प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के अहमदाबाद में एक ऐतिहासिक परियोजना का उद्घाटन किया है, जिसने 'इन-सीटू स्लम रीडेवलपमेंट' यानी झुग्गियों के यथास्थान पुनर्विकास को एक नई पहचान दी है. ये इस बात का एक उदाहरण है कि कैसे बिना विस्थापित किए, झुग्गीवासियों को एक सम्मानजनक और बेहतर जीवन दिया जा सकता है.
अहमदाबाद के रामापीर टेकरा में, जहां हजारों लोग बिना सुविधाओं के रहते थे, वहां अब 1,449 अत्याधुनिक घर और 130 दुकानें बन चुकी हैं. इस प्रोजेक्ट के तहत, झुग्गीवासियों को उसी जगह पर 44.5 वर्ग मीटर के घर दिए गए हैं, जिनमें दो कमरे, एक रसोई और एक शौचालय है. इन घरों में बिजली और पानी जैसी सभी बुनियादी सुविधाएं मौजूद हैं. इसके साथ ही, 130 दुकानें भी बनाई गई हैं, जो वहां के निवासियों को अपनी आजीविका चलाने में मदद करेंगी.
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इस परियोजना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इन घरों का मालिकाना हक निवासियों को दिया गया है, जो उन्हें एक तरह की वित्तीय सुरक्षा भी प्रदान करता है. यह कदम न केवल झुग्गीवासियों के जीवन को बेहतर बनाता है, बल्कि यह देश के अन्य शहरों के लिए भी एक प्रेरणा का काम करता है कि कैसे झुग्गी-झोंपड़ियों की समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सकता है.
'इन-सीटू स्लम रीडेवलपमेंट' योजना क्या है?
'इन-सीटू स्लम रीडेवलपमेंट' का सीधा अर्थ है 'झुग्गियों का यथास्थान पुनर्विकास'. इस योजना के तहत, झुग्गी-झोंपड़ियों को तोड़कर उसी जगह पर बहुमंजिला इमारतें बनाई जाती हैं और उन इमारतों में झुग्गीवासियों को नए घर दिए जाते हैं. यह एक नई और बेहतर सोच है जिसका उद्देश्य झुग्गियों में रहने वाले लोगों के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले घर और बेहतर जीवन देना है.
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इस योजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें लोगों को शहर के बाहरी इलाकों में नहीं भेजा जाता. इसके बजाय, उन्हें उसी जगह पर रहने का अवसर मिलता है, जहां वे पहले से रह रहे थे. इससे उन्हें अपने काम-धंधे, बच्चों के स्कूल और सामाजिक नेटवर्क से दूर नहीं होना पड़ता, और उनके रोज़मर्रा के जीवन में कोई बड़ा बदलाव नहीं आता. ये नए घर पक्के होते हैं और इनमें बिजली, पानी और स्वच्छता जैसी मूलभूत सुविधाएं होती हैं, जो झुग्गियों में अक्सर नहीं मिलतीं.
यह मॉडल कई मायनों में बहुत फायदेमंद है
जब झुग्गीवासियों को शहर के बाहरी इलाकों में स्थानांतरित किया जाता है, तो वे अक्सर अपनी नौकरी, सामाजिक नेटवर्क और सामुदायिक संबंधों से कट जाते हैं. 'इन-सीटू' मॉडल उन्हें अपने मूल स्थान पर ही रहने की अनुमति देता है, जिससे उनके सामाजिक और आर्थिक जीवन में कोई बाधा नहीं आती. यह योजना आमतौर पर कम विरोध का सामना करती है, क्योंकि निवासियों को यह भरोसा होता है कि उन्हें विस्थापित नहीं किया जाएगा, जिससे परियोजना का क्रियान्वयन तेजी से होता है.
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झुग्गियों का पुनर्विकास करने से उस क्षेत्र में संपत्ति का मूल्य बढ़ता है, जिससे शहर के समग्र विकास में मदद मिलती है. खाली हुई जमीन का उपयोग सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आवास, सार्वजनिक उपयोगिताएं या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए भी किया जा सकता है, जिससे शहर का व्यवस्थित विकास होता है.
इस तरह, 'इन-सीटू स्लम रीडेवलपमेंट' एक ऐसा मॉडल है जो न केवल झुग्गियों में रहने वाले लोगों के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करता है, बल्कि शहरी विकास में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
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