मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित महाराजा यशवंतराव (एमवाय) अस्पताल में दो नवजात शिशुओं की मौत के मामले ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया है. आरोप है कि अस्पताल के एनआईसीयू वार्ड (नवजात गहन चिकित्सा इकाई) में भर्ती दो नवजात शिशुओं को चूहों ने काट लिया, जिसके बाद उनकी मौत हो गई. यह घटनाक्रम मंगलवार और बुधवार को हुआ. इस पूरे मामले ने अस्पताल प्रबंधन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए. प्रदेश सरकार के साथ ही मानवाधिकार आयोग ने मामले का संज्ञान लिया है.
जानकारी के अनुसार, एमवाय अस्पताल के एनआईसीयू में भर्ती दो नवजातों को मंगलवार और बुधवार को चूहों ने काट लिया था. इसके बाद दोनों बच्चों की मौत हो गई. परिजनों ने इस घटना के बाद अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया. सोशल मीडिया पर यह मामला सामने आते ही बवाल मच गया और अस्पताल प्रशासन से लेकर सरकार तक हरकत में आ गई.
अस्पताल अधीक्षक अशोक यादव ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि दोनों नवजात जन्म से ही गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे और उनकी शारीरिक संरचना पूरी तरह विकसित नहीं हुई थी. अधीक्षक के अनुसार, मौत का कारण चूहों के काटने से नहीं, बल्कि गंभीर बीमारियां और ब्लड इंफेक्शन रहा. बावजूद इसके, अस्पताल प्रशासन ने मान लिया कि एनआईसीयू में चूहों की समस्या है. यही कारण है कि पेस्ट कंट्रोल एजेंसी पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया और नर्सिंग स्टाफ के खिलाफ भी कार्रवाई की गई.
मानवाधिकार आयोग का हस्तक्षेप
मामला जब और तूल पकड़ने लगा तो मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग ने अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा. आयोग ने पूछा है कि इतने बड़े अस्पताल में चूहों की रोकथाम के लिए ठोस इंतजाम क्यों नहीं किए गए और आखिर यह घटना कैसे हुई.
मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव खुद इंदौर पहुंचे. उन्होंने अस्पताल पहुंचकर अधिकारियों के साथ बैठक की और कहा कि किसी भी तरह की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. मुख्यमंत्री ने दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिया और इंदौर कलेक्टर एवं स्वास्थ्य सचिव को उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए.
इस घटना के बाद इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह और स्थानीय विधायक गोलू शुक्ला ने एमवाय अस्पताल का दौरा किया. दोनों ने एनआईसीयू वार्ड का निरीक्षण किया और चूहों पर कंट्रोल के लिए तत्काल सख्त इंतजाम करने के निर्देश दिए. कलेक्टर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि दोनों बच्चों की मौत चूहों के काटने से नहीं, बल्कि उनकी गंभीर स्वास्थ्य स्थिति के कारण हुई है. उन्होंने स्पष्ट किया कि धार और देवास से लाए गए ये नवजात पहले से ही गंभीर अवस्था में थे.
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कलेक्टर आशीष सिंह ने यह भी कहा कि अस्पताल परिसर में चूहों की रोकथाम के लिए विशेष पेस्ट कंट्रोल व्यवस्था की जाएगी और इस पर सख्ती से निगरानी रखी जाएगी. इसके साथ ही तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई है, जो पूरे मामले की जांच कर विस्तृत रिपोर्ट पेश करेगी.
स्थानीय लोगों और परिजनों में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही को लेकर गुस्सा है. लोगों का कहना है कि एमवाय जैसा बड़ा सरकारी अस्पताल अगर इस तरह की बुनियादी व्यवस्थाओं में लापरवाही करेगा, तो आम लोगों की सुरक्षा और जीवन कैसे सुरक्षित रह पाएगा.
इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग ने भी अस्पताल प्रबंधन से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि दोषियों की जिम्मेदारी तय कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. वहीं, अस्पताल प्रबंधन पर निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं.
चाहे मौत का असली कारण जन्मजात बीमारियां रही हों या चूहों का काटना, लेकिन अस्पताल के एनआईसीयू में चूहों की मौजूदगी अपने आप में बेहद चिंताजनक है. इसने न सिर्फ अस्पताल की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं की प्राथमिकताओं को भी कटघरे में खड़ा किया है. फिलहाल, सरकार और प्रशासन की ओर से जांच और कार्रवाई के आश्वासन दिए जा रहे हैं. स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही किसी भी स्तर पर घातक साबित हो सकती है.
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