस कारण करीब साढ़े 12 बजे तक भी बातचीत संभव नहीं हो पाई. अंततः दोपहर 3:30 बजे बातचीत हुई जिसमें दोनों पक्ष सीजफायर पर सहमत हुए. ब्रीफिंग में यह भी स्पष्ट किया गया कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कथित मध्यस्थता की बात बिल्कुल भी सही नहीं है, क्योंकि इस प्रक्रिया की पहल खुद पाकिस्तान ने की थी. ब्रीफिंग में यह भी बताया गया कि कई देशों के साथ ‘बैक चैनल’ बातचीत सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है. 

डेलीगेशन को सौंपा गया भारत का पक्ष रखने का जिम्मा

बता दें कि सरकार द्वारा ऑपरेशन ‘सिंदूर’ को लेकर 32 देशों में प्रतिनिधिमंडल भेजे जाने का निर्णय पूरी रणनीतिक सोच के तहत लिया गया है. ये सभी देश या तो वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के स्थायी या अस्थायी सदस्य हैं या निकट भविष्य में अस्थायी सदस्य बनने जा रहे हैं.

इन डेलीगेशनों को आतंकवाद के मुद्दे पर भारत की चिंताओं, सुरक्षा नीतियों और जवाबी कार्रवाई की जानकारी विस्तार से दी गई है. इनका मकसद है कि वे विदेशों में भारत का पक्ष प्रभावी ढंग से रखें और पाकिस्तान द्वारा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बार-बार अपनाए जाने वाले ‘विक्टिम कार्ड’ को निष्क्रिय किया जा सके. प्रतिनिधिमंडल इन देशों के प्रधानमंत्रियों, पूर्व प्रधानमंत्रियों, विदेश मंत्रियों, सांसदों, विपक्षी नेताओं, बुद्धिजीवियों, पत्रकारों और प्रवासी भारतीयों से मुलाकात करेंगे.

ब्रीफिंग में चीन को लेकर भी हुई चर्चा

ब्रीफिंग में खासतौर पर चीन को लेकर भी चर्चा हुई. सूत्रों के मुताबिक, भारत-पाकिस्तान के इस घटनाक्रम में चीन ने भारत की कार्रवाई की निंदा करने के बजाय खेद प्रकट किया. इसे भारत की कूटनीतिक रणनीति की सफलता के तौर पर देखा जा रहा है और अंतरराष्ट्रीय मंच पर चीन के बदले रुख को एक महत्वपूर्ण बदलाव बताया गया है.

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