अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने एक बड़ा एक्शन लेते हुए प्रवासियों के मामले की सुनवाई करने वाले 17 अमेरिकी जजों को अचानक से बर्खास्त कर दिया है. ये सभी जज इमिग्रेशन कोर्ट के जज हैं और इनका प्रतिनिधित्व करने वाले संघ का कहना है कि ट्रंप प्रशासन निर्वासन में तेजी लाना चाहता है और जजों की बर्खास्ती उसी दिशा में उठाया गया राजनीति से प्रेरित कदम है.
समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, यह बर्खास्तगी ऐसे समय में हुई है जब देश के इमिग्रेशन कोर्ट में प्रवासियों के रिकॉर्ड तोड़ मामले सामने आ रहे हैं. इमिग्रेशन अधिकारियों पर भी ट्रंप प्रशासन का दबाव बेहद सख्त होता जा रहा है.
इमिग्रेशन जजों और अन्य संघीय कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले महासंघ The International Federation of Professional and Technical Engineers (IFPTE) ने बताया कि शुक्रवार को 15 जजों को उनके पदों से हटा दिया गया, और सोमवार को दो और जजों को हटा दिया गया. ये जज टेक्सास, न्यूयॉर्क, कैलिफोर्निया और ओहायो सहित कम से कम 10 राज्यों में अपनी सेवाएं दे रहे थे.
कोर्ट पर बढ़ता प्रवासियों का बोझ और बर्खास्त कर दिए गए 17 जज
यूनियन के अध्यक्ष मैट बिग्स ने कहा, 'यह बेहद अपमानजनक और जनहित के खिलाफ कदम है कि जिस समय कांग्रेस (अमेरिकी संसद) ने 800 इमिग्रेशन जजों को अधिकृत किया है, उसी समय हम बिना किसी कारण के बड़ी संख्या में इमिग्रेशन जजों को बर्खास्त कर रहे हैं. यह बेतुका है. यह सब सुलझाने का एक ही रास्ता है, बर्खास्तगी बंद की जाए और नियुक्तियां शुरू की जाएं.'
17 जजों की बर्खास्तगी ट्रंप प्रशासन के प्रवासियों को निर्वासित करने में आई तेजी के बीच हुई है. हाल में कई बार ऐसा देखा गया है कि आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) एजेंटों ने सुनवाई के तुरंत बाद प्रवासियों को गिरफ्तार कर लिया. ICE एजेंट्स प्रवासियों की सुनवाई के दौरान अकसर अदालत के बाहर ही खड़े होकर कार्यवाही पूरी होने का इंतजार करते हैं.
ट्रंप प्रशासन के कदम से बढ़ी अमेरिका में शरण चाहने वालों की चिंता
ट्रंप प्रशासन के इन आक्रामक तरीकों से कानूनी प्रक्रिया का सामना कर रहे प्रवासियों और अमेरिका में शरण चाहने वालों की चिंता बढ़ गई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका की इमिग्रेशन अदालतों में फिलहाल लगभग 35 लाख मामले लंबित हैं. इतनी बड़ी संख्या में मामलों को देखते हुए प्रवासियों को एक साल से भी अधिक समय बाद की सुनवाई की डेट दी जा रही है.
इन अदालतों की एक और बड़ी दिक्कत ये है कि आपराधिक अदालतों में जहां आपको केस लड़ने के लिए एक वकील मुहैया कराया जाता है, इनमें सरकार कोई वकील मुहैया कराने की गारंटी नहीं देती.
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